इंफाल। मणिपुर मे ३ मई से जारी हिंसा की चपेट में सिर्फ आम लोग नहीं, बल्कि डॉक्टर और पुलिस कर्मचारी भी इसके घेरे में आ गए हैं। सूत्रों की मानें तो ४५ हजार से ज्यादा कॢमयों वाली पुलिस दो धड़ों में बंट चुकी है। अपनी सुरक्षा के लिए मैतेई समुदाय के पुलिस वाले इंफाल घाटी और कुकी समुदाय के पुलिस वाले पहाड़ों की तरफ जा रहे हैं। पुलिस पर ये आरोप भी लगा है कि उसने हिंसा के दौरान हालात को सही तरीके से नहीं संभाला। इस कारण लोगों को न सुरक्षा मिल पा रही है, न चिकित्सा और न ही भोजन। ऐसे में लोगों का जीवन नारकीय हो गया है। पिछले महीने मणिपुर पुलिस के चीफ बनाए गए राजीव सिंह की इस वक्त सबसे बड़ी जिम्मेदारी यही है कि वे राज्य में शांति बहाल करें और पुलिस कर्मचारियों के मन में भरोसा जगाकर उन्हें साथ रख सकें। राजीव सिंह १९९३ बैच के त्रिपुरा कैडर के आईपीएस अफसर हैं। मणिपुर पुलिस चीफ बनने से पहले वे सीआरपीएफ में डेप्युटेशन पर थे। अधिकारियों के मुताबिक, राजीव सिंह जब पुलिस चीफ बने तो उन्होंने देखा कि करीब १२०० कर्मचारी ड्यूटी से गायब थे। ऐसे में उन्होंने सबसे पहले इन पुलिस वालों की पहचान की और उन्हें अपनी मनचाही जगह पर ड्यूटी जॉइन करने की इजाजत दी। अधिकारियों का कहना है कि अब तक १,१५० पुलिस वाले ड्यूटी पर लौट आए हैं।
मणिपुर मे दो धड़ों मे बंटे पुलिस और डॉक्टर
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