बेंगलुरू। सोमवार को सीएम बीएस येदियुरप्पा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया, लेकिन उनके इस्तीफे का मतलब यह नहीं है कि वह कर्नाटक की राजनीति से अलग हो गए। येदियुरप्पा की राजनीतीक पारी अभी लंबी चलेगी। उन्होंने खुद इस बात के संकेत दे दिए हैं। इस्तीफा देने के बाद उन्होंने कहा कि वह सीएम पद छोड़ रहे हैं, लेकिन वह पॉलिटिक्स में एक्टिव रहेंगे। सरकार में अब उनकी जगह कोई भी हो लेकिन वह पार्टी को आगे बढ़ाने में मदद करते रहेंगे। बहरहाल, चार बार मुख्यमंत्री बनने वाले येदियुरप्पा के लिए सबसे दुखद बात यह रहेगी कि वह कभी भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके।
कर्नाटक में पार्टी को खड़ा करने में 78 वर्षीय लिंगायत नेता का बहुत बड़ा हाथ है। दो दशकों से ज्यादा समय की कड़ी मेहनत के बाद उन्होंने राजनीति में मजबूत पकड़ बनाई हैं और शायद यही कारण हैं कि दक्षिण भारत में लिंगायत नेता के रूप में उनसे बड़ा कोई और चेहरा किसी भी पार्टी के पास नहीं है।
येदियुरप्पा बने मोदी का शिकार: कांग्रेस
कांग्रेस ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद से बीएस येदियुरप्पा के इस्तीफा देने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि जबरन सेवानिवृत्ति क्लब में शामिल किए गए येदियुरप्पा प्रधानमंत्री मोदी के सबसे ताजा शिकार हैं। कांग्रेस के महासचिव और कर्नाटक प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने यह दावा भी किया कि चेहरा बदलने से कर्नाटक में भाजपा का ‘भ्रष्ट चरित्र’ नहीं बदलने वाला है। उन्होंने ट्वीट किया, सिर्फ चेहरा बदलने से भाजपा का भ्रष्ट चरित्र नहीं बदलने वाला है। सच्चाई यह है कि मोदी जी आदततन वरिष्ठ भाजपा नेताओं को अपमानित करते हैं और उन्हें इतिहास के कूड़ेदान में डाल देते हैं।
कर्नाटक प्रभारी सुरजेवाला ने दावा किया, मोदी जी का रिकॉर्ड है कि उन्होंने आडवाणी जी, मुरली मनोहर जोशी जी, केशूभाई पटेल जी, शांता कुमार जी, यशवंत सिन्हा जी और कई अन्य लोगों की जबरन सेवानिवृत्ति करवाई।