कहा-वादे पूरे नहीं कर सकी, एकजुट पार्टी सांसद ही बना रहे थे दबाव
लंदन। एक हफ्ते से भारी दबाव का सामना कर रहीं ब्रिटेन की प्रधानमंत्री लिज ट्रस ने आखिरकार गुरुवार को इस्तीफे का ऐलान कर दिया। हालांकि, वो अगला प्रधानमंत्री चुने जाने तक पद पर बनी रहेंगी। कंजर्वेटिव पार्टी की स्पेशल रूल कमेटी 1922 के चेयरमैन सर ग्राहम ब्रेडी ने लिज से मुलाकात करके उन्हें बताया था कि पार्टी अब उन्हें नेता के तौर पर नहीं देखती। BBC के मुताबिक- लिज सिर्फ 45 दिन पद पर रहीं। किसी भी ब्रिटिश प्रधानमंत्री का यह सबसे छोटा कार्यकाल है। इसके पहले 1827 में जॉर्ज केनिंग 119 दिन PM रहे थे।ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने अपने सरकारी आवास 10 डाउनिंग स्ट्रीट के बाहर मीडिया से कहा- मैं जिन वादों के साथ सत्ता में आई थी, उन्हें पूरा नहीं कर सकी। इसका अफसोस है। किंग चार्ल्स को मैंने इस बारे में जानकारी दे दी है। पार्टी और खुद की फजीहत के बीच भी लिज पिछले हफ्ते चुप रहीं थीं। हालात, ये हुए कि विपक्ष ने उन पर संसद में बेंच के नीचे छिपने का तंज तक कस दिया। लिज ने सोमवार को BBC को इंटरव्यू दिया था। कहा- वादाखिलाफी और गलतियों की जिम्मेदारी लेते हुए माफी मांगती हूं। हम हर वादा पूरा करना चाहते हैं, लेकिन अब इसमें वक्त लगेगा। इस्तीफे के सवाल पर कहा था- मैं हार नहीं मानती। इस्तीफे जैसी फिजूल बातों पर वक्त खराब नहीं करना चाहिए। यही बात देशहित में भी है। हालांकि, 2 दिन बाद ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया।
पॉलिटिकल स्टेबिलिटी के लिए आम चुनाव ही रास्ता
‘द नेशनल वर्ल्ड’ के मुताबिक- कंजर्वेटिव, लेबर और लिबरल डेमोक्रेट्स पार्टी के कई सांसद ऐसे हैं जो सियासी रस्साकशी से ऊब चुके हैं। इनका कहना है कि पॉलिटिकल स्टेबिलिटी के लिए आम चुनाव ही रास्ता हैं। यहां दो बातें हैं। पहली- शेड्यूल के मुताबिक, अगला जनरल इलेक्शन 2025 में होना है।दूसरी- सरकार चाहे तो इलेक्शन अनाउंस कर दे या जो चल रहा है, उसे ही बदस्तूर जारी रखे। अमूमन सत्तारूढ़ दल इलेक्शन तभी अनाउंस करते हैं, जब उन्हें जीत का भरोसा हो। बोरिस जॉनसन और थेरेसा मे ने यही किया था। लिज फिलहाल सियासी तौर पर बेहद कमजोर हो चुकी थीं। उन्होंने फ्रेश इलेक्शन अनाउंस करने के बजाए, इस्तीफा दे दिया, ताकि हार की ठीकरा उनके सिर न फूटे।
‘द नेशनल वर्ल्ड’ के मुताबिक- कंजर्वेटिव, लेबर और लिबरल डेमोक्रेट्स पार्टी के कई सांसद ऐसे हैं जो सियासी रस्साकशी से ऊब चुके हैं। इनका कहना है कि पॉलिटिकल स्टेबिलिटी के लिए आम चुनाव ही रास्ता हैं। यहां दो बातें हैं। पहली- शेड्यूल के मुताबिक, अगला जनरल इलेक्शन 2025 में होना है।दूसरी- सरकार चाहे तो इलेक्शन अनाउंस कर दे या जो चल रहा है, उसे ही बदस्तूर जारी रखे। अमूमन सत्तारूढ़ दल इलेक्शन तभी अनाउंस करते हैं, जब उन्हें जीत का भरोसा हो। बोरिस जॉनसन और थेरेसा मे ने यही किया था। लिज फिलहाल सियासी तौर पर बेहद कमजोर हो चुकी थीं। उन्होंने फ्रेश इलेक्शन अनाउंस करने के बजाए, इस्तीफा दे दिया, ताकि हार की ठीकरा उनके सिर न फूटे।
पर्दे के पीछे की कहानी क्या
दरअसल, कंजर्वेटिव पार्टी की एक रूल बुक कमेटी है। इसे 1922 कमेटी कहा जाता है। इसके मुताबिक, किसी प्रधानमंत्री को हटाने के दो तरीके हैं- अविश्वास प्रस्ताव या इस्तीफा। जॉनसन अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के बाद इस्तीफे पर राजी हुए थे। यहां एक पेंच है और वो लिज ट्रस के मामले में तो बेहद अहम था। दरअसल, 1922 कमेटी की रूल बुक कहती है कि किसी भी प्रधानमंत्री के खिलाफ एक साल तक अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता।BBC के मुताबिक- लिज ने हर किसी को निराश किया था। लिहाजा मांग उठने लगी कि 1922 कमेटी की मीटिंग बुलाकर एक साल वाला यह नियम खत्म किया जाए। यह काम कमेटी के चीफ सर ग्राहम ब्रेडी कर सकते थे, और उन्होंने ही किया।
दरअसल, कंजर्वेटिव पार्टी की एक रूल बुक कमेटी है। इसे 1922 कमेटी कहा जाता है। इसके मुताबिक, किसी प्रधानमंत्री को हटाने के दो तरीके हैं- अविश्वास प्रस्ताव या इस्तीफा। जॉनसन अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के बाद इस्तीफे पर राजी हुए थे। यहां एक पेंच है और वो लिज ट्रस के मामले में तो बेहद अहम था। दरअसल, 1922 कमेटी की रूल बुक कहती है कि किसी भी प्रधानमंत्री के खिलाफ एक साल तक अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता।BBC के मुताबिक- लिज ने हर किसी को निराश किया था। लिहाजा मांग उठने लगी कि 1922 कमेटी की मीटिंग बुलाकर एक साल वाला यह नियम खत्म किया जाए। यह काम कमेटी के चीफ सर ग्राहम ब्रेडी कर सकते थे, और उन्होंने ही किया।
बीच का रास्ता अपनाया गया
सांप भी मर गया और लाठी भी नहीं टूटी। ब्रिटिश वेबसाइट ‘नेशनल वर्ल्ड’ के मुताबिक- कंजर्वेटिव पार्टी में एक नियम और भी है। इसके तहत पार्टी अपने नेता यानी प्रधानमंत्री को हटा सकती है। 50% कंजर्वेटिव सांसद 1922 कमेटी के चीफ सर ग्राहम ब्रेडी के पास जाकर लिज को नेता पद से हटाने की मांग कर सकते थे। यही किया गया।इसके बाद सर ब्रेडी पार्टी के चीफ व्हिप वेंडी मॉटर्न के साथ लिज के पास गए। उन्हें सांसदों की इच्छा बताई। हालांकि, यह भी इनडायरेक्टली रिजाइन की कवायद थी। पार्टी की पॉपुलैरिटी 34% कम हो चुकी है। लिज की अप्रूवल रेटिंग माइनस 47 पहुंच चुकी थी। 2025 में जनरल इलेक्शन है।
सांप भी मर गया और लाठी भी नहीं टूटी। ब्रिटिश वेबसाइट ‘नेशनल वर्ल्ड’ के मुताबिक- कंजर्वेटिव पार्टी में एक नियम और भी है। इसके तहत पार्टी अपने नेता यानी प्रधानमंत्री को हटा सकती है। 50% कंजर्वेटिव सांसद 1922 कमेटी के चीफ सर ग्राहम ब्रेडी के पास जाकर लिज को नेता पद से हटाने की मांग कर सकते थे। यही किया गया।इसके बाद सर ब्रेडी पार्टी के चीफ व्हिप वेंडी मॉटर्न के साथ लिज के पास गए। उन्हें सांसदों की इच्छा बताई। हालांकि, यह भी इनडायरेक्टली रिजाइन की कवायद थी। पार्टी की पॉपुलैरिटी 34% कम हो चुकी है। लिज की अप्रूवल रेटिंग माइनस 47 पहुंच चुकी थी। 2025 में जनरल इलेक्शन है।
ऋषि सुनक दावा तगड़ा
पूर्व वित्त मंत्री क्वासी वारटेंग और जेरेमी हंट दोनों ही नए पार्टी लीडर की रेस से खुद को बाहर बता चुके हैं। अब सबसे तगड़ा दावा भारतीय मूल के ऋषि सुनक का माना जा सकता है। बुधवार को ही ‘द गार्डियन’ ने एक रिपोर्ट में कहा था- ब्रिटेन के लोगों और कंजर्वेटिव पार्टी के कई सांसदों की सोच यह है कि सितंबर में सुनक को ही प्रधानमंत्री बनाया जाना था। लिज को गलत चुना गया।अब सवाल यह है कि क्या ऋषि सुनक दोबारा इस रेस में शामिल होंगे? इसकी बड़ी वजह यह है कि पार्टी और देश की सियासत में 15 दिन से उथलपुथल मची थी और ऋषि शांत थे। पूर्व मंत्री मॉरडेन्ट भी रेस में शामिल हो सकती हैं। वैसे भी लिज के चुने जाने के पहले सांसदों ने जो वोटिंग की थी, उसमें सबसे ज्यादा वोट सुनक को ही मिले थे।लेकिन, जब दो कैंडिडेट यानी लिज और सुनक बचे तो फैसला कंजर्वेटिव पार्टी के मेंबर्स ने किया। इसमें लिज ने बाजी मार ली। सुनक पहले ही आगाह कर रहे थे कि लिज जो चुनावी वादे कर रहीं है, वो ब्रिटेन की इकोनॉमी को तबाह कर देंगे।
पूर्व वित्त मंत्री क्वासी वारटेंग और जेरेमी हंट दोनों ही नए पार्टी लीडर की रेस से खुद को बाहर बता चुके हैं। अब सबसे तगड़ा दावा भारतीय मूल के ऋषि सुनक का माना जा सकता है। बुधवार को ही ‘द गार्डियन’ ने एक रिपोर्ट में कहा था- ब्रिटेन के लोगों और कंजर्वेटिव पार्टी के कई सांसदों की सोच यह है कि सितंबर में सुनक को ही प्रधानमंत्री बनाया जाना था। लिज को गलत चुना गया।अब सवाल यह है कि क्या ऋषि सुनक दोबारा इस रेस में शामिल होंगे? इसकी बड़ी वजह यह है कि पार्टी और देश की सियासत में 15 दिन से उथलपुथल मची थी और ऋषि शांत थे। पूर्व मंत्री मॉरडेन्ट भी रेस में शामिल हो सकती हैं। वैसे भी लिज के चुने जाने के पहले सांसदों ने जो वोटिंग की थी, उसमें सबसे ज्यादा वोट सुनक को ही मिले थे।लेकिन, जब दो कैंडिडेट यानी लिज और सुनक बचे तो फैसला कंजर्वेटिव पार्टी के मेंबर्स ने किया। इसमें लिज ने बाजी मार ली। सुनक पहले ही आगाह कर रहे थे कि लिज जो चुनावी वादे कर रहीं है, वो ब्रिटेन की इकोनॉमी को तबाह कर देंगे।
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