मणिपुर में 24 घंटे में उग्रवादियों के 12 बंकर ध्वस्त

सुरक्षाबलों ने 8 जिलों में सर्च ऑपरेशन चलाया, राज्य के हालात पर पीएम से मिले शाह
इंफाल। मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदाय के बीच आरक्षण को लेकर पिछले 53 दिनों से हिंसा जारी है। सुरक्षाबलों और पुलिस ने राज्य के 7 जिलों में सर्च ऑपरेशन चलाया। जानकारी के मुताबिक, मणिपुर पुलिस और सुरक्षाबलों ने इन जिलों में पिछले 24 घंटों में हिंसा फैलाने वाले लोगों के 12 बंकर नष्ट किए हैं। पुलिस ने इन्हें उग्रवादी बताया है।
सुरक्षाबलों ने तामेंगलोंग, इंफाल ईस्ट, बिष्णुपुर, कांगपोकपी, चुराचांदपुर और काकचिंग जिलों में जॉइंट ऑपरेशन चलाया और हिल और वैली दोनों जगह इन बंकरों को नष्ट कर दिया। मणिपुर के हालात को लेकर गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार को नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। उन्होंने पीएम को 24 जून को सर्वदलीय बैठक में हुई चर्चा की भी जानकारी दी।
भारी मात्रा में गोला-बारूद बरामद
पुलिस ने बताया कि सर्च ऑपरेशन के दौरान तीन 51 मिमी मोर्टार और 84 मिमी मोर्टार गोले साहुमफाई गांव के खेत में पाए गए। कांववई और एस कोटलियान गांव के बीच के एक खेत में एक आईईडी भी मिला। इन्हें नष्ट कर दिया गया है। पुलिस ने बताया कि पिछले दो महीनों में 1100 हथियार, 13,702 गोला-बारूद और 250 बम को राज्य के अलग-अलग इलाकों से जब्त किया गया है। मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। एसटी वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50 प्रतिशत है। राज्य के करीब 10 प्रतिशत इलाके में फैली इम्फाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90 प्रतिशत इलाके में रहते हैं।
कैसे शुरू हुआ विवाद
मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (स्ञ्ज) में शामिल किया जाए। मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी को युद्ध लडऩे के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लडऩे के लिए आम्र्स ग्रुप बनाया। नगा-कुकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इम्फाल घाटी में हैं। ऐसे में स्ञ्ज वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।

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