नई दिल्ली। 2023 में भारत की अर्थव्यवस्था किस गति से बढ़ेगी, इसबारे में दिग्गज ब्रोकरेज फर्म मॉर्गन स्टेनली ने अपनी राय रखी है। फर्म ने भारतीय जीडीपी की ग्रोथ में अपने ही पुराने अनुमान में 30 आधार अंकों अथवा 0.30 फीसदी की कटौती करते हुए कहा है कि वित्त वर्ष 2023 में यह 7.6 फीसदी रह सकती है और 2024 में यह 6.7 फीसदी रहने की संभावना है। एजेंसी ने कटौती के पीछे अपने कारण भी गिनाए हैं। खबर के मुताबिक, वैश्विक स्तर पर आई मंदी, तेल की बढ़ती कीमतें और कमजोर घरेलू मांग के चलते एशिया की तीसरी सबसे बड़ी इकॉनमी को कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। फर्म ने ये तमाम चीजों का जिक्र अपने एक नोट में किया है।
एजेंसी के अनुसार, भारत में महंगाई में उछाल आया है और महंगाई दर 17 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है, जिससे विकास प्रभावित हो रहा है। नोट में कहा गया है कि रूस-यूक्रेन संकट के कारण कच्चे तेल की कीमतें बढ़ गई हैं। और इसका असर ये है कि खुदरा महंगाई नई ऊंचाई पर पहुंच गई है। एजेंसी ने महंगाई के साथ-साथ कमजोर मांग, आर्थिक मोर्चे पर दबाव, कारोबारी सेंटीमेंट्स पर बुरा असर और कैपेक्स रिकवरी में देरी को भी कटौती के कारणों में शामिल किया गया है। कहा गया है कि महंगाई और चालू खाते के घाटे को की स्थिति और खराब हो सकती है, क्योंकि दुनिया भर में कमोडिटी की कीमतों में बढ़ोतरी का दबाव आगे भी जारी रहेगा। कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के दबाव को कम करने के लिए भारत रियायती दरों पर रूस से तेल का आयात भी कर रहा है, जो हाल ही में 139 डॉलर प्रति बैरल को छू गया था। भारत अपनी तेल से जुड़ी जरूरतों का लगभग 80 प्रतिशत आयात के माध्यम से पूरा करता है और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों से देश का व्यापार और चालू खाता घाटा बढ़ जाता है। इससे रुपये को भी नुकसान होता है और आयातित मुद्रास्फीति को बढ़ावा मिलता है।
मॉर्गन स्टेलनी ने घटाया भारत की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान
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