जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव मे सावित्री सिंह के साथ हुए पक्षपात का मामला
बांधवभूमि, उमरिया। जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव मे प्रत्याशी सावित्री सिंह के साथ पक्षपात के मामले मे मानव अधिकार आयोग ने मध्यप्रदेश शासन से जवाब मांगा है। मुख्य सचिव को लिखे पत्र मे घटना का पूरा विवरण भी दिया गया है। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा ने 4 सप्ताह के अंदर जवाब प्रस्तुत करने के लिए कहा है। साथ ही यह भी कहा गया है कि अगर निर्धारित समयावधि मे जवाब नहीं दिया जाता है तो संबंधित पदाधिकारियों को मानव अधिकार आयोग के समक्ष उपस्थित होने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। यह मामला 29 जुलाई 2022 का है।
यह है आरोप
जिला पंचायत सदस्य श्रीमती सावित्री सिंह ने अपनी शिकायत मे आरोप लगाया है कि जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में उन्हें जानबूझकर हराया गया है। शिकायत मे उन्होंने कहा है कि उनकी प्रतिद्वंदी और उन्हें पांच-पांच मत प्राप्त हुए थे, इसके पश्चात लॉटरी सिस्टम से परिणामों को स्पष्ट किया जाना था। जिसके लिए दो पर्चियां डाली गई थी। लेकिन जब पर्चियां निकाली गई तो पर्चियां को दिखाने की जगह कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने उन्हें छिपाने का प्रयास किया और दूसरी पर्ची दिखाकर पक्षपात पूर्वक कार्रवाई करते हुए सावित्री सिंह को चुनाव मे पराजित कर दिया गया। इतना ही नहीं उनके मानव अधिकार का हनन भी किया गया और उनके साथ अभद्रता की गई। उन्हें सबके सामने घसीटा गया।
थाने पहुंचा मामला
यह मामला जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव का है। जब 29 जुलाई को चुनाव के दौरान गड़बडिय़ां हुई तो कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने थाने पहुंचकर पहले से ही जिला पंचायत सदस्य और अध्यक्ष पद की प्रत्याशी श्रीमती सावित्री सिंह के खिलाफ मारपीट का मामला दर्ज करा दिया। इसके बाद जब सावित्री सिंह कलेक्टर के खिलाफ शिकायत करने पहुंची तो उनकी शिकायत ही नहीं ली जा रही थी काफी प्रयास के बाद पुलिस ने उनकी शिकायत तो ले ली लेकिन अपराध दर्ज नहीं किया। परिणाम स्वरूप सावित्री सिंह ने इस मामले की शिकायत मानव अधिकार आयोग सहित कई जगह कर दी।
आदिवासी हुए सक्रिय
श्रीमती सावित्री सिंह के साथ हुई इस घटना के बाद आदिवासी समाज के लोग सक्रिय हो गए और इस घटना का विरोध करने लगे। उमरिया नगर मे भी इस घटना के विरोध मे मोर्चा निकाला गया और ज्ञापन सौंपा गया। यह मामला अभी भी विवादों मे बना हुआ है और पिछले दिनों इस मामले मे हाईकोर्ट ने भी राज्य सरकार को नोटिस देकर जवाब देने के लिए कहा था।
मानव अधिकार आयोग ने मांगा सरकार से जवाब
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