बांधवगढ़ मे बन गया ”कैलाश” का मानसरोवर

बांधवगढ़ मे बन गया ”कैलाश” का मानसरोवर
रसूख के आगे नतमस्तक व्यवस्था, नियमो को मुंह चिढ़ाता धन्नासेठ का वाटर पार्क
उमरिया। कहते हैं यदि जेब मे पैसा हो तो सारे नियम और कानून बौने हो जाते हैं, व्यवस्था खुद ब खुद रसूख के आगे नत मस्तक हो जाती है। कायदे तो बस आम आदमी के लिये हैं, तभी तो एक धन्नासेठ उस जगह पर ऐशगाह बनाने मे सफल हो जाता है, जहां बिना अनुमति के ईट रखना भी गुनाह है। ये कोई मुहावरा नहीं, बल्कि कड़वी सच्चाई है जो बांधवगढ़ के घने जंगलों मे बने कैलाश छत्तवानी के वाटर पार्क के रूप मे चीख-चीख कर अपनी कहानी बयां कर रही है। कई एकड़ों मे करोड़ों रूपये की लागत से बना यह पार्क महामन गांव के समीप उस स्थान पर है, जो टाईगर, तेंदुआ, भालू सहित अन्य दुर्लभ वन्य जीवों के विचरण का मुख्य केन्द्र है। वन्यजीव प्रेमियों का मानना है कि वाटर पार्क चालू होने से यहां लोगों तथा वाहनो की आवाजाही बढ़ेगी, जिससे जंगली जानवरों की शांति मे खलल पड़ सकता है। वहीं इससे अवैध शिकार जैसी गतिविधियों के बढऩे की भी आशंका है। इसके बावजूद कैलाश के धन और धौंस के आगे अधिकारियों की बोलती बंद है।
जुगाड़ से करा लिया काम
जानकारों के मुताबिक बांधवगढ़ नेशनल पार्क के कोर तथा बफर क्षेत्र मे किसी भी तरह का निर्माण प्रतिबंधित है। हलांकि ऐसे मामले कमिश्नर की अध्यक्षता मे गठित सलाहकार समिति के समक्ष प्रस्तुत किये जाते हैं तथा वहां से अनुमति मिलने पर ही कोई संरचना बनाई जा सकती है। पार्क क्षेत्र मे कई रिसोर्ट अनुमति नहीं मिलने के कारण वर्षो से नहीं बन पा रहे जबकि कैलाश ने अपने जुगाड़ से यह काम भोपाल स्तर पर मिनटों मे करा लिया।
पेड़ों को बनाया बिजली का खंबा
वाटर पार्क निर्माण मे नकेवल नियमो की अनदेखी हुई है बल्कि पर्यावरण को भी भारी नुकसान पहुंचाया गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जिस स्थान पर पार्क बनाया गया वहां कभी सैकड़ों हरे-भरे पेड़ लहलहाते थे जो दिन दहाड़े काट दिये गये। इतना ही नहीं पार्क मालिक द्वारा उच्चदाब वाली बिजली की लाईन भी पेड़ों पर लपेट कर लाई गई है। जिससे कभी भी कोई भीषण दुर्घटना हो सकती है। इतना सबकुछ होने पर भी ना तो एनजीटी और नां ही अन्य किसी विभाग की ओर से कोई कार्यवाही की गई।
कोरोना काल मे भी चालू रहा विहार
कोरोना काल मे जब देश की पूरी आर्थिक, व्यवसायिक तथा सामाजिक गतिविधियां बंद थी तब भी दूर-दूर से लोगों को बुला कर खुलेआम वाटर पार्क मे जलविहार कराया गया। सूत्र बताते हैं कि जब भी कोई अवैध निर्माण के बारे मे सवाल करता है। कैलाश अपने ऊंचे संबंधों का हवाला देकर उन्हे धमकाना शुरू कर देता है। जिसकी वजह से उसके गैरकानूनी कार्य अभी भी बेधड़क जारी हैं।
पूर्व मे जारी की गई थी एनओसी
महामन मे बनाये गये वाटर पार्क की एनओसी पूर्व मे वरिष्ठ कार्यालय भोपाल के निर्देश पर उप वन संचालक द्वारा जारी की गई है। अन्य कोई जानकारी प्रकरण का निरीक्षण करने पर ही दी जा सकेगी।
विंसेन्ट रहीम
क्षेत्र संचालक
बाटारि, उमरिया

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