स्टॉक सिर्फ 3-4 दिन का ही बचा, 1 हजार पंप सूखे
भोपाल। मध्यप्रदेश में डीजल-पेट्रोल सप्लाई की अघोषित कटौती से संकट गहरा सकता है। प्रदेश के १ हजार पंप सूखने जैसी स्थिति में हैं। आगरा-मुंबई रोड और दूसरे हाईवे पर मौजूद आधे से ज्यादा (६० प्रतिशत) पंपों पर डीजल खत्म हो गया है। जिन पंपों पर ईंधन है भी, तो वहां तीन-चार दिन का ही स्टॉक बचा है। पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन मप्र के अध्यक्ष अजय सिंह ने बताया, इंडियन ऑयल की तो सप्लाई ठीक है, लेकिन हिंदुस्तान और भारत पेट्रोलियम ने सप्लाई कम कर दी। भौंरी स्थित डिपो की टाइमिंग भी २ घंटा घटा दी है। ऐसे में डीलर्स को पर्याप्त ईंधन नहीं मिल रहा है। प्रदेश में तेल कंपनियों ने पेट्रोल-डीजल की सप्लाई करीब ४०त्न तक घटा दी। इससे पंप ड्राई हो रहे हैं। राजधानी भोपाल में ही दिन में १० पेट्रोल पंप पर पेट्रोल-डीजल खत्म हो जाता है। पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के अनुसार, प्रदेश में हर रोज २.७७ करोड़ लीटर पेट्रोल-डीजल की खपत होती है, लेकिन कंपनियां करीब १ करोड़ लीटर ईंधन कम दे रही हैं। प्रदेश में भोपाल के भौंरी समेत इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर में कंपनियों के तेल डिपो हैं, जहां से प्रदेशभर में पेट्रोल-डीजल की सप्लाई होती है। एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय सिंह ने बताया, केंद्र सरकार के पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटाने के बाद तेल कंपनियों ने सप्लाई कम कर दी है। यदि सप्लाई ठीक नहीं हुई तो आने वाले कुछ दिन के बाद स्थिति गंभीर हो सकती है। सबसे ज्यादा डीजल को लेकर दिक्कत है। हालांकि, अभी कुछ दिन का स्टॉक बचा है। यह खत्म होने के बाद परेशानी बढ़ सकती है। हालांकि, सप्लाई घटाने को लेकर कंपनियों का अधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन डीलर्स को कंपनियां घाटा होने की बात कह रही है।
आपूर्ति बाधित होने से बोवनी का कार्य होगा प्रभावित:कमल नाथ
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ ने कहा कि भोपाल सहित प्रदेश में अधिकांश जगहों पर पेट्रोल पंपों पर तेल की आपूर्ति का संकट खड़ा हो गया है। आगे हालात और बिगड़ सकते हैं। खरीफ फसलों की बोवनी और उसकी तैयारी के लिए डीजल की मांग बढ़ रही है। आपूर्ति बाधित होने से बोवनी का कार्य प्रभावित होगा। किसान पहले से खाद, बीज और बिजली के संकट से परेशान हैं। डीजल आपूर्तिकी व्यवस्था यदि बहाल नहीं होती है तो सार्वजनिक परिवहन और सामग्रियों की आपूर्ति का संकट खड़ा हो जाएगा। वहीं पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा कि डीजल और पेट्रोल की आपूर्ति में पचास प्रतिशत की कटौती की गई है। इससे किसान परेशान हैं क्योंकि अब खेती के अधिकांश कार्य ट्रेक्टर से होते हैं। इसके लिए डीजल चाहिए। ऐसे समय में तेल कंपनियां घाटा कम करने के लिए तेल की बिक्री कम करने का काम कर रही हैं, जो चिंता का विषय है। इस पर सरकार को तत्काल संज्ञान लेकर उचित कदम उठाने चाहिए।
मप्र में गहराया पेट्रोल-डीजल संकट, 40 प्रतिशत तक घटी सप्लाई
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