मिठाई खाकर आरोपी के वश मे हुई किशोरी

शादी का झांसा देकर दुष्कर्म के आरोपी को अदालत ने सुनाई 20 साल की सजा
बांधवभूमि, हुकुम सिंह
नौरोजाबाद। तहसील क्षेत्र अंतर्गत ग्राम बेलसरा निवासी एक किशोरी को झांसा देकर उसके सांथ दुष्कर्म के मामले मे अदालत ने आरोपी को 20 साल की सजा सुनाई है। प्रकरण के संबंध मे जानकारी देते हुए अभियोजन पक्ष के मीडिया प्रभारी नीरज पाण्डेय ने बताया कि पीडिता 26 मार्च 2019 को शाम 4 बजे खेत जाने के लिये घर से निकली थी। रात होने के बाद भी जब वह वापस नहीं आई तो परिजन परेशान हो गये। युवती की काफी तलाश करने के बाद भी जब उसका कहीं पता नहीं चला तो पिता ने घटना की सूचना पुलिस को दी। विवेचना के दौरान 5 अप्रेल 2019 को पुलिस ने पीडिता को जिला डिडौंरी मे आरोपी महेश सिंह के रिहायशी मकान से दस्तायाब कर लिया।
गांव की लड़की ने कराया संपर्क
पीडिता ने बताया कि आरोपी महेश बेलसरा मे चल रही जेसीबी मशीन मे हेल्पहर का काम करता था। मशीन का ड्रायवर गुड्डा सिंह गांव के अशोक सिंह के घर मे रहता था।अशोक सिंह की लड़की दिव्याा ने ही उसे महेश का मोबाईल नंबर देकर कहा था कि वह तुमसे शादी करना चाहता है। तभी से किशोरी महेश से बात करने लगी। इसी बीच आरोपी ने उसे मोबाईल भी दे दिया।
जगह-जगह हुआ दैहिक शोषण
पुलिस के मुताबिक पीडि़ता अशोक सिंह के घर के सामने लगे हैण्डपंप से पानी भरने जाती थी। वहीं एक दिन महेश ने उसे तथा दिव्या की बहन कंचन को मिठाई खिला दी, तभी से उसे केवल वही दिखने लगा। इसी दौरान आरोपी उसे रहठा से भगा कर पिपरिया ले गया। वहां से युवती को डिण्डौरी ले जाकर कमरे मे बंद कर दिया। जहां से वह लुगदरा और मझौली भी ले जाई गई। इस दौरान लगातार उसका दैहिक शोषण होता रहा। इस मामले मे पुलिस ने अभियुक्त के विरूद्ध धारा 363, 366, 376(2)(एन) 342, 376, 506 तथा धारा 4, 6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम का आपराध पंजीबद्ध कर विवेचना उपरांत अभियोग पत्र न्यायालय मे प्रस्तुत किया। प्रकरण की विवेचना आरएस मिश्रा ने की।
इन-इन धाराओं मे पड़ी सजा
राज्य की ओर से मामले की पैरवी करते हुए जिला लोक अभियोजन अधिकारी श्रीमती अर्चना मरावी तथा सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी बीके वर्मा ने न्यायालय से आरोपी को कठोर दंड देने का आग्रह किया। प्रकरण का सूक्ष्म परिशीलन कर दोष सिद्ध पाये जाने पर विशेष न्यायाधीश श्री विवेक सिंह रघुवंशी की अदालत ने आरोपी महेश सिंह परस्ते धारा 363 मे 7 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 500 रूपये का अर्थदण्ड, 366, 376(2) के अंतर्गत 10-10 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 500-500 रूपये का जुर्माना तथा लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धाराओं के तहत 20-20 वर्ष की सजा एवं 500-500 रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया है।

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