मासूमो के शरीर मे गड़ रहा गणवेश
स्कूलों मे सप्लाई घटिया ड्रेस से परेशान नौनिहाल, भ्रष्टाचार की चपेट मे शासन की योजना
उमरिया। शासन की मंशा है कि स्कूल मे न सिर्फ बच्चों को मुफ्त मे शिक्षा के सांथ पौष्टिक भोजन मिले बल्कि गुणवत्तापूर्ण गणवेश भी दिया जाय ताकि सुविधा के सांथ पढ़ाई के प्रति उनकी रूचि मे इजाफा हो। इसके लिये करोड़ों रूपये खर्च भी किये जा रहे हैं परंतु विभागों से स्कूलों तक फैला भ्रष्टाचार का जाल मासूमो के हक को उन तक पहुंचने ही नहीं दे रहा। हाल ही मे कई स्कूलों के बच्चों ने इस बात की शिकायत की है कि उन्हे दिया गया गणवेश इतनी खराब क्वालिटी का है कि पहना ही नहीं जा रहा। उनका कहना है कि ड्रेस का कपड़ा शरीर मे गड़ता है, सांथ ही उसकी सिलाई और फिटिंग भी इतनी उम्दा है कि एक बार की पहनाई मे ही उखड़ कर बराबर हो जा रही है। इस समस्या के कारण कई बच्चों ने गणवेश पहनने से ही इंकार कर दिया है। जिसका नतीजा है कि सरकार द्वारा लाखों रूपये की कीमत से खरीदी गई सामग्री कबाड़ हो चुकी है। सवाल उठता है कि बच्चों के लिये इतने गुणवत्ताहीन गणवेश कैसे खरीदे गये और बिना जांच के इसका भुगतान कैसे कर दिया गया।
दौड़ कर देते आवंटन की जानकारी
स्कूलों, आश्रमो तथा छात्रावासी छात्रों के लिये शासन द्वारा विभिन्न योजनायें संचालित की जा रही हैं लेकिन इसके लिये आने वाले बजट पर गिद्ध दृष्टि जमाये बेईमान कारोबारी और विभागों मे कर्मचारियों के भेष मे बैठे दलाल इस मंशा पर पलीता लगा रहे हैं। बताया गया है कि जैसे ही सामग्री की खरीदी के लिये राशि का आवंटन होता है, विभागों के कर्मचारी दौड़ कर इन चुनिंदा दुकानदारों तक पहुंच जाते हैं, फिर शुरू होता है मिलीभगत से पैसे की बंदरबांट का खेल।
चुनिंदा कारोबारियों का कब्जा
सूत्रों के मुताबिक आदिम जाति कल्याण विभाग, शिक्षा विभाग, सर्व शिक्षा अभियान सहित अनेक विभागों मे बीते कई वर्षो से जिले के कुछ चुनिंदा कारोबारियों का कब्जा है। जिनसे हर साल लाखों रूपये के सामान की खरीददारी की जा रही है। इतनी बड़ी सप्लाई के लिये ना तो अखबारों मे कोई निविदा जारी होती है ना ही निर्धारित प्रक्रिया का पालन ही किया जाता है। इतना ही नहीं सेटिंग और कमीशनबाजी के कारण प्रदाय सामग्री के गुणवत्ता की भी कोई जांच नहीं होती।
कलेक्टर ने दिये आदेश
हाल ही मे राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन तथा राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के समूहों द्वारा विद्यालयों को बना बनाया गणवेश प्रदाय करने की शिकायत प्राप्त हुई है। जिसे कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने गंभीरता से लेते हुए कार्यवाही के निर्देश दिये हैं। बताया गया है कि मिशन के समूहों ने गणवेश को स्वयं न कर बना-बनाया गणवेश विद्यालयों को प्रदाय किया जा रहा है। जिस पर कलेक्टर ने ऐसे सभी समूंहों को मात्र गणवेश मे लगने वाले कपड़े की राशि का भुगतान करने तथा सिलाई की राशि का भुगतान न करने को कहा है। सांथ ही जिन समूहों को भुगतान हो चुका है, उनसे सिलाई की राशि वसूलने के आदेश दिये गये हैं।