दोनो देशों के बीच अरबों रूपये का डिफेंन्स करार
नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे से पहले ही दोनों देशों के बीच दोस्ती की इबारत लिखी गई। इस बीच भारत ने एक डिफेंस करार अमेरिका से किया है, जिसके तहत उसे एमक्यू-9बी प्रीडेटर ड्रोन मिलेंगे। इन ड्रोन्स की खासियत यह है कि ये टारगेट को सेट करके मार देते हैं। इनका सर्विलांस सिस्टम दुनिया में सबसे बेहतर माना जाता है। इसके चलते दुश्मनों को खोजकर और उनके ठिकाने में इनके जरिए मारना आसान है। इन ड्रोन्स की ताकत को इससे भी समझा जा सकता है कि अमेरिका ने काबुल की एक गली में घुसकर अलकायदा के सरगना अयमान अल-जवाहिरी को इसी से मारा था। ईरानी सेना के कमांडर रहे कासिम सुलेमानी को भी अमेरिका ने इसी ड्रोन के जरिए इराक में मारा था। इन ड्रोन्स के जरिए समुद्री क्षेत्र में निगरानी करना बेहद आसान होगा। ये ड्रोन्स 30 घंटे तक किसी भी मौसम में लगातार उड़ सकते हैं। अमेरिकी कंपनी जनरल एटॉमिक्स से भारत सरकार इन्हें खरीद रही है। कंपनी की वेबसाइट पर इन ड्रोन्स के बारे में बताया गया है कि ये सिविल एयर स्पेस, जॉइंट फोर्सेज के अभियान और समुद्री क्षेत्र में भी एक समान रफ्तार से उड़ सकते हैं और दुश्मन पर वार कर सकते हैं। दुश्मन पर हमले और नजर रखने के अलावा इनके जरिए किसी आपदा में मानवीय सहायता पहुंचाने, सर्च और रेस्क्यू ऑपरेशन चलाने में भी मदद मिल सकती है। यही नहीं समुद्र में पनडुब्बियों पर हमला करने में भी ये सक्षम हैं। भारत के अलावा क्वाड देशों में शामिल जापान और ऑस्ट्रेलिया के पास भी ये ड्रोन रहे हैं। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि इन ड्रोन्स के जरिए नेवी को बड़ी ताकत मिलेगी। उसे समुद्री क्षेत्रों में दुश्मन की हर गतिविधि पर नजर रखने में मदद मिलेगी। इसके अलावा जरूरत के वक्त युद्ध अभियानों में भी इनका इस्तेमाल हो सकेगा। सूत्रों का कहना है कि भारत ने कुल 30 ड्रोन्स के लिए डील की है। इनमें से 14 ड्रोन नेवी को मिलने हैं, जबकि 8-8 थल सेना और वायुसेना को मिलने हैं। अमेरिकी सेना ने इन ड्रोन्स का इस्तेमाल करते हुए अफगानिस्तान में 230 किलो विस्फोटक से दुश्मन के 16 ठिकानों को ध्वस्त कर दिया था। इन ड्रोन्स के भी दो स्वरूप हैं, सी गार्डियन और स्काई गार्डियन।
मोदी के अमेरिकी दौरे से पूर्व भारत ने यूएस से की 30 ड्रोन की डील
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