पुलिस की समझाईश पर माने ग्रामीण
बाघ के हमले मे मृत ग्रामीण का हुआ पोस्टमार्टम, रेस्क्यू कार्यवाही मे जुटा प्रबंधन
बांधवभूमि न्यूज, रामाभिलाष त्रिपाठी
मध्यप्रदेश, उमरिया
मानपुर। जिले के बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान से सटे गांव मजखेता मे बाघ द्वारा मौत के घाट उतारे गये ग्रामीण का पोस्टमार्टम करा लिया गया है। इसके लिये पुलिस तथा पार्क प्रबंधन को घंटों मशक्त करनी पड़ी। जानकारी के मुताबिक मंगलवार को दोपहर करीब दो बजे मानपुर परिक्षेत्र अंतर्गत ग्राम मजखेता के जंगल मे जानवर चराने गये बाबूलाल सिंह 55 पर बाघ ने हमला कर दिया था। इस घटना मे मौके पर ही चरवाहे की मौत हो गई। हादसे के बाद ग्रामीणो मे रोष फैल गया। पहले तो उन्होने मृतक का शव उठाने से ही इंकार कर दिया। उनका कहना था कि इस बाघ ने पूरे क्षेत्र मे आतंक मचा रखा है, लिहाजा उसे पकड़ कर वहां से ले जाया जाय तभी मृतक का पीएम और अंतिम संस्कार कराया जायेगा। कुछ देर बाद वे लाश को गांव ले गये और कार्यवाही की मांग करने लगे।
मौके पर पहुंचे अधिकारी
घटना की जानकारी मिलते ही एसडीओपी नागेन्द्र सिंह, अन्य अधिकारियों व अमले के सांथ मौके पर पहुंच गये। पुलिस तथा पार्क प्रबंधन द्वारा ग्रामीणो को समझाईश देने तथा तुरंत कार्यवाही का आश्वासन देने के उपरांत अंतत: वे पीएम के लिये राजी हुए। एसडीओपी श्री सिंह ने बताया मौके पर ही पोस्टमार्टम कराने के बाद मृत बाबूलाल का शव अंतिम संस्कार हेतु परिजनो को सौंप दिया गया है। इधर नेशनल पार्क का दल बाघ को ट्रेस कर रहा है। इस कार्यवाही मे हाथियों की मदद ली जा रही है। अधिकारियों ने बताया कि शैतान बाघ का रेस्क्यू कर उसे बाड़े मे पहुंचाया जायेगा।
बढ़ रहा बाघ-इंसानी टकराव
बीते कुछ वर्षो मे राष्ट्रीय उद्यान के आसपास इलाकों मे बाघ और इंसानो का टकराव बढ़ा है। इसमे नसिर्फ कई लोगों की जान गई है, बल्कि बाघों की भी संदिग्ध मौतें हुई हैं। हलांकि विभागीय अधिकारी बाघों की मृत्यु आपसी संघर्ष या स्वाभाविक तरीके से होने का दावा करते रहे हैं। जबकि वन्यजीव विशेषज्ञ घटनाओं के पीछे ग्रामीणो का असंतोष और शिकार को जिम्मेदार ठहराते हैं। उनका मानना है कि बांधवगढ़ मे बाघों की तादाद तेजी से बढ़ी है। जो अक्सर शिकार के लिये हिरन, चीतल आदि के पीछे-पीछे गांव पास खेतों मे चले आते हैं। यहीं पर उनका सामना ग्रामीणो से हो जाता है।
बाघों की मौत के सांथ ही उनके हमलों मे इंसानो की मौत भी बदस्तूर हो रही है। इससे जहां क्षेत्र मे तनाव व्याप्त है, वहीं प्रबंधन को आये दिन लोगों के आक्रोष का सामना करना पड़ रहा है। आंकड़ों पर नजर डालें तो जुलाई से लेकर अब तक नेशनल पार्क से सटे गावों मे 6 ग्रामीण बाघ के गुस्से का शिकार हो कर अपनी जान गवां चुके हैं। केवल जुलाई महीने मे टाईगर अटैक के चलते 3 व्यक्तियों की मृत्यु हुई थी। वहीं अगस्त और सितंबर मे भी 1-1 ग्रामीण की मौत बाघ के हमले मे हुई है। इसके अलावा कई रहवासी गंभीर रूप से घायल भी हुए हैं।