बिलासपुर 5, उत्कल 7 घंटे लेट

अधिकारियों ने ली रेलवे को बदनाम करने की सुपारी, यात्रियों की हो रही फजीहत
बांधवभूमि, उमरिया
बिलासपुर मण्डल से गुजरने वाली ट्रेनो की लेटलतीफी ने क्षेत्र के हजारों यात्रियों के लिये गंभीर समस्या खड़ी कर दी है। आलम यह है कि उमरिया जिले से बिलासपुर की ओर यात्रा करने वाले लोग घंटों स्टेशनो पर बैठ कर गाडिय़ों का इंतजार करते देखे जा रहे हैं। देरी की वजह से कोई सामाजिक व वैवाहिक कार्यक्रमो मे नहीं पहुंच पा रहा है, तो किसी को आगे वाली ट्रेन की कनेक्टिविटी खोनी पड़ रही है। मंगलवार को जहां भोपाल से बिलासपुर जाने वाली 18235 ट्रेन करीब 5 घंटे देरी से उमरिया आई वहीं ऋषिकेश से पुरी 18478 कलिंग उत्कल एक्सप्रेस 7 घंटे देरी से अपने गंतव्य को रवाना हुई। अन्य गाडिय़ों मे 12854 भोपाल-दुर्ग दो घंटे, 15159 छपरा-दुर्ग सारनाथ तथा 15231 बरौनी-दुर्ग एक्सप्रेस भी लगभग दो-दो घंटे देरी से गई।
न्यू कटनी से झलवारा तक पिटती है ट्रेन
जानकारों का मानना है कि कई गाडिय़ां आगे से राईट टाइम या थोड़ी-बहुत लेट आ रही हैं, परंतु न्यू कटनी मे बैठे अधिकारी, कर्मचारी उनकी दुर्दशा करने मे कोई कोर कसर नहीं छोड़ते। मेन कटनी, साउथ या मुडवारा से बिलासपुर मण्डल मे प्रवेश करने से पहले अर्थात झलवारा तक कई जगहों पर यात्री गाडिय़ों को घंटो रोक पर गुड्स ट्रेनो को निकाला जाता है। तीन-चार माल गाडिय़ां निकालने के बाद जाकर पैसेंजर ट्रेन की सुध ली जाती है। सवाल उठता है कि जब यात्री गाड़ी को निकालना ही है तो उसे दो-तीन घंटे रोकने का क्या औचित्य है। चर्चाएं तो ये भी हैं कि निजी कम्पनियां ऐसा करके रेलवे को ट्रेनो के संचालन मे अक्षम साबित करना चाहती हैं, ताकि इसके निजीकरण का रास्ता साफ हो जाय। लगता है की सेठों की साजिश को कामयाब करने के लिये महकमे के लोगों ने ही सुपारी ले ली है।
पहले कोयला निकालने का फरमान
दूसरी ओर कोयले के परिवहन को यात्री ट्रेनो के दुर्दशा का बड़ा कारण माना जा रहा है। सूत्रों का दावा है कि सरकार ने रेलवे को पैसेंजर ट्रेनो की बजाय पहले उद्योगपतियों का कोयला निकालने के निर्देश दिये हैं। इतना ही नहीं खाली मालगाडिय़ों कहीं न रूकें, इस पर विशेष ध्यान रखने को कहा गया है। किसी कारणवश यदि सेक्शन खाली रहा तो, जिम्मेदारों के खिलाफ चार्जशीट जारी हो जाती है। इसी डर से विभागीय अमला जनता की फिक्र छोड़, सरकार के फरमान को पूरा करने मे लगा हुआ है।
ओवरब्रिज बनने तक सहनी होगी दुर्दशा
गौरतलब है कि न्यू कटनी जंक्शन से 5 दिशाओं की गाडिय़ां आवागमन करती हैं। कोयला गाडिय़ों की सबसे ज्यादा आवाजाही दिल्ली रूट पर है। मालगाडिय़ों के सुचारू संचालन तथा इसके कारण अन्य ट्रेनो को हो रही असुविधा को ध्यान मे रखते हुए रेलवे द्वारा झलवारा से मुड़वारा तक ओवर ब्रिज का निर्माण कराया जा रहा है। बताया गया है कि ब्रिज के बनने से बिलासपुर से दिल्ली की तरफ जाने वाली गुड्स ट्रेने ऊपर से जायेंगी, तक जाकर राहत मिल सकेगी। हलांकि इस कार्य मे अभी कई साल लगने वाले हैं, लिहाजा यात्रियों को अभी इसी कष्ट के सांथ यात्रा करनी होगी।
जनप्रतिनिधियों का कोई लेना-देना नहीं
गाडिय़ों की देरी हो, स्टापेज का मसला या फिर अन्य यात्री सुविधाओं की बात। जिले के नागरिकों की इन समस्याओं से जनता के नुमाईन्दों को कोई लेना-देना नहीं है। लोग वर्षो से संभाग से नागपुर, मुंबई, अहमदाबाद आदि स्थानो के लिये सीधी रेल सेवाओं की मांग कर रहे हैं। वह मिलना तो दूर कई महत्वपूर्ण ट्रेने जिला मुख्यालय जैसी स्टेशन पर नहीं रूक रही हैं। रेलवे की उपेक्षा से परेशान हो कर बीते दिनो चंदिया की जनता ने बड़ा आंदोलन किया था, जिसे बंद कराने के लिये दबाव और उत्पीडऩ का सहारा लिया गया। इतना ही नहीं रेल प्रशासन और आंदोलनकारियों के बीच बिना शर्त हुए समझौते के बावजूद लोगों पर मुकदमे दर्ज कर लिये गये।

 

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