भारत के लिए खतरा बना नया अफगान

आसान नहीं है आतंकी चुनौती से निपटना, तालिबान के पास अमेरिकी फौज के हथियार
काबुल। अफगानिस्तान में एक बार फिर तालिबान का शासन आ गया है। अमेरिकी फौज के हथियार, गोला बारूद, संचार उपकरण और गाडि़यां, तालिबान लड़ाकों के पास हैं। अमेरिकी विदेश मंत्री ने यह बात मानी है कि तालिबान के पास हमारे बहुत से हथियार हैं। अगर वे वापस लौटाते हैं तो ठीक है, अन्यथा कोई बात नहीं। अमेरिकी हथियार, ट्रेनिंग और मुल्ला बरादर के दम पर तालिबान के अफगानिस्तान में अब  भारत के लिए आतंकी चुनौती से निपटना आसान नहीं होगा। मुल्ला अब्दुल गनी बरादर, जिनका नाम उन चार लोगों में शामिल है, जिन्होंने नब्बे के दशक में तालिबान आंदोलन की शुरूआत की थी। अमेरिका के हस्तक्षेप से पाकिस्तान की जेलों में बंद पांच हजार लोगों को रिहा किया गया था। २०१८ में बरादर भी जेल से बाहर आ गया था। एक्सपर्ट बताते हैं कि अगर बरादर ‘तालिबान’ के शासन में बड़ा ओहदा संभालते हैं तो पाकिस्तान समर्थक आतंकियों के ट्रेनिंग कैंप अफगानिस्तान में शिफ्ट हो सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो वह भारत की सुरक्षा के लिहाज से अच्छा नहीं होगा।
इस वक्त मुश्किल स्थिति
तालिबान के कब्जे को लेकर पूर्व विदेश सचिव विवेक काटजू ने एक मीडिया हाउस के साथ अपनी बातचीत में कहा था कि अफगानिस्तान के मुद्दे पर भारत के लिए इस वक्त मुश्किल स्थिति है। गत सप्ताह दोहा में हुई बैठक के दौरान भारत ने किसी भी पक्ष के समर्थन में न खड़े होकर कूटनीतिक तौर से हाशिए पर जाने की स्थिति तैयार कर ली। तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद भले ही यह बयान देते रहें कि वे अफगानिस्तान की जमीन से किसी देश पर हमला नहीं होने देंगे। आतंकी गतिविधियों को प्रोत्साहन नहीं दिया जाएगा। हालांकि स्थितियां इसके विपरित हैं। अफगानिस्तान में मौजूदा हालत ऐसी है कि अभी भारत के पास कूटनीतिक बढ़त हासिल करने का कोई जरिया नहीं है। अभी इंतजार करो की स्थिति है।
अमेरिकन फौज पर हमला नहीं होने देगें
जानकारों के मुताबिक, मुल्ला बरादर का तालिबान में बड़ा रोल है। पाकिस्तान भी उसे तव्वजो देता है। अमेरिका ने जब पहली बार घोषणा की थी कि उसकी सेना अफगानिस्तान से हट रही है तो पाकिस्तान में बंद करीब ५००० लोगों को रिहा कराया गया था। इनमें अधिकांश तालिबानी थे। अमेरिका की शर्त यह थी कि जब उसकी सेना वापस जाए तो उस वक्त कोई हमला नहीं होगा। हालांकि अमेरिका ने सार्वजनिक तौर से यह बात स्वीकार नहीं की है, लेकिन एक्सपर्ट का कहना है कि तालिबान को यह सुनिश्चित करना था कि वह अमेरिकन फौज पर हमला नहीं होने देगा। मुल्ला बरादर और दूसरे तालिबानी सदस्यों रिहाई इसी शर्त पर हुई थी। अब तालिबान ने उस शर्त को पूरा किया है।
तालिबान के लड़ाके युद्ध कला में पारंगत
एनआईए के पूर्व अधिकारी के मुताबिक, मौजूदा तालिबान भारत के लिए परेशानी खड़ी कर सकता है। पहले भी ऐसे केस देखने को मिले हैं, जिनमें कश्मीर घाटी के लोकल युवा पाकिस्तान की मदद से अफगानिस्तान में जाकर आईईडी बनाने और दूसरे आतंकी हथकंडों की ट्रेनिंग लेकर आए थे। ऐसे आतंकी सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए हैं। अगर मुल्ला बरादर, पाकिस्तान में चल रहे आतंकी ट्रेनिंग कैंपों को अफगानिस्तान में शुरू करने की इजाजत दे देता है तो यह भारत के लिए मुश्किल वाली स्थिति होगी। वजह, अफगानिस्तान में तालिबान के लड़ाके युद्ध कला में पारंगत हैं। उनके पास ऐसे हथियार हैं, जो कई देशों की सेना के पास भी नहीं हैं।

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