नई दिल्ली। दिल्ली की तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे जेकेएलएफ प्रमुख यासीन मलिक मामले में जेल प्रशासन ने एक्शन लिया है। जेल प्रशासन की ओर से सुरक्षा में चूक मामले में चार अधिकारियों को सस्पेंड किया गया है। सस्पेंड किए गए अधिकारियों में 1 डिप्टी सुपिरटेंडेंट, 2 असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट और 1 अन्य अधिकारी शामिल हैं। इसके पहले मलिक के सुप्रीम कोर्ट में पेश होने से सनसनी मच गई थी। इस मामले को लेकर तिहाड़ जेल प्रशासन की काफी आलोचना होने लगी थी। दिल्ली कारागार विभाग ने पहली नजर में कुछ अधिकारियों की लापरवाही का मामला बताया था।
दरअसल उपमहानिरीक्षक (कारागार-मुख्यालय) राजीव सिंह लापरवाही का पता लगाने और गलती करने वाले अधिकारियों की जवाबदेही तय करने के लिए जांच करने की बात कही गई थी। साथ तीन दिन के भीतर महानिदेशक (कारागार) को रिपोर्ट सौंपने की बात कही गई थी। यासीन को आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन मुहैया कराने के मामले में दोषी करार दिया गया है। मलिक को अदालत के आदेश के बगैर सशस्त्र सुरक्षाकर्मियों की निगरानी में जेल के वाहन में हाई सिक्योरिटी वाले सुप्रीम कोर्ट के परिसर में लाया गया। मलिक के अदालत कक्ष में कदम रखते ही वहां मौजूद सभी लोग हैरान रह गए।
मलिक की मौजूदगी पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने हैरानी जाहिर की थी। उन्होंने जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेच से कहा कि हाई रिस्क वाले दोषियों को अपने मामले की व्यक्तिगत तौर पर पैरवी करने के लिए अदालत कक्ष में आने की मंजूरी देने की एक प्रक्रिया है।