यूएपीए से सच दबाया नहीं जा सकता : राहुल गांधी

नई दिल्ली। पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा में हुई हिंसा की घटना पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने राज्य की पुलिस द्वारा 102 लोगों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (निषेध) कानून (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किए जाने की पृष्ठभूमि में सोमवार को कहा कि इस तरह सच्चाई को दबाया नहीं जा सकता। त्रिपुरा पुलिस ने राज्य में अल्पसंख्यकों को निशाना बनाकर हुई हिंसा के संबंध में सोशल मीडिया पर पोस्ट डालकर कथित रूप से साम्प्रदायिक वैमनस्य फैलाने को लेकर उच्चतम न्यायालय के चार वकीलों के खिलाफ कठोर कानून यूएपीए और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘त्रिपुरा के जलने के बारे में बताना सुधारात्मक कदम उठाने का आह्वान है। परंतु भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर्दा डालने की अपनी पसंदीदा तरकीब के तहत संदेशवाहक को ही निशाना बना रही है। यूएपीए के जरिए सच को दबाया नहीं जा सकता। गौरतलब है कि त्रिपुरा पुलिस ने शनिवार को 102 सोशल मीडिया खाता धारकों के खिलाफ आपराधिक साजिश और फर्जीवाड़े के आरोपों में यूएपीए तथा भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया और ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब प्रशासन को नोटिस भेजकर इन खातों को फ्रीज करने और उनके बारे में सभी जानकारी मुहैया कराने को कहा है। त्रिपुरा में उच्चतम न्यायालय के वकीलों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों समेत 102 लोगों पर पुलिस की कार्रवाई पर हो-हल्ला मचने के बाद राज्य की पुलिस ने लोगों से कहा है कि वे सोशल मीडिया के अपुष्ट पोस्ट पर विश्वास न करें। पुलिस ने चेतावनी दी है कि अगर वे इस तरह के पोस्ट लाइक करते हैं या रीट्वीट करते हैं तो यह ‘अफवाह फैलाने की श्रेणी’ में आएगा। त्रिपुरा पुलिस ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर कहा कि वे हालिया सांप्रदायिक मामलों की जांच पूरी तरह ‘निष्पक्ष तरीके से और कानून के तहत’ कर रहे हैं। राज्य पुलिस की कार्रवाई पर विपक्षी दलों, मानवाधिकार संगठनों और एडटिर्स गिल्ड ने सवाल उठाए हैं। पुलिस ने कहा कि ‘कुछ पोस्ट और लोगों के खिलाफ विभिन्न अपराधों के लिए मामले दर्ज’ किए गए हैं। इससे पहले दिन में विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने कथित तौर पर ‘सांप्रदायिक विद्वेष फैलाने के लिए’ दर्ज मामले वापस लेने की मांग की है।

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