बांधवगढ़ मे गूंजेगी कबीर की वाणी

बांधवगढ़ मे गूंजेगी कबीर की वाणी

सत्संग और प्रवचन के सांथ होगा शुभारंभ, कल चौका आरती गुफा के दर्शन 

बांधवभूमि न्यूज

मध्यप्रदेश, उमरिया
जिले के बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान मे कबीर मेले का आयोजन पूर्व वर्षो की भांति इस साल भी परंपरागत तरीके से किया जायेगा। दो दिनो तक चलने वाले इस कार्यक्रम का शुभारंभ आज 25 दिसंबर को अपरान्ह 3 बजे से ताला स्थित कबीर मंदिर मे सत्संग व प्रवचन के सांथ होगा। जानकारी के मुताबिक कल 26 दिसंबर को प्रात: 7 बजे से गुरू महिमा पाठ, पूनोमहात्तम पाठ तथा दर्शन यात्रा होगी। जबकि सायं 6 बजे चौका आरती एवं प्रसाद वितरण किया जाएगा। इस दौरान आये श्रद्धालुओं को बांधवगढ़ किले पर मौजूद कबीर गुफा के दर्शन व पूजा-अर्चना के लिये प्रात: 7 बजे से 11 बजे तक उद्यान मे प्रवेश दिया जायेगा। मध्यान्ह 12 बजे सभी दर्शनार्थियों को वापस होना होगा।

संत के पहले और अंतिम शिष्य
गौरतलब है कि दुनिया को आडंबर त्यागने और मानवता का संदेश देने वाले महान संत कबीर दास जी ने अपने जीवन काल मे जिन एकमात्र व्यक्ति को अपना शिष्य माना था, वे संत धर्मदास थे। उन्ही की याद मे प्रत्येक वर्ष  मेले का आयोजन होता है। इस दौरान अगहन पूर्णिमा पर उनकी विशेष आराधना होती है। यह धार्मिक समारोह मे महाराज धर्मदास के वंशज और दामाखेड़ा आश्रम के संत प्रकाशमुनि साहेब सहित हजारों की तादाद मे देश-विदेश से आये उनके अनुयाईओं शिरकत करते हैं।

खजांची से संत बनने का सफर
कहा जाता है कि अध्यात्म के जानकार महान संत धर्मदास रीवा राज के खजांची थे, बांधवगढ़ किले मे ही उनका निवास स्थान था। कालांतर मे रीवा नरेश काशी गये, तो वहां के राजा ने उनकी मुलाकात कबीर दास जी से कराई। इसी दौरान उन्होने कबीर को बांधवगढ़ आने का निमंत्रण दे दिया। राजा के आग्रह पर वे बांधवगढ़ आये और यहीं उनकी भेंट धर्मदास से हुई। इतिहास के जानकारों के मुताबिक कबीर दास धर्मदास के ज्ञान से इतने प्रभावित हुए कि उन्हे अपना शिष्य बना लिया। जो कबीर दास के पहले और अंतिम शिष्य कहलाये।

शुरू हुआ साहब सलाम का अभिवादन
विंध्य क्षेत्र को गौरवशाली रीवा रियासत, सफेद शेर, सुरम्य वन, दुर्लभ वन्य जीवों, अपनी पुरातन संस्कृति और अत्यंत मधुर बघेली बोली के अलावा साहब सलाम के अभिवादन के लिये भी जाना जाता है। जो कि संत कबीर से प्राप्त हुआ है। कबीर दास, साहेब अर्थात परमात्मा को सलाम कह कर उनकी बंदगी करते थे। जानकारों का मानना है कि बांधवगढ़ आगमन पर रीवा नरेश को संत का यह अभिवादन इतना भाया कि उन्होने भी इसे अपनाने का फैंसला कर लिया। इससे पहले यहां के लोग जय श्रीकृष्ण से परस्पर अभिवादन करते थे।

चिकित्सा तथा पेयजल की व्यवस्था
कलेक्टर बुद्धेश कुमार वैद्य ने श्री सद्गुरू कबीर धर्मदास साहब वंशावली प्रतिनिधि सभा दामाखेडा जिला रायपुर सहित अन्य श्रद्धालुओं द्वारा बांधवगढ़ किले पर स्थित कबीर गुफा तक की जाने वाली कबीर दर्शन यात्रा हेतु पेयजल तथा स्वास्थ्य व चिकित्सा सुविधा की व्यवस्था हेतु निर्देश जारी किये हैं। उन्होने मुख्यमंत्री कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत मानपुर को यात्रा के स्थान पर पानी के टैंकर तथा खंड चिकित्सा अधिकारी को आवश्यक किट के साथ चिकित्सकों का दल तैनात करने को कहा है।

Advertisements
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *