महंगाई से राहत की उम्मीद नहीं

पेट्रोल 95 रुपए और डीजल 86 के पार
नई दिल्ली। पेट्रोल-डीजल के रेट आए दिन रिकॉर्ड बना रहे हैं। इनकी कीमतों में गुरुवार को लगातार तीसरे दिन बढ़ोतरी हुई। इससे बाद भोपाल में पेट्रोल का रेट 95.76 रुपए और डीजल का 86.08 रुपए पहुंच गया। देश की राजधानी दिल्ली में पेट्रोल का रेट 87.85 रुपए और डीजल का 78.03 रुपए प्रति लीटर हो गया। आने वाले दिनों में भी इनकी कीमतों में कमी होने के आसार नहीं हैं, क्योंकि क्रूड की मांग बढ़ने से इसका रेट लगातार बढ़ रहा है। वहीं, सरकार ने भी पेट्रोल-डीजल पर टैक्स घटाने से इनकार कर दिया है।
42 दिनों में ही 15 बार बढ़े दाम
फरवरी में अब तक पेट्रोल-डीजल के रेट में 5 बार बढ़ोतरी हुई है। इस दौरान दिल्ली में पेट्रोल 1.55 रुपए और डीजल भी इतना ही महंगा हुआ है। इससे पहले जनवरी में रेट 10 बार बढ़े। इस दौरान पेट्रोल की कीमत में 2.59 रुपए और डीजल में 2.61 रुपए की बढ़ोतरी हुई थी।तेल उत्पादक देशों के प्रोडक्शन घटाने, दुनियाभर में आर्थिक गतिविधियों में तेजी और अमेरिका में नए राहत पैकेज को लेकर पॉजिटिव अपडेट से कच्चे तेल की मांग बढ़ रही है। तेल उत्पादक देशों के साथ ही अमेरिका ने भी प्रोडक्शन घटाया है। इन वजहों से पिछले 6 महीनों में ब्रेंट क्रूड के रेट 17 डॉलर प्रति बैरल बढ़ चुके हैं।1 जनवरी को ब्रेंट क्रूड का रेट 51 डॉलर प्रति बैरल था, जो अब बढ़कर 60 डॉलर पर पहुंच गया है। यानी 42 दिनों में इसकी कीमत में 20% इजाफा हुआ है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक आने वाले दिनों में भी ब्रेंट क्रूड का रेट 60 डॉलर की रेंज में ही रहेगा।

सरकार ने राहत देने से इनकार किया
पेट्रोलियम और नेचुरल गैस मंत्रालय ने बुधवार को साफ कर दिया कि पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले टैक्स में कोई कटौती नहीं की जाएगी। राज्यसभा में एक लिखित सवाल के जवाब में पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि सरकार के पास पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले टैक्स को घटाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। उन्होंने कहा कि पेट्रोल और डीजल पर टैक्स बढ़ाना या कम करना सरकार की जरूरतों और मार्केट की स्थिति पर निर्भर करता है।

एक्साइज ड्यूटी से सरकार की कमाई 5 सालों में दोगुनी हुई
2014 में मोदी सरकार आने के बाद वित्त वर्ष 2014-15 में पेट्रोलियम प्रोडक्ट पर एक्साइज ड्यूटी से 1.72 लाख रुपए की कमाई हुई थी। 2019-20 में यह आंकड़ा 3.34 लाख करोड़ रुपए पहुंच गया। यानी सिर्फ 5 सालों में ही एक्साइज ड्यूटी से केंद्र सरकार की कमाई दोगुनी हो गई। वहीं राज्यों को पेट्रोल-डीजल पर वैट लगाने से होने वाली कमाई 5 साल में 43% बढ़ी है। वित्त वर्ष 2014-15 में इससे होने वाली कमाई 1.37 लाख करोड़ थी जो 2019-20 में बढ़कर 2 लाख करोड़ पर पहुंच गई। कोरोना की वजह से लगाए गए लॉकडाउन के बावजूद चालू वित्त वर्ष 2020-21 की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) में वैट से 78 हजार करोड़ की कमाई हुई है।

शराब नहीं, ईंधन से बढ़ा MP का राजस्व

राज्य में शराब की खपत हर साल 21% सालाना बढ़ रही है, लेकिन उससे राजस्व की सालाना वृद्धि 19.54% ही रही। इसकी तुलना में पेट्रोल-डीजल की बिक्री में बढ़ोतरी 7% से भी कम रही, लेकिन इससे खजाने में हर साल 34% ज्यादा पैसा आ रहा है। सरकार के अपने आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं। खास बात यह है कि सरकार को पेट्रोल-डीजल की टैक्स वसूली के लिए अपना अमला नहीं लगाना पड़ता। तेल कंपनियां खुद ही यह टैक्स एकत्र करके सरकार के खजाने में जमा करा देती हैं। लेकिन शराब समेत दूसरे मदों में राजस्व उगाही का जिम्मा सरकार के विभागों का होता है। जानकार कहते हैं कि सरकार अपने अमले के जरिए शराब समेत दूसरे मदों में आय नहीं बढ़ा पा रही है। इसका खामियाजा आम आदमी को पेट्रोल-डीजल के बढ़े दाम देकर चुकाना पड़ रहा है।

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