बिहार मे चुनावों का ऐलान

28 अक्टूबर, 3 नवंबर और 7 नवंबर को होगी वोटिंग, 10 नवंबर को नतीजे, 11 घंटे चलेगा मतदान


नई दिल्ली। आखिरकार बिहार में चुनाव का ऐलान हो ही गया। २४३ सीटों पर तीन फेज में २८ अक्टूबर, ३ नवंबर और ७ नवंबर को वोङ्क्षटग होगी। १० नवंबर को नतीजे आएंगे। इसकी घोषणा करने शुक्रवार दोपहर साढ़े बारह बजे मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा मीडिया के सामने आए। नजर इस पर भी थी कि क्या मध्यप्रदेश की २८ विधानसभा सीटों समेत देशभर की ५६ अलग-अलग सीटों पर उपचुनाव की घोषणा होगी? लेकिन इस पर फैसला २९ नवंबर तक टाल दिया गया है। लौटते हैं फिर बिहार की तरफ। १० नवंबर को चुनाव के नतीजे आएंगे। यानी १४ नवंबर को मनाई जाने वाली दीपावली से चार दिन और २० नवंबर से शुरू होने वाले छठ पर्व से दस दिन पहले यह साफ हो जाएगा कि बिहार में अगली सरकार किसकी बनेगी। नई सरकार के गठन और नए विधायकों की शपथ छठ के बाद ही होने की संभावना है। मौजूदा विधानसभा का टर्म २९ नवंबर तक है।
इस बार कितने वोटर, कितने बूथ
बिहार में २४३ सीटों पर ७.२९ करोड़ लोग वोट डालेंगे। इनमें ३.८५ करोड़ पुरूष और ३.४ करोड़ महिला वोटर हैं। पिछले विधानसभा चुनाव के वक्त ६.७ करोड़ वोटर थे। ४२ हजार पोङ्क्षलग बूथ पर १.७३ लाख वीवीपैट का इस्तेमाल होगा। कोरोना ने चुनाव में क्या बदल दिया है इस बारे में एक डिटेल्ड गाइडलाइन पहले ही जारी हो चुकी है।
क्या-क्या हुए बदलाव
चुनाव आयोग ने आज इस बारे में सबसे बड़ी घोषणा यह की कि कोरोना की वजह से वोङ्क्षटग टाइम को एक घंटे बढ़ाया जा रहा है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों को छोड़कर सामान्य इलाकों में सुबह ७ से शाम ५ की बजाय सुबह ७ से शाम ६ के बीच वोङ्क्षटग होगी। आयोग ने दो और बातें कहीं, जिनका पहले जारी हो चुकी गाइडलाइन में भी जिक्र था। एक पोङ्क्षलग बूथ पर १५०० की जगह १००० वोटर आएंगे। दूसरी- कोरोना के मरीज वोङ्क्षटग के दिन आखिरी घंटे में ही वोट डाल पाएंगे। कोरोना की वजह से क्या इंतजाम किए जा रहे हैं? इस बार बिहार चुनाव में ४६ लाख मास्क, ७.६ लाख फेस शील्ड, २३ लाख जोड़े हैंड ग्लव्स और ६ लाख पीपीई किट्स का इस्तेमाल होगा। नामांकन के दौरान उम्मीदवार ५ की जगह २ ही गाडि़यां साथ ले जा सकेंगे। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा है कि जिस जगह जरूरत और मांग होगी, वहां पोस्टल बैलट सुविधा दी जाएगी।
कोरोना के दौर मे दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव
मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा कि ६० से ज्यादा देशों ने कोरोना की वजह से चुनाव टाल दिए, लेकिन जैसे-जैसे दिन गुजरते गए न्यू नॉर्मल होता हो गया क्योंकि कोरोना के जल्दी खत्म होने के संकेत नहीं मिले। हम चाहते थे कि लोगों का लोकतांत्रिक अधिकार बना रहे। उनके स्वास्थ्य की भी हमें ङ्क्षचता करनी थी। यह कोरोना के दौर में देश का ही नहीं, बल्कि दुनिया का पहला सबसे बड़ा चुनाव होने जा रहा है।
29 सितंबर से पहले नहीं होगी प्रदेश मे उपचुनाव की घोषणा
मध्य प्रदेश के उपचुनावों में भाजपा की अपनी सत्ता बचाने और कमलनाथ की छह महीने पहले खोई सत्ता वापस पाने की लड़ाई है। साथ ही, इस उपचुनाव में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया की साख भी दांव पर लगी है। क्योंकि, जिन २८ सीटों पर उपचुनाव हो रहा है उनमें १६ सीटें ङ्क्षसधिया के प्रभाव वाले ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की है। मध्य प्रदेश में २८ सीटों पर विधानसभा उपचुनाव होने हैं। पहली बार प्रदेश में इतने बड़े पैमाने पर उपचुनाव हो रहे हैं। इसका कारण प्रदेश में मार्च में हुआ सियासी फेरबदल है। दरअसल, इसी साल १० मार्च को ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस के २२ विधायकों ने पार्टी से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया था। इसके बाद अल्पमत में आई कमलनाथ सरकार गिर गई थी। कांग्रेस विधायकों के इस्तीफा देने से २२ सीटें खाली हो गई थीं। इसके बाद जुलाई में बड़ा मलहरा से कांग्रेस विधायक प्रद्युम्न सिंह लोधी और नेपानगर से कांग्रेस विधायक सुमित्रा देवी कसडेकर ने भी कांग्रेस छोड़ भाजपा ज्वाइन कर ली। फिर मांधाता विधायक ने भी कांग्रेस छोड़ भाजपा का झंडा पकड़ लिया। इसके अलावा, ३ विधायकों का निधन हो गया। यानी कुल २८ विधानसभा सीटें रिक्त हो गईं।

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