बारिश को व्याकुल हुई धरती
मानसून की कमजोरी से किसानो मे चिंता, जान ले रही उमस भरी गर्र्मी
उमरिया। अच्छी शुरूआत के बाद जिले से गायब हुई बारिश ने जहां किसानो को चिंता मे डाल दिया है वहीं वातावरण मे व्याप्त उमस भरी गर्मी से जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो चला है। हलांकि आसमान मे बादलों का आना-जाना जारी है, परंतु बरसात का कहीं कोई पता नहीं चल रहा है। इतना ही नहीं दिन मे कई बार तेज धूप भी निकल रही है जिससे तपन बराबर बनी हुई है। जुलाई का दूसरा सप्ताह शुरू होने के बावजूद पर्याप्त बारिश न होने तथा मानसून के लगातार कमजोर पडऩे से लोगों की चिंता बढऩा लाजिमी है।
कम हो रही खेतों की नमी
गौरतलब है कि इस बार जिले मे हुई प्री मानसून की बारिश के चलते किसानो ने बड़े उत्साह के सांथ खेती शुरू कर दी थी। अधिकांश स्थानो पर जुताई कर मक्का, उड़द, राहर, सोयाबीन जैसी फसलों की बुवाई की गई है। जबकि धान की तैयारी जोरों पर है, इसके लिये नर्सरी लगा दी गई है। बारिश न होने और तेज धूप के कारण खेतों की नमी तेजी से कम हो रही है। वहीं धान की नर्सरी सूखने लगी है। किसानो का कहना है कि यदि जल्दी ही बारिश नहीं हुई तो फसलों को भारी नुकसान होगा वहीं समय पर धान की रोपाई नहीं हो सकेगी।
दस दिनो से नहीं हुई बारिश
उल्लेखनीय है कि बीते लगभग 10 दिनो से जिले मे बारिश नहीं हुई है। हलांकि इस दौरान कहीं-कहीं बूंदा-बांदी देखने को मिली लेकिन उसका कोई खास असर वातावरण पर नहीं हुआ। बारिश न होने के कारण अधिकतम तापमान अभी भी 36 से 40 डिग्री के बीच बना हुआ है, सांथ ही लोगों को उमस भरी गर्मी से जूझना पड़ रहा है। भीषण गर्मी के आगे पंखे और कूलर बेअसर साबित हो रहे हैं। ऐसे मे यदि बिजली गुल हुई तो कुछ मिनट भी गुजारना मुश्किल होने लगता है।
प्रभावी सिस्टम नहीं, पर हो सकती है बारिश
मानसून मौसम विज्ञान केंद्र के पूर्व वरिष्ठ मौसम विज्ञानी अजय शुक्ला ने बांधवभूमि को बताया कि बंगाल की खाड़ी और अरब सागर मे फिलहाल कोई प्रभावी वेदर सिस्टम सक्रिय नहीं है। मानसून ट्रफ भी हिमालय की तराई की तरफ खिसक गया है। इस वजह से मानसून शिथिल पड़ा हुआ है। उनके मुताबिक बीते मंगलवार से मानसून की गतिविधि मे कुछ तेजी आई है जिससे रूक-रूक कर बरसात का दौर शुरू होने की संभावना है। 11-12 जुलाई को बंगाल की खाड़ी में एक कम दबाव का क्षेत्र बनने के संकेत मिले हैं। इसके बाद पूरे प्रदेश में झमाझम बारिश का दौर भी शुरू हो सकता है।