तेज गर्मी मे बढ़ती हैं घटनाएं, जंगल से लगे गांवों मे की जा रही सर्चिंग
उमरिया। लगातार बढ़ती गर्मी मे शिकार का खतरा बढ़ गया है। जंगल के बाघों को सुरक्षित रखने के लिए जरूरी है कि शिकारियों पर नजर रखी जाए। यही कारण है कि गर्मी में बांधवगढ़ के अंदर शिकारियों का प्रवेश न हो इसके लिए आसपास के गांवों मे सघन जांच की जा रही है। उन गांवों मे खासतौर से पूछताछ की जा रही है जहां के लोगों को पहले शिकार के मामले मे पकडा़ जा चुका है। मध्यप्रदेश मे शिकार की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए भी बांधवगढ़ मे शिकारियों को लेकर सतर्कता बरती जा रही है। इसके लिए पार्क के सभी रेंज में अधिकारियों और कर्मचारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है।
जंगली सुवर का होता है शिकार
जिले के जंगल मे सबसे ज्याद शिकार जंगली सुवर का किया जाता है। वन विभाग की टीम ना सिर्फ शाकाहारी जानवरों पर विशेष नजर रख रही है बल्कि जंगल से लगे गांव मे गश्त बढ़ा दी गई है। खासतौर से उन गांव मे नजर रखी जा रही है जहां पहले भी शिकार की घटनाएं हो चुकी हैं और शिकारियों को जहां से पकड़ा जा चुका है। बांधवगढ़ के जंगल से लगे कई गांव में पहले जंगली जानवरों का शिकार हुआ है और ग्रामीणों को शिकार के आरोप मे गिरफ्तार भी किया गया है। ग्रामीणों ने अभी तक ज्यादातर जंगली सूअरों का ही शिकार किया है। मानपुर क्षेत्र के कुछ गांवों मे बाघ के शिकारी भी पकड़े गए थे। उन सभी ग्रामीण क्षेत्रों पर खासतौर से वन विभाग का अमला नजर रख रहा है जहां पहले शिकार की घटनाएं हुई है।
की जा रही पूछताछ
डेरा डालकर कारोबार करने वाले पारधी समाज के लोगों पर भी नजर रखी जा रही है और उनसे पूछताछ की जा रही है। उमरिया और कटनी जिले की सीमा पर शिकार करने वाले लोगों की संख्या सबसे ज्यादा है, इसलिए इस क्षेत्र मे जांच का विशेष अभियान चलाया जा रहा है। जंगल के आस-पास के गांव में डेरा डालकर कारोबार करने वाले लोग अक्सर शिकार की घटनाओं को अंजाम दे देते हैं। शिकार के मामले मे ऐसे लोग पहले पकड़े जा चुके हैं, इसलिए डेरा डालने वालों पर खासतौर से वन विभाग का अमला हमेशा नजर रखता है। उमरिया जिले के कई हिस्सों मे ऐसे लोग हैं जो बाहर से आकर डेरा डाल लेते हैं और दवाइयां बेचने का काम करते हैं। इसके अलावा मसाला पीसने वाले पत्थर भी यह लोग बेचते हैं लेकिन साथ ही यह दूसरे तरह के अपराधों को भी कई बार अंजाम दे देते हैं।
दी जा रही समझाईश
न सिर्फ ग्रामीण क्षेत्र की निगरानी की जा रही है बल्कि ग्रामीणों को शिकार नहीं करने के लिए समझाइश भी दी जा रही है। गांव मे भी लोगों को समझाया जा रहा है कि वे जंगली जानवरों का शिकार ना करें और उन्हें बचाने का प्रयास करें। ग्रामीणों को बताया जा रहा है कि जंगली जानवर कितने महत्वपूर्ण है और उनके शिकार के बाद ग्रामीणों को कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। ग्रामीणों से कहा जा रहा है कि यदि उन्हें शिकारियों की कोई जानकारी लगे तो वह भी वन विभाग के अधिकारियों को उपलब्ध कराएं।
बांधवगढ मे शिकारियों पर रखी जा रही नजर
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