BJP विधायक ने उठाया मुद्दा, कांग्रेस का आरोप-गौशालाओं में न चारा न भूसा
भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के चौथे दिन गुरुवार को गायों की मौत पर कांग्रेस ने सदन में जमकर हंगामा किया। कांग्रेस विधायकों ने आरोप लगाया कि प्रदेश की गौशालाओं में न चारा है और न ही भूसा है। सरकार गोवंश संरक्षण की केवल बात करती है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे जुदा है। असल में अनुदान के अभाव में गायें मर रही हैं और गौशालाएं बंद हो रही हैं। खास बात यह है कि गायों की मौत का मुद्दा जौरा से बीजेपी विधायक सूबेदार सिंह रजौधा ने ध्यानाकर्षण के माध्यम से उठाया था। इस पर सरकार को घेरने का कांग्रेस को मौका मिल गया। राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत पूरा जवाब नहीं दे पाए, उससे पहले ही कांग्रेस विधायक सदन से वॉक आउट कर गए और लॉबी में जाकर नारेबाजी की। कांग्रेस विधायकों ने सरकार पर आरोप लगाया कि 8 महीने से अनुदान नहीं दिया गया। गौशालाएं बंद पड़ी हैं। गोहत्या हो रही है। काफी देर तक कांग्रेस के सदस्य एक साथ बोलते रहे और फिर वॉक आउट कर दिया।
भाजपा विधायक ने कहा-किसानों को नहीं मिल रहा मुआवजा
बीजेपी विधायक रजौधा ने मुरैना में गाय, भैंस सहित अन्य पशुओं की अचानक मौत का मामला उठाया। रजौधा ने कहा कि पशुओं की मृत्यु होने के बाद किसानों को मुआवजा नहीं मिल रहा। इसे प्राकृतिक आपदा नहीं माना जा रहा। उनके इस मुद्दे को उठाते ही कांग्रेस के डॉ. गोविंद सिंह, सज्जन सिंह वर्मा, विजय लक्ष्मी साधौ, लाखन सिंह यादव, पीसी शर्मा, प्रियव्रत सिंह सहित अन्य विधायक एक साथ खड़े हो गए। आरोप लगाया कि पूरे प्रदेश में गायें मर रही हैं, पर सरकार कोई कदम नहीं उठा रही। पशुओं को खिलाने के लिए भूसा तक नहीं मिल रहा। रजौधा ने सरकार से पशुओं की मृत्यु को प्राकृतिक आपदा में शामिल करते हुए प्रभावितों को मुआवजा देने की मांग की।
राजस्व मंत्री ने कहा-मुआवजा देने पर करेंगे विचार
राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने जवाब में सिर्फ इतना ही कहा कि पशुधन की मृत्यु पर पशुपालन विभाग ने पशु चिकित्सकों को भेजकर जांच कराई थी। पोस्टमार्टम भी करवाया गया। यह सामने आया कि निमोनिया, संक्रमण समेत अन्य बीमारियों की वजह से पशुओं की मौत हुई है। बीमारी से मृत्यु राजस्व पुस्तक परिपत्र के प्रावधानों के तहत मुआवजा की श्रेणी में नहीं आता, लेकिन इस पर विचार करेंगे।
बड़ादेव सिंचाई परियोजना लंबित होने का मुद्दा भी उठा
बरगी विधानसभा से कांग्रेस के विधायक संजय यादव ने जबलपुर में बड़ादेव सूक्ष्म उद्वहन सिंचाई परियोजना के लंबित होने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि परियोजना से 103 गांवों के 72 हजार 864 किसान लाभान्वित होंगे। 28 हजार 500 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा प्राप्त होगी, पर यह लंबित है। इसकी वजह से क्षेत्र के आदिवासी परेशान हैं। वे 15 दिन से आंदोलन कर रहे हैं।
राज्यमंत्री कुशवाह ने जांच कराने का दिया आश्वासन
नर्मदा घाटी विकास विभाग के राज्यमंत्री भारत सिंह कुशवाह ने इसका जवाब देते हुए कहा कि नई योजना को वर्तमान में शामिल करना संभव नहीं। किसान स्वयं सिंचाई के लिए पंप लगाकर पानी खींच सकते हैं। इसके निर्देश भी दिए जा चुके हैं। इस पर विधायक लखन घनघोरिया ने कहा कि मोटर से भी पानी नहीं चढ़ सकता। अध्यक्ष गिरीश गौतम ने कहा कि आप इसकी जांच करा लीजिए कि पानी चढ़ सकता है या नहीं। इस पर कुशवाहा ने जांच कराने का आश्वासन दिया।
अवैध रेत उत्खनन की चार साल में 110 एफआईआर
मध्य प्रदेश में अवैध रेत उत्खनन को लेकर 110 एफआईआर दर्ज की गई हैं। यह आंकड़े चार साल के हैं। यह जानकारी खनिज मंत्री ने विधानसभा में लिखित जवाब में दी है। कांग्रेस विधायक आरिफ अकील ने इसे लेकर सवाल पूछा था। सरकार ने बताया है कि वर्ष 2018 से फरवरी 2022 तक प्रदेश के 11 जिलों में रेत के अवैध उत्खनन के 110 मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें आरोपियों ने पुलिस, प्रशासन और खनिज विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के साथ मारपीट और जान से मारने की कोशिश की है। इस अवधि में हत्या के दो, मारपीट के 79 प्रकरण पंजीबद्ध हुए हैं। 29 प्रकरण गोली चलाने के भी दर्ज किए गए हैं। खनिज मंत्री ने यह भी स्वीकार किया है कि मुठभेड़ के दौरान आरोपियों ने गश्ती या विशेष दल के अधिकारियों और कर्मचारियों पर गोली चलाई हैं। गोली चलाने के सबसे ज्यादा 24 मामले मुरैना जिले में दर्ज किए गए हैं।
चंबल से अवैध उत्खनन, 182 प्रकरण दर्ज
विधायक अजब सिंह कुशवाह के सवाल के लिखित जवाब में खनिज संसाधन मंत्री ने बताया कि चंबल नदी से रेत के अवैध उत्खनन के मामलों में वन विभाग कार्रवाई कर रहा है। विभाग ने 2021 में 182 वन अपराध दर्ज किए हैं। अवैध उत्खनन और परिवहन में लगे 69 वाहनों को राजसात किया गया है।