अधिक मुआवजे की मांग वाली याचिका खारिज, सुको ने कहा-दिया जा चुका 6 गुना दाम
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने 1984 भोपाल गैस त्रासदी पीड़ितों के लिए अतिरिक्त मुआवजे की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है। केंद्र सरकार ने याचिका में भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के लिए यूनियन कार्बाईड की उत्तराधिकारी कंपनियों से 7844 करोड़ रुपये अतिरिक्त मुआवजे दिलाने के लिए याचिका लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने अदालत को दिए गए केंद्र सरकार के वचन के अनुसार पीड़ितों के लिए बीमा पॉलिसी तैयार नही करने पर केंद्र सरकार को लताड़ लगाई।सुप्रीम कोर्ट ने 1984 की भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के लिए यूनियन कार्बाइड कंपनी की उत्तराधिकारी कंपनियों से 7400 करोड़ रुपये के अतिरिक्त मुआवजे की मांग की क्यूरेटिव पिटीशन मंगलवार को खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि याचिका कानून के तहत चलने योग्य नहीं है। इस मामले के तथ्यों में कोई दम नहीं है।
दो दशक बाद याचिका
जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ ने कहा कि समझौते के 2 दशक बाद केंद्र द्वारा इस याचिका को लाने का कोई औचित्य नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के लिए रिजर्व बैंक के पास जमा 50 करोड़ रुपये की राशि का उपयोग सरकार लंबित दावों को पूरा करने के लिए करे।पीठ ने कहा,दो दशक बाद इस मुद्दे को उठाने के लिए कोई तर्क प्रस्तुत नहीं करने के लिए केंद्र की याचिका से असंतुष्ट हैं।जस्टिस संजीव खन्ना, अभय एस ओका, विक्रम नाथ और जेके महेश्वर की बेंच ने भी 12 जनवरी को केंद्र की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। केंद्र सरकार ने याचिका के माध्यम से 7,844 करोड़ रुपये की मांग की थी। केंद्र सरकार 1989 में समझौते के तहत अमेरिकी कंपनी से अतिरिक्त उत्तराधिकारी कंपनियों से 7,844 करोड़ रुपये और दिलाने की मांग की थी।उल्लेखनीय है 1984 की मध्यरात्रि को यूनियन कार्बाइड कारखाने से जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट गैस के रिसाव में 3,000 से अधिक लोग मारे गए थे। भोपाल के करीब 1।02 लाख अधिक लोग इस गैस से प्रभावित हुए थे। 1989 में हुए समझौते के तहत यूनियन कार्बाइड ने मुआवजा राशि सरकार को दे दी थी।
गैस पीड़ितों की संख्या बढ़ी तो हर्जाना भी बढ़े
जनवरी में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने अपनी याचिका में कहा था- सुप्रीम कोर्ट ने 1989 में एक लाख से ज्यादा पीड़ितों को ध्यान में रखकर हर्जाना तय किया था, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, गैस पीड़ितों की संख्या ज्यादा हो चुकी है। ऐसे में हर्जाना भी बढ़ना चाहिए।
मौत का आंकड़ा 25 हजार से ज्यादा
गैस पीड़ित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष बालकृष्ण नामदेव ने बताया था कि 1997 में मृत्यु के दावों के रजिस्ट्रेशन को रोकने के बाद सरकार सुप्रीम कोर्ट को बता रही है कि आपदा से केवल 5,295 लोग मारे गए। आधिकारिक रिकॉर्ड बताते हैं कि 1997 के बाद से आपदा के कारण होने वाली बीमारियों से हजारों लोग मरते रहे हैं। मौतों का असली आंकड़ा 25 हजार से ज्यादा है।भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा के मुताबिक, यूनियन कर्बाइड को इसकी जानकारी थी कि गैस रिसाव की वजह से स्थायी नुकसान होगा। सरकार से भी यह बात छुपाई गई थी।