26 दलों ने की एक साथ बैठक, इधर दिल्ली मे हुआ एनडीए का जमावड़ा
बेंगलुरु। देश में करीब एक साल पहले ही लोकसभा चुनाव का मैदान सजने लगा है। मंगलवार को देश की सियासत से जुड़ी दो बड़ी बैठक हुई। एक बैठक बेंगलुरु में हुई, जिसमें 26 विपक्षी पार्टियां आईं। तो दूसरी बैठक दिल्ली में एनडीए की हुई, जिसमें 38 पार्टियां शामिल हुईं। इसके साथ ही लोकसभा चुनाव के जंग की तस्वीर सामने आ गई है। विपक्ष का गठबंधन जहां इंडिया के नाम से तो सत्तापक्ष के पक्ष वाले एनडीए के नाम से चुनाव लड़ेंगे। विपक्षी एकता की दूसरे दिन की बैठक बेंगलुरु में हुई। 2024 के आम चुनाव में भाजपा को हराने के लिए विपक्ष के 26 दल एक साथ आए हैं। बैठक में विपक्षी दलों के गठबंधन का नाम इंडिया तय किया गया है। इसका ऐलान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े ने विपक्षी दलों की प्रेस कॉन्फ्रेंस में किया। उन्होंने कहा- समन्वय के लिए 11 सदस्यों की कमेटी बनाने और एक कार्यालय जल्द बनाया जाएगा। हमारी अगली बैठक मुंबई में जल्द होगी। खडग़े ने कहा- भाजपा ने लोकतंत्र की सभी एजेंसियों ईडी, सीबीआई आदि को नष्ट कर दिया है। इससे पहले बैठक में शामिल राष्ट्रीय जनता दल ने ट्वीट किया कि विपक्षी दलों का गठबंधन भारत का प्रतिबिंब है। राजद ने इंडिया का फुल फॉर्म बताया- इंडिया यानी इंडियन नेशनल डेमोक्रेटिक इंक्लूसिव अलायंस। राजद ने इसके साथ लिखा- अब प्रधानमंत्री मोदी को इंडिया कहने में भी पीड़ा होगी। टीएमसी सांसद ने भी ट्वीट किया- चक दे इंडिया। वहीं कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने लिखा- इंडिया जीतेगी।
इंडिया का दिल्ली में सचिवालय
खडग़े ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में बैठक को सफल बताते हुए कहा कि अगले चरण की बैठक मुंबई में होगी और 2024 लोकसभा चुनाव के लिए दिल्ली में एक सचिवालय बनाया जाएगा। खडग़े ने कहा कि केंद्र सरकार ईडी, सीबीआई जैसी संस्थाओं का गलत इस्तेमाल कर रही है। खडग़े ने बताया कि इस बैठक में लोकतंत्र और देश को बचाने पर चर्चा हुई। वे बोले कि 11 सदस्यों की एक समिति गठित की जाएगी। इसके संयोजक का नाम अगली बैठक में तय होगा। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकार ने सवाल पूछा कि इस गठबंधन को कौन लीड करेगा। इसके जवाब में खडग़े ने कहा कि हम 11 लोगों की समिति बनाएंगे जिसका संयोजक अगली मुंबई की बैठक में तय होगा।इसके बाद ममता बनर्जी ने कहा कि बैठक बहुत अच्छी रही है। आज से चुनौती की शुरुआत हुई है। हमारी जो 26 पार्टियों की बैठक में हुई उसमें हमने एक रियल चैलेंज लिया है। ममता बनर्जी ने सवाल पूछते हुए कहा, एनडीए कैन यू चैलेंज इंडिया ममता बनर्जी ने कहा कि इंडिया जीतेगा, एनडीए हारेगी।
इन्होंने धरती बेच दी, आसमान बेच दिया: केजरीवाल
इसके बाद अरविंद केजरीवाल बोलने आए और उन्होंने कहा कि अच्छी बात है कि कुनवा बढ़ रहा है। पटना की बैठक में भी हम पहले जुटे थे, अब और ज्यादा लोग जुटे हैं। केजरीवाल ने भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा कि इन्होंने रेलवे बेच दी, एयरपोर्ट बेच दिया, धरती बेच दी, आसमान बेच दिया। इन्होंने हर सेक्टर को बर्बाद कर दिया।
एनडीए और इंडिया के बीच की लड़ाई: राहुल गांधी
सबसे अंत में राहुल गांधी बोलने आए। उन्होंने कहा कि हमने एक सवाल खुद से पूछा कि ये लड़ाई आखिर है किस के बीच में। उन्होंने कहा कि ये लड़ाई भाजपा की विचारधारा के खिलाफ है। ये एनडीए और इंडिया के बीच की लड़ाई है। राहुल ने कहा कि देश में बेरोजगारी फैल रही है। देश का पूरा धन चंद हाथों में जा रहा है।
किसके साथ कौन
इंडिया
कांग्रेस, डीएमके, टीएमसी, जदयू, शिवसेना (बीटी), एनसीपी (शरद पवार), सीपीआईएम, समाजवादी पार्टी, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, सीपीआई, आम आदमी पार्टी, झारखंड मुक्ति मोर्चा, केरल कांग्रेस (एम), आरजेडी, नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, सीपीआई (एमएल), आरएलडी, मनीथानेया मक्कल काची (एमएमके), एमडीएमके, वीसीके, आरएसपी, केरल कांग्रेस, केएमडीके, अपना दल (कमेरावादी) और एआईएफबी।
एनडीए
भाजपा, शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) , राष्ट्रीय लोक जन शक्ति पार्टी (पारस), लोक जन शक्ति पार्टी (रामविलास पासवान), अपना दल (सोनेलाल), एआईएडीएमके, एनपीपी, एनडीपीपी, एसकेएम, आईएमकेएमके, आजसू, एमएनएफ, एनपीएफ, आरपीआई, जेजेपी, आईपीएफटी (त्रिपुरा), बीपीपी, पीएमके, एमजीपी, एजीपी, निषाद पार्टी, यूपीपीएल, एआईआरएनसी, टीएमसी (तमिल मनीला कांग्रेस), शिरोमणि अकाली दल सयुंक्त, जनसेना, एनसीपी (अजित पवार), हम, रालोसपा, सुभासपा, बीडीजेएस (केरल), केरल कांग्रेस (थॉमस), गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट, जनातिपथ्य राष्ट्रीय सभा, यूडीपी, एचएसडीपी, जन सुराज पार्टी (महाराष्ट्र) और प्रहार जनशक्ति पार्टी (महाराष्ट्र)।
ये बनेंगे किंगमेकर
इंडिया और एनडीए की लड़ाई में कुछ पार्टियां ऐसी हैं, जो फिलहाल किसी ओर नहीं हैं। ये पार्टियां आगामी लोकसभा चुनव में किंगमेकर बन सकती हैं। ये पार्टियां हैं-ओडिशा की बीजू जनता दल, आंध्र की वाईएसआर कांग्रेस, कर्नाटक की जनता दल (सेक्युलर), यूपी की बसपा, पंजाब की अकाली दल, तेलंगाना की तेलुगु देशम पार्टी और बीआरएस जैसी पार्टियों ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। ये वो पार्टियां जो न तो विपक्ष की महाजुटान का हिस्सा बनी हैं और न ही भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए के साथ आए हैं। हालांकि, बीआरएस को छोडक़र बाकी सभी पार्टियां नए संसद भवन के उद्घाटन के मुद्दे पर भाजपा को समर्थन दे चुकी हैं। इन दलों के पास लोकसभा में करीब पचास सांसद हैं। माना ऐसा जा रहा है कि ये पार्टियां चुनाव के बाद अपने पत्ते खोल सकतीं हैं। ऐसे में इनकी भूमिका किंगमेकर की हो सकती है।
राज्यों के विकास से राष्ट्र का विकास के मंत्र को एनडीए ने सशक्त किया:पीएम
दिल्ली में मंगलवार को हुई NDA की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्षी गठबंधन पर कहा- ये साथ तो आ सकते हैं, पास नहीं। केरल में लेफ्ट और कांग्रेस एक-दूसरे के खून के प्यासे हैं, लेकिन बेंगलुरु में हाथ पकड़कर हंस रहे हैं।बंगाल में लेफ्ट और तृणमूल कांग्रेस लड़ रहे हैं, लेकिन बेंगलुरु में साथ खड़े हैं। जनता जानती है ये मिशन नहीं मजबूरियां है। इन्हें अपने कार्यकर्ताओं की भी चिंता नहीं।NDA के 25 साल पूरे होने पर मोदी ने कहा- NDA में N का मतलब न्यू इंडिया है, D का मतलब डेवलप्ड नेशन यानी विकसित राष्ट्र ओर A का अर्थ है एस्पिरेशन यानी लोगों की आकांक्षा है। आज युवा, महिलाएं, मध्यम वर्ग, दलित और वंचितों को NDA पर भरोसा है।हमारा संकल्प पॉजिटिव है, एजेंडा पॉजिटिव है, रास्ता भी पॉजिटिव है। सरकारें बहुमत से बनती हैं, सबके साथ से चलती हैं। देश में राजनीतिक गठबंधन का पुराना इतिहास है, लेकिन नकारात्मक विचार से बने गठबंधन सफल नहीं हुए।NDA का लक्ष्य सत्ता हासिल करना नहीं था। NDA किसी के विरोध में नहीं बना था। NDA किसी को सत्ता से हटाने के लिए नहीं बना था। इसका गठन देश में स्थिरता लाने के लिए हुआ था। जब देश में स्थिर सरकार होती है तो देश कालजयी फैसले करता है।
पीएम ने अपने भाषण की शुरुआत में कहा- हमारे साथ आज बादल जी और बाला साहेब के सच्चे अनुयायी मौजूद हैं। इसके बाद उन्होंने कहा- हमने अटलजी के दौर में भी देखा और पिछले 9 सालों में बार-बार देख रहे हैं। आज पूरे विश्व का भारत पर भरोसा बढ़ा है।
कांग्रेस ने 90 के दशक में देश में अस्थिरता लाने के लिए गठबंधनों का इस्तेमाल किया, सरकारें बनाईं और सरकारें बिगाड़ीं। NDA की एक और विशेषता रही है, विपक्ष में भी हमने सकारात्मक राजनीति की कभी नकारात्मक राजनीति का रास्ता नहीं चुना। विपक्ष में रहकर सरकार का विरोध किया, उनके घोटालों को सामने लाए, लेकिन जनादेश का विरोध नहीं किया। हमने सरकार के विरोध के लिए विदेशी मदद नहीं ली।