राजीव गांधी हत्याकांड: नलिनी श्रीहरन की याचिका पर सुनवाई टली

सुप्रीम कोर्ट से समय पूर्व रिहाई की गुहार
नई दिल्ली। देश के सर्वोच्च न्यायालय ने राजीव गांधी हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा काट रही नलिनी श्रीहरन की समय-पूर्व रिहाई संबंधी याचिका की सुनवाई 17 अक्टूबर तक के लिए शुक्रवार को स्थगित कर दी। न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने इस मामले की सुनवाई आज समयाभाव के कारण नहीं कर सकी। तमिलनाडु सरकार ने गुरुवार को नलिनी श्रीहरन और आरपी रविचंद्रन को समय-पूर्व रिहा किये जाने का यह कहते हुए समर्थन किया था कि इन दोषियों को आजीवन कारावास से मुक्त किये जाने का राज्य सरकार का 2018 का परामर्श राज्यपाल पर बाध्यकारी है।तमिलनाडु सरकार ने दो अलग-अलग हलफनामे दायर करके शीर्ष कोर्ट को अवगत कराया कि नौ सितम्बर, 2018 को आयोजित कैबिनेट की बैठक में राज्य सरकार ने राजीव गांधी हत्याकांड के सभी सात दोषियों की दया याचिकाओं पर विचार किया था और राज्यपाल को संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल करके उन दोषियों की सजा माफ करने की सिफारिश राज्यपाल से करने का प्रस्ताव पारित किया था। नलिनी, संतन, मुरुगन, एजी पेरारिवलन, रॉबर्ट पायस, जयकुमार और रविचंद्रन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गयी थी और उन्होंने 21 साल से अधिक जेल में काट लिये हैं। नलिनी और रविचंद्रन दोनों तमिलनाडु सजा निलंबन नियमावली, 1982 के तहत दिसम्बर 2021 से साधारण पैरोल पर बाहर हैं। धनु नामक महिला आत्मघाती हमलावर ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या 21 मई, 1991 की रात एक चुनावी रैली के दौरान तमिलनाडु के श्रीपेरुम्बुदुर में कर दी थी।

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