टाईगर रिजर्व मे हुई फोर फेज की गणना के परिणामो से खुश वन्यजीव प्रेमी
उमरिया। टाइगर रिजर्व मे हुई फोर फेज की गणना के परिणाम बताते हैं कि पिछले एक साल मे प्रदेश भर मे बाघ शावकों की संख्या तेजी से बढ़ी है। मध्यप्रदेश के 6 टाइगर रिजर्व मे तीन महीने से एक साल तक के शावकों की संख्या 90 से ज्यादा है जबकि तीन महीने से दो साल तक के शावकों की संख्या 141 के आसपास है।
यह है स्थिति
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व मे तीन महीने से दो साल तक के बाघ शावकों की संख्या 41 है। पन्ना मे यह संख्या18 है। कान्हा मे 33 शावक हैं। पेंच मे 32 शावक, सतपुड़ा मे14 और संजय धुबरी मे शावकों की संख्या 3 है। जबकि प्रदेश के सामान्य वन मंडलों मे बाघ शावकों की संख्या 55 के आसपास है। अकेले उमरिया जिले के सामान्य वन मंडल मे ही बाघ शावकों की संख्या दस से ज्यादा है।
टाइगर रिजर्व का अपना आंकलन
प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व और सामान्य वन मंडल मे स्थानीय स्तर पर फोर फेज की गणना होती है। जिसमें स्थानीय स्तर पर आंकलन किया जाता है। बांधवगढ़ मे पिछले साल मई मे फोर फेज की गणना के बाद शावकों की संख्या बताई गई थी।
चार वर्षीय गणना पर असर
पिछली गणना के परिणाम के अनुसार मध्यप्रदेश मे कुल 526 बाघ थे। एक वर्ष के कम के बाघ जिनकी संख्या लगभग 60 थी गणना से छूट गए थे। वर्तमान मे टाइगर रिर्जव और सामान्य वन मंडल के कुल बाघ शावकों की संख्या लगभग 196 है। यह आंकड़ा 782 हो जाता है। जबकि वर्ष 2019 से जनवरी 2022 तक सौ से ज्यादा बाघों की मौत हो चुकी है। तो यह आंकड़ा घटकर 600 हो जाता है। यानी वर्ष 2018 के मुकाबले इस गणना मे 74 बाघों की बढ़त तो मध्यप्रदेश को मिलेगी ही जबकि बढ़त की संख्या इससे बहुत ज्यादा भी हो सकती है।
छिपाकर रखती है बाघिन
डा. राकेश शुक्ला, पूर्व रिसर्च अधिकारी कान्हा ने बताया कि बाघिन अपने शावकों को छिपाकर रखती है। यह उसका स्वभाव है। इसका सीधा सा मतलब यह है कि जितने शावक दिखते हैं उससे कहीं ज्यादा दिखाई नहीं देते। यही कारण है कि अभी तक जितने बाघ शावकों की संख्या सामने आ चुकी है शावकों की संख्या उससे कहीं ज्यादा होगी।
बीट मे बढ़ी टाइगर की संख्या
रजनीश सिंह पीआरओ पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ मध्यप्रदेश भोपल ने बताया कि वर्ष 2014 की गणना मे महज 714 बीट मे 308 टाइगर देखे गए थे। जबकि सिर्फ चार साल बाद वर्ष 2018 की गणना मे बाघों के बीट की संख्या दोगुनी हो गई। वर्ष 2018 मे 1432 बीट मे 526 टाइगर दिखाई दिए। इस बार कुछ और बीट मे भी बाघ दिखाई देने की उम्मीद जताई जा रही है।
इनका कहना है
निश्चित तौर पर प्रदेश के जंगलों मे बाघ शावकों के बढऩे की सुखद खबरें आ रही हैं, लेकिन गणना में महत्व इस बात का होता है कि बाघों का रहवास कितनी बीटों मे बढ़ा है। 2014 के मुकाबले वर्ष 2018 मे ज्यादा बीटों मे बाघ पाए गए थे। इस बार भी यही उम्मीद है कि बाघों का रहवास ज्यादा से ज्यादा बीटों मे बढ़ा होगा।
रजनीश सिंह
पीआरओ, पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ, भोपाल मध्यप्रदेश
बांधवगढ़ मे सबसे ज्यादा शावक
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