खुफिया एजेन्सियों का दावा, नेपाली संगठनों को प्रदर्शन के लिए दिये 2.5 करोड़
नई दिल्ली। चीन नेपाल के संगठनों को भारत विरोधी प्रदर्शन करने के लिए खरीद रहा है। खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, चीन ने भारत से सटे इलाकों में काम करने वाले कई नेपाली संगठनों को इसके लिए तैयार किया है। इन संगठनों को भारत और नेपाल के बीच चल रहे सीमा विवाद को लेकर प्रदर्शन करने को कहा गया है। इसके लिए चीनी दूतावास ने नेपाली संगठनों को २.५ करोड़ नेपाली रूपये दिए हैं। नेपाल की राजनीति में भारत के दखल के लेकर भी चीन इन संगठनों को प्रदर्शन करने के लिए कह रहा है। भारत और नेपाल के बीच १७०० किमी. लंबी सीमा है। भारत ने लिपुलेख से धारचूला तक सड़क बनाई है। रक्षा मंत्री राजनाथ ङ्क्षसह ने ८ मई को वीडियो कॉन्फ्रेंङ्क्षसग के जरिए इसका उद्घाटन किया था। इसके बाद नेपाल ने नया नक्शा जारी कर भारत के तीन इलाकों लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को अपना दावा पेश किया था। दोनों देशों के बीच इन तीन इलाकों को लेकर ही सीमा विवाद है।
गोरखा कम्युनिटी पर स्टडी के लिए भी दिये पैसे
चीन ने गोरखा युवाओं पर स्टडी के लिए काठमांडू के एक एनजीओ को १२.७ लाख नेपाली रु पए दिए हैं। चीन यह पता लगाना चाहता है कि गोरखा समुदाय के युवा इंडियन आर्मी जॉइन करने के लिए क्यों उतावले रहते हैं। जून के पहले हफ्ते में नेपाल में चीन की राजदूत होउ यानकी ने नेपाली एनजीओ चाइना स्टडी सेंटर (सीएससी) को फंड दिया था। उन्हें कई चीजों पर स्टडी करने के लिए कहा गया है, जैसे नेपालियों के भारतीय सेना में शामिल होने के कारण, नेपाल के ऐसे इलाके जहां ये भॢतयां होती हैं और उनके सामाजिक और आॢथक असर जैसे टॉपिक शामिल हैं। ]
म्यांमार के विद्रोहियों को उकसाया जा रहा
चीन म्यांमार के विद्रोहियों को भी हथियार देकर उन्हें भारत के खिलाफ उकसा रहा है। ऐसा करके यह पूर्वोत्तर के राज्यों में अशांति फैलाना चाहता है। नीदरलैंड के एमस्टर्डम आधारित ङ्क्षथक टैंक यूरोपियन फाउंडेशन फॉर साउथ एशियन स्टडीज (ईएफएसएएस) ने पिछली महीने जारी अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया था। इसमें कहा गया था कि जुलाई में म्यांमार में थाईलैंड की सीमा के पास मेइ ताओ इलाके में चीन के हथियारों का एक बड़ा जखीरा पकड़ा गया। जांच में पाया गया कि ये हथियार भारत के पूर्वोत्तर के उग्रवादी संगठनों के लिए भेजे गए थे।
भारतीय सैनिकों ने चुशूल सेक्टर मे बनाया दबदबा
लद्दाख में भारत और चीन के बीच तनाव बना हुआ है। पैंगॉन्ग के दक्षिणी इलाके में दोनों सेनाएं आमने-सामने हैं। ङ्क्षफगर-४ की पहाडि़यों पर चीनी सैनिकों की मौजूदगी है। यहां हमारे सैनिक नहीं हैं। बताया जा रहा है कि भारत ने तैनाती में यह बदलाव एहतियातन किया है। उधर, चुशूल सेक्टर में दक्षिणी पैंगॉन्ग इलाके के रेजांग ला और रिछिन ला तक की पूरी रिजलाइन पर भारतीय सेना का दबदबा है। इसके अलावा, भारत उत्तरी पैंगॉन्ग इलाके के ङ्क्षफगर ३ के पास भी मजबूत स्थिति में है। सूत्रों का कहना है कि भारत का यह कदम चीन के साथ सैन्य और कूटनीतिक बातचीत में फायदा पहुंचाएगा। दोनों देशों के बीच लद्दाख में सीमा विवाद मई से शुरू हुआ था।