हजारों कबीरपंथियों ने किया पार्क मे प्रवेश, बेअसर रही प्रबंधन की अपील
बांधवभूमि, रामाभिलाष त्रिपाठी
मानपुर। देश के कोने-कोने से आये हजारों कबीरपंथियों ने बुधवार को बांधवगढ़ मे साहेब की बंदगी की। इस मौके पर उन्होने पार्क के अंदर स्थित कबीर तलैया, गुफा, चबूतरा आदि पवित्र स्थानो के दर्शन किये। सांथ ही ऐतिहासिक चौका आरती मे भी हिस्सा लिया। उल्लेखनीय है कि अगहन महीने की पूर्णिमा के दिन प्रतिवर्ष बांधवगढ़ मे संत कबीर के अनुयाईयों का समागम होता है। इस बार करीब 15 हजार से अधिक लोग ताला पहुंचे थे। इनमे मध्यप्रदेश के अलावा, छत्तीसगढ़, महाराष्ट, राजस्थान, गुजरात आदि विभिन्न प्रांतों से आये श्रद्धालु शामिल थे। सुबह करीब 8 बजे श्रद्धालुओं को उद्यान के मुख्य द्वार से प्रवेश कराया गया। जो मीलों पैदल चल कर उन स्थानो पर पहुंचे, जहां पर कभी कबीर दास जी ने अपने ज्ञान का प्रकाश फैलाया था। पूजा-अर्चना के उपरांत करीब 4 बजे सभी अनुयाई पार्क से बाहर हो गये।
न मिला हांथी, न शेर
गौरतलब है कि कबीर मेले के आयोजन से पूर्व प्रबंधन द्वारा गुफा, तलैया आदि स्थानो व इन तक पहुंचने वाले मार्ग के आसपास जंगली हाथियों के मौजूदगी की बात कहते हुए श्रद्धालुओं से जिप्सियों के द्वारा पार्क मे प्रवेश की गुजारिश की थी, परंतु उन्होने अधिकारियों की अपील को पूरी तरह से दरकिनार कर दिया और पैदल ही चल कर अपने गंतव्य तक पहुंचे। इस दौरान ना तो कोई हांथी, बाघ और नां ही अन्य कोई जानवर ही दिखाई दिया। इस मौके पर श्रद्धालुओं की सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किये गये थे।
तो नहीं टूटती जन्माष्टमी की परंपरा
जिले के नागरिक कबीर मेले के आयोजन की अनुमति मिलने से प्रसन्न हैं। उनका मानना है कि किसी भी समस्या का समाधान खोजने की बजाय परंपरागत कार्यक्रमो को बाधित करना उचित नहीं है। लोगोंं ने विगत श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दौरान पार्क अधिकारियों के रवैये पर भी सवाल उठाये हैं। उनका आरोप है कि सदियों से चले आ रहे इस धार्मिक कार्यक्रम को षडय़ंत्रपूर्वक रद्द कराया गया। यदि पार्क के अधिकारी चाहते तो जन्माष्टमी पर आयोजित होने वाला मेला और श्रीराम-जानकी मंदिर मे पूजा-अर्चना निर्बाद्ध तरीके से संपन्न हो सकता था।
प्रबंधन की हठधर्मिता ने तोड़ी परंपरा
उल्लेखनीय है कि प्रति वर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर बांधवगढ मे आयोजित होने वाले मेले और श्रद्धालुओं को श्रीराम-जानकी मंदिर मे पूजा-अर्चना की अनुमति गत अगस्त मे पार्क प्रबंधन द्वारा नहीं दी गई थी। जिस पर काफी विवाद भी हुआ था। इतना ही नहीं जिला प्रशासन और नेशनल पार्क अथॉरिटी के निर्णय के खिलाफ पूर्व रीवा रियासत के नरेश महाराजा पुष्पराज सिंह व युवराज दिव्यराज सिंह अपने कई समर्थकों और श्रद्धालुओं के सांथ धरने पर बैठ गये। इसके बावजूद कार्यक्रम नहीं होने दिया गया। हलांकि रात भर चले विरोध प्रदर्शन के बाद सुबह युवराज श्री सिंह को कुछ लोगों के सांथ जिप्सियों मे मंदिर तक जाने की परमीशन दे दी गई। इस तरह से पार्क प्रंबंधन की हठधर्मिता के कारण एक महान परंपरा टूट गई।
कबीर मेले का स्वागत, जन्माष्टमी पर भी हो व्यवस्था
दुनिया को आडंबर व अहंकार त्याग कर समाज के प्रति समर्पण और सादगी का संदेश देने वाले संत कबीर के अनुयाईयों को मेले की अनुमति दिया जाना स्वागतयोग्य है। बांधवगढ पार्क प्रशासन को इसी तरह श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर भी श्रद्धालुओं तथा नागरिकों की भावनाओं का आदर करते हुए कार्यक्रम की व्यवस्था करनी चाहिये।
दिव्यराज सिंह
युवराज एवं विधायक, सिरमौर
बांधवगढ़ मे हुई साहेब की बंदगी
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