सीरम इंस्टीट्यूट की बड़ी तैयारी, सितंबर तक बाजार मे उतारेगी वैक्सीन
नई दिल्ली। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया बच्चों के लिए कोविड वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल जल्द ही शुरू करने की योजना बना रहा है। सूत्रों ने जानकारी दी है कि कंपनी की योजना जुलाई में बच्चों पर नोवावैक्स का क्लिनिकल ट्रायल करने की है। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को उम्मीद है कि सितंबर तक कंपनी देश में नोवावैक्स वैक्सीन को कोवावैक्स के नाम से बाजार में उतारने में कामयाब रहेगी। नोवावैक्स अमेरिकी कंपनी है, जिसने कोरोना वायरस की वैक्सीन को नोवावैक्स बनाई है, भारत में नोवावैक्स की साझेदारी सीरम इंस्टीट्यूट के साथ है, जो वैक्सीन को कोवावैक्स के नाम से उपलब्ध करा रही है। इससे पहले केंद्र सरकार ने मंगलवार को कहा था कि कोविड-19 के खिलाफ नोवावैक्स टीके की प्रभावशीलता के आंकड़े आशाजनक और उत्साहवर्धक हैं और इसके नैदानिक परीक्षण भारत में पूर्ण होने के उन्नत चरण में हैं। नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वी के पॉल ने संबोधित करते हुए कहा कि सार्वजनिक रूप से उपलब्ध आंकड़े यह संकेत भी देते हैं कि टीका सुरक्षित व बेहद प्रभावी है। उन्होंने कहा, उपलब्ध आंकड़ों से हम जो देख रहे हैं वह यह कि टीका बेहद सुरक्षित व प्रभावी है, लेकिन जो तथ्य आज के लिये इस टीके को प्रभावी बनाता है वह यह कि टीके का उत्पादन भारत में सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा किया जाएगा। सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा तैयारी का काम पहले ही पूरा कर लिया गया है और वे व्यवस्था को पूरी तरह दुरुस्त बनाने के लिये परीक्षण कर रहे हैं जो पूर्ण होने के उन्नत चरण में है। कंपनी ने कहा कि टीका कुल मिलाकर करीब 90.4 फीसदी असरदार है और शुरुआती आंकड़ें बताते हैं कि यह सुरक्षित है।
मप्र में मिला डेल्टा प्लस वैरियंट का पहला केस
भोपाल। मध्यप्रदेश में संक्रमण की दूसरी लहर के काबू में आने के बाद अब कोरोना के नए डेल्टा प्लस वैरिएंट का पहला मामला मिलने से चिंता बढ़ गई है। भोपाल में बरखेड़ा पठानी निवासी एक ६४ साल की महिला में यह वैरिएंट मिला है। कुछ दिन पहले महिला का सैंपल जांच करने के लिए भेजा गया था। हालांकि अब महिला की रिपोर्ट निगेटिव है और वह अपने घर पर है। देश में कोरोना की दूसरी लहर के लिए कोरोना के डेल्टा वैरिएंट को जिम्मेदार माना जाता है। यह पहली बार भारत में ही पाया गया। अब इसी वैरिएंट का बदला रूप डेल्टा प्लस है। इससे पहले देश में डेल्टा प्लस वैरिएंट के ६ मामले मिल चुके हैं।
मानसून बाद तीसरी लहर संभव
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि लोगों द्वारा नियमों का पालन करने में ढील और सभी के टीकाकरण का लक्ष्य पाने में मुख्य मुश्किलों को देखते हुए तीसरी लहर रोकना शायद संभव नहीं हो पाएगा। जन स्वास्थ्य और महामारी विशेषज्ञ डॉक्टर चंद्रकांत लहारिया के मुताबिक, दूसरी लहर में ४० से ५० आबादी चपेट में आ चुकी है। उनका कहना है कि मानसून के बाद संक्रमण की तीसरी लहर आ सकती है। हालांकि, डॉक्टर लहारिया कहते हैं कि पहले संक्रमित हो चुके लोगों के अलावा टीका लगवा चुके लोगों में भी एंटीबॉडी बन चुकी है। बची आबादी में केस बढ़ने की आशंका है। हालांकि, तीसरी वाली लहर कम असर वाली हो सकती है यदि रोजाना १० हजार केस आ रहे हैं तो उस वक्त केस बढ़कर २० से २५ हजार तक पहुंच जाएंगे।