भक्ति से मिलती मानसिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा

चैत्र नवरात्र पर्व विशेष
आलेख: पं. चंदन  शर्मा, ज्योतिषाचार्य रायपुर (छ.ग.)

भक्ति से मिलती मानसिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा
शक्ति की उपासना का पर्व चैत्र नवरात्र 13 अप्रेल से, माता के नौ रूपों की होगी आराधना
उमरिया। शक्ति की उपासना का पावन पर्व चैत्र नवरात्र आगामी 13 अप्रेल 2021, दिन मंगलवार से प्रारंभ होगा। इस अवसर पर बिरसिंहपुर पाली की प्रसिद्ध सिद्धपीठ मां बिरासिनी, ज्वालाधाम उचेहरा, ज्वालामुखी एवं अन्नपूर्णा धाम उमरिया सहित जिले भर के मंदिरों मे यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। कोरोना के कारण गत वर्ष नवरात्र काफी फीका रहा था। यही स्थिति इस बार भी बनी हुई है हलांकि इस संबंध मे अंतिम निर्णय जिला प्रशासन को लेना है।
अध्यात्म और वैज्ञानिक महत्व
छत्तीसगढ़ के प्रख्यात ज्योतिषाचार्य पं. चंदन शर्मा के अनुसार चैत्र नवरात्र का अध्यात्म और वैज्ञानिक महत्व है। सामान्य तौर पर यह अवसर दो ऋतुओं के संधि काल के समय आता है। जिस तरह से क्षितिज मे जब सुबह और शाम मिलते हैं। सूर्य का उदय हो रहा हो या अस्त, उस संधि को संध्या का समय कहते हैं। सभी धर्मों के अनुयायी सुबह-शाम ईश्वर का स्मरण करते हैं। भारतीय धर्म पंरपरा मे दोनों संध्याओं के मिलन की तरह दोनों जब ऋतुएं मिलती हैं, तब भी साधना उपासना का क्रम और विधान अपनाया जाता है। एक ऋतु का प्रस्थान तथा नई ऋतु का आगमन शारीरिक व्याधियों को जन्म देता है। ऐसे मे मातेश्वरी की आराधना और वृतादि से व्यक्ति को मानसिक शांति तथा आध्यात्मिक ऊर्जा मिलने के सांथ उसकी प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।
हृदय से करें मातेश्वरी की भक्ति
जिस शक्ति के बिना शिव भी अधूरे माने जाते हैं। नवरात्र उसी शक्ति की आराधना का पर्व है। नौ दिनों तक चलने वाले इस महापर्व मे माता के नौ रूपों व नौ शक्तियों की उपासना विशेष फलदाई मानी गई है। इसी दिन से ही नव संवत्सर की भी शुरुआत होती है। श्री दुर्गा सप्तशती एवं श्री देवी भागवत पुराण के अनुसार माता की भक्ति रोगों एवं कष्टों का नाश करती है। विशेषकर कोरोना महामारी के काल मे हम सब को उनकी हृदय से भक्ति करनी चाहिए।
आपदायें और सत्ता की उथलपुथल
इस बार यह पर्व मंगलवार के दिन से शुरू हो रहा है अत: माता की सवारी घोड़ा मानी जाएगी। देवी भागवत महापुराण के अनुसार नवरात्रि पर जब माता घोड़े की सवारी करते हुए आती है तो इसका गंभीर असर देश, सत्ता, प्रकृति आदि पर देखने को मिलता है। इसके प्रभाव से प्राकृतिक आपदाओं और सत्ता मे उथल-पुथल होने की संभावनाएं रहती हैं। ऐसे में हर साधक को भगवती की आराधना करते समय स्वयं के कल्याण के साथ साथ समाज व राष्ट्र की रक्षा के लिए भी प्रार्थना करनी चाहिए।
घट एवं ज्योति स्थापना मुहूर्त-
दिनांक-13 अप्रेल 2021 को दिन-11.36 से 12.30 तक अभिजीत मुहूर्त मे करना लाभदायक एवं विशेष फलदायक होगा।
पूजन मंत्र-
ओम जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते
अथवा
ओम दुं दुर्गायै नम:

Advertisements
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *