बारहसिंघों को रास आई बांधवगढ़ की आबोहवा
परियोजना की सफलता के बाद पहुंची एक और खेप, अभी और आयेंगे 25 वन्यजीव
बांधवभूमि न्यूज, रामाभिलाष त्रिपाठी
मध्यप्रदेश
उमरिया
मानपुर। जिले के राष्ट्रीय उद्यान मे बांधवगढ़ मे बारहसिंघों को बसाने की परियोजना मे मिल रही आशातीत सफलता के बाद मंगलवार को कान्हा से 11 वन्यजीवों की एक और खेप ताला पहुंची है। इनमे 3 नर और 8 मादा बारहसिंघा हैं। नये मेंहमानो को भी नेशनल पार्क के मगधी रेंज मे बनाये गये बाड़े मे रखा गया है। उद्यान के उप संचालक पीके वर्मा ने बताया है कि इनकी संख्या 100 या उससे अधिक होने पर ही खुले जंगल मे छोड़ा जा सकेगा। उल्लेखनीय है कि वन्यजीवों को मंडला जिले के कान्हा टाईगर रिजर्व से विशेष वाहन द्वारा रवाना किया गया। उनके सांथ विभाग के वन्यजीव चिकित्सक, अधिकारियों तथा कर्मचारियों का दल भी तैनात था। बांधवगढ़ मे बड़ी ही सावधानी के सांथ उन्हे सफलतापूर्णक उतार लिया गया।
गत मार्च से शुरू हुआ था अभियान
बांधवगढ़ नेशनल पार्क मे बारहसिंघों को संस्थापित करने के परियोजना की कार्यवाही काफी दिनो से चल रही थी। इसके लिये शासन द्वारा कई स्तरों पर परीक्षण कराया गया। उद्यान की आबोहवा नये वन्यजीवों के अनुकूल पाये जाने के उपरांत इसकी अनुमति प्रदान की गई। जिसके मुताबिक वर्ष भर मे कान्हा से कुल 50 बारहसिघों को लाया जाना था। इसी के तहत मार्च तथा मई 2024 मे दो चरणों मे 37 बारहसिंघों को बांधवगढ़ लाया गया। इस दौरान दो बारहसिंघों का जन्म भी हुआ। गत दिवस लाये गये 11 को मिला कर बांधवगढ़ मे अब बारहसिघों की तादाद बढ़ कर 51 हो गई है। सभी बारहसिघों को मगधी के बाड़े मे रखा गया है।
सितंबर मे होता है प्रजनन
वन्यजीव विशेषज्ञों के मुताबिक बारहसिघों का मेटिंग काल दिसंबर से जनवरी तक होता है। जिसके 6 मांह बाद अर्थात सिंतबर के आसपास मादायें बच्चों को जन्म देती हैं। बांधवगढ़ नेशनल पार्क के उप संचालक पीके वर्मा ने बताया कि जब तक इनकी संख्या 100 या इससे अधिक नहीं हो जाती, तब तक उन्हे खुले जंगलों मे नहीं छोड़ा जायेगा। उन्होने कहा कि अधिकांशत: बारहसिंघे झुण्ड मे विचरण करते हैं। संख्या अधिक होने के बाद इनकी वंश वृद्धि तेजी के सांथ तथा आसानी से हो सकेगी।
विशेषज्ञों की रिपोर्ट के बाद आगे बढ़ेगा कार्यक्रम
पार्क प्रबंधन ने बताया कि बांधवगढ़ मे अभी कई चरणों मे बारहसिंघों को लाया जाना है। इसके लिये वन्यजीव विशेषज्ञों की टीम उद्यान मे उनके भोजन, पानी और अन्य सभी पहलुओं का सर्वे करेगी। विशेषज्ञों की संतुष्टि तथा सकारात्मक रिपेार्ट के बाद शासन की अनुमति मिलने पर ही इस संबंध मे आगे की कार्यवाही संचालित की जायेगी। गौरतलब है कि बारहसिंघे अमूमन तालाबों के उथले पानी मे उगने वाली हाईड्रेला तथा सेक्रम नामक घास का सेवन करते हैं। अन्य पहलुओं के अलावा विशेषज्ञों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि बांधवगढ़ मे बारहसिंघों के लिये पर्याप्त आहार उपलब्ध हो।