बांघ के मौत की गुत्थी सुलझाने मे जुटा अमला
डॉग स्क्वाड और हाथियों की ली जा रही मदद, ग्रामीणो से भी पूंछताछ
मानपुर/रामाभिलाष त्रिपाठी। बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान मे गत 14 मई को पाये गये बाघ के शव मामले मे जांच तेज हो गई है। विभागीय अमला घटना स्थल से मिले साक्ष्यों को आधार मान कर घटना की तह तक पहुंचने मे जुटा हुआ है। इसके लिये डॉग स्क्वाड और हाथियों के सांथ विभाग के अनुभवी अधिकारियों और कर्मचारियों की मदद ली जा रही है। बताया गया है कि बाघ की मौत को लेकर बडख़ेरा तथा आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के करीब दर्जन भर लोगों को पूंछताछ के लिये बुलाया गया है।
यह है मामला
गौरतलब है कि विगत 14 मई को एक वयस्क बाघ का शव मानपुर बफर की बडख़ेरा बीट क्रमांक 334 मे एक नाले के समीप पाया गया। बताया गया है कि शव करीब 7 दिन पुराना था। जिसकी वजह से यह पूरी तरह गल चुका था। शिकारियों ने बाघ की हत्या कर उसके शव को गाड़ दिया था। सांथ ही उसके ऊपर कुछ झाडिय़ां रख दी गई थी। पाये गये अवशेष से चमड़ी, दांत, मूछ के बाल, हड्डियां इत्यादि अधिकांश हिस्से गायब थे।
कई दिनो से सक्रिय शिकारी
पार्क से जुड़े सूत्रों का दावा है कि इलाके मे लंबे समय से वन्य जीवों के शिकारी सक्रिय हैं। उनका कार्यक्षेत्र कटनी, उमरिया से लेकर शहडोल तक फैला हुआ है। जिनका धंधा जंगलों मे विचरण करने वाले दुर्लभ वन्य जीवों का शिकार और उनके अंगों की तस्करी करना है। इसी साल पुलिस और वन विभाग की टीम द्वारा उद्यान और आसपास के क्षेत्रों से पेंगोलीन की तस्करी कर बेंचते हुए आरोपियों को ब्यौहारी और उमरिया की हवाई पट्टी आदि से गिरफ्तार भी किया गया था। उसी समय यह साफ हो गया था कि बांधवगढ़ पर एक बार फिर शिकारियों की वक्रदृष्टि है। इसके बावजूद विभाग के अधिकारी हांथ पर हांथ धरे बैठे रहे।
नये साल मे 6 बाघों की मौत
नया साल बांधवगढ़ के लिये बेहद बुरा साबित हुआ है। इस दौरान करीब 6 बाघों की संदिग्ध परिस्थितियों मे मौत हुई है। वहीं इस दौरान 3 तेंदुए भी काल कवलित हुए हैं। मारे गये बाघ और तेदुओं मे से अधिकांश मादा हैं, जिससे नुकसान कई गुना बढ़ गया है। जानकारों का मत है कि मादा जानवर ही पार्क मे वंशवृद्धि का प्रमुख स्त्रोत है, अत: इनकी मौत की भरपाई लंबे समय तक नहीं होती।
की जा रही कार्यवाही
बडख़ेरा मे मिले बाघ के शव मामले की जांच की जा रही है। इलाके मे डॉग स्क्वाड की टीम के सांथ अधिकारी पड़ताल मे जुटे हुए हैं। स्थानीय लोगों से पूंछताछ भी की जा रही है।
स्वरूप दीक्षित
उप संचालक
बांटारि, उमरिया