चीफ जस्टिस ने सुनवाई के दौरान फ्री स्कीम्स का मनरेगा का सबसे बेहतरीन उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि इस स्कीम्स से लाखों लोगों को रोजगार मिल रहा है, मगर यह वोटर को शायद ही प्रभावित करता है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा कि मुफ्त में वाहन देने की घोषणा कल्याणकारी उपायों के रूप में देखा जा सकता है? क्या हम कह सकते हैं कि शिक्षा के लिए मुफ्त कोचिंग फ्री स्कीम्स है?
11 अगस्त को सुनवाई से पहले चुनाव आयोग ने हलफनामा दाखिल किया था। आयोग ने कोर्ट में कहा है कि फ्री का सामान या फिर अवैध रूप से फ्री का सामान की कोई तय परिभाषा या पहचान नहीं है। आयोग ने 12 पन्नों के अपने हलफनामे में कहा कि देश में समय और स्थिति के अनुसार फ्री सामानों की परिभाषा बदल जाती है। ऐसे में विशेषज्ञ पैनल से हमें बाहर रखा जाए। हम एक संवैधानिक संस्था हैं और पैनल में हमारे रहने से फैसले को लेकर दबाव बनेगा। कोर्ट ही इस पर दिशा-निर्देश जारी कर दें।
राजनीतिक दल ऐसे कर रहे मुफ्त के वादे
पंजाब विधानसभा चुनाव में आप ने 18 साल से अधिक उम्र की सभी महिलाओं को 1,000 रुपए महीना देने का वादा किया।पंजाब में अकाली दल ने हर महिला को 2,000 रुपए देने का वादा किया।UP में कांग्रेस ने घरेलू महिलाओं को 2000 रु. माह देने का वादा किया।UP में कांग्रेस का 12वीं की छात्रा को स्मार्टफोन देने का वादा। UP में भाजपा ने 2 करोड़ टैबलेट देने का वादा किया था।गुजरात में आप ने बेरोजगारों को 3000 रु. महीना भत्ता देने का वादा किया। हर परिवार को 300 यूनिट फ्री बिजली का भी वादा।बिहार में भाजपा ने मुफ्त कोरोना वैक्सीन देने का वादा किया।