कृषि कानूनों पर बड़ा खुलासा, सुप्रीम कोर्ट की कमेटी की रिपोर्ट में दावा
नई दिल्ली ।केंद्र सरकार की तीन कृषि कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट की पैनल ने एक बड़ा दावा किया है। पैनल की रिपोर्ट में कहा गया है कि 86% किसान संगठन सरकार के कृषि कानून से खुश थे। ये किसान संगठन करीब 3 करोड़ किसानों का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। 2015-16 कृषि जनगणना के मुताबिक देश में कुल 14.5 करोड़ किसान हैं। इसके बावजूद इन कानूनों के विरोध में कुछ किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल गुरु नानक देव की जयंती 19 नवंबर को इन कानूनों को रद्द करने का ऐलान किया था।
SC ने जनवरी 2021 में बनाई थी कमेटी
सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए जनवरी 2021 में तीनों कृषि कानूनों की जमीनी सच्चाई जानने के लिए एक कमेटी बनाई थी। इस कमेटी में कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी, शेतकारी संगठनों से जुड़े अनिल धनवत और प्रमोद कुमार जोशी को शामिल किया था। बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक कमेटी ने मार्च 2021 में अपनी रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंपी थी। रिपोर्ट में सरकार को कृषि कानून से जुड़े सुझाव भी दिए गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए जनवरी 2021 में तीनों कृषि कानूनों की जमीनी सच्चाई जानने के लिए एक कमेटी बनाई थी। इस कमेटी में कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी, शेतकारी संगठनों से जुड़े अनिल धनवत और प्रमोद कुमार जोशी को शामिल किया था। बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक कमेटी ने मार्च 2021 में अपनी रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंपी थी। रिपोर्ट में सरकार को कृषि कानून से जुड़े सुझाव भी दिए गए हैं।
कमेटी की रिपोर्ट में और क्या-क्या है?
SC की कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है फसल खरीदी और अन्य विवाद सुलझाने के लिए एक वैकल्पिक व्यवस्था की जरूरत है। कमेटी ने सुझाव दिया कि इसके लिए किसान अदालत जैसा निकाय बनाया जा सकता है। कमेटी ने यह भी कहा है कि कृषि के बुनियादी ढांचे को सुधारने के लिए एक बॉडी बनाने की जरूरत है। कमेटी की रिपोर्ट जल्द ही सार्वजनिक होने का अनुमान है।
SC की कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है फसल खरीदी और अन्य विवाद सुलझाने के लिए एक वैकल्पिक व्यवस्था की जरूरत है। कमेटी ने सुझाव दिया कि इसके लिए किसान अदालत जैसा निकाय बनाया जा सकता है। कमेटी ने यह भी कहा है कि कृषि के बुनियादी ढांचे को सुधारने के लिए एक बॉडी बनाने की जरूरत है। कमेटी की रिपोर्ट जल्द ही सार्वजनिक होने का अनुमान है।
MSP सहित इन मुद्दों पर बनी थी सहमति
प्रधानमंत्री के कृषि कानून रद्द करने की घोषणा के बाद दिसंबर 2021 में किसान संगठनों और सरकार के बीच अंतिम दौर की बातचीत में कई मुद्दों पर सहमति बनी थी। इनमें MSP तय करने पर कमेटी बनाने, मृत किसानों को मुआवजा देने और किसानों पर आंदोलन के दौरान लगे मुकदमे हटाने पर सहमति बनी थी।
प्रधानमंत्री के कृषि कानून रद्द करने की घोषणा के बाद दिसंबर 2021 में किसान संगठनों और सरकार के बीच अंतिम दौर की बातचीत में कई मुद्दों पर सहमति बनी थी। इनमें MSP तय करने पर कमेटी बनाने, मृत किसानों को मुआवजा देने और किसानों पर आंदोलन के दौरान लगे मुकदमे हटाने पर सहमति बनी थी।
MSP क्या होती है?
MSP, यानी मिनिमम सपोर्ट प्राइस या फिर न्यूनतम समर्थन मूल्य। केंद्र सरकार फसलों की एक न्यूनतम कीमत तय करती है, इसे ही MSP कहा जाता है। अगर बाजार में फसल की कीमत कम भी हो जाती है, तो भी सरकार किसान को MSP के हिसाब से ही फसल का भुगतान करेगी। इससे किसानों को अपनी फसल की तय कीमत के बारे में पता चल जाता है कि उसकी फसल के दाम कितने चल रहे हैं। ये एक तरह फसल की कीमत की गारंटी होती है।
MSP, यानी मिनिमम सपोर्ट प्राइस या फिर न्यूनतम समर्थन मूल्य। केंद्र सरकार फसलों की एक न्यूनतम कीमत तय करती है, इसे ही MSP कहा जाता है। अगर बाजार में फसल की कीमत कम भी हो जाती है, तो भी सरकार किसान को MSP के हिसाब से ही फसल का भुगतान करेगी। इससे किसानों को अपनी फसल की तय कीमत के बारे में पता चल जाता है कि उसकी फसल के दाम कितने चल रहे हैं। ये एक तरह फसल की कीमत की गारंटी होती है।
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