फीके हुए अतिथि शिक्षकों के त्यौहार

कोरोना ने छीनी गुरूजनो की खुशियां, तीन महीनो से नहीं मिली तनख्वाह

प्राईवेट स्कूलों और कोचिंग सेंटरों के मालिक भी हुए बेरोजगार

उमरिया। कोरोना महामारी ने वैसे तो हर आम आदमी को प्रभावित किया है, लेकिन प्राईवेट स्कूल के शिक्षक, कोचिंग सेंटर संचालक और अतिथि शिक्षकोंं की हालत सबसे ज्यादा खराब है। स्थिति यह है कि आर्थिक तंगी के चलते वे दूसरों के यहां मजदूरी से लेकर खेतों पर काम करने को मजबूर हैं। सरकारी अतिथि शिक्षकों को पिछले तीन महीने का मानदेेय भी नही मिला है। जिसके लिए वे लंबे समय से मांग कर रहे हैं। लेकिन इसके बाद भी उनका भुगतान नही हो पाया है। जेब मे पैसे न होने के कारण आने वाला हर त्यौहार उनके परिवार के लिये कड़वा एहसास देकर जा रहा है।
बेंच रहे फल और सब्जियां
जिले मे छोटे-बड़े करीब 100 से ज्यादा प्राईवेट स्कूल है, इसके अलावा 50 से अधिक कोचिंग सेंटर है। ये सभी महीनो से बंद पड़े हैं, जिससे बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षक बेरोजगार हो गए हैं। बताया गया है कि करीब चार माह से काम नही मिलने के कारण अधिकांश की आर्थिक हालत बहुत ही खराब है। जिसका परिणाम है कि पढ़े लिखे इन शिक्षकों को अब मजदूरी तक करनी पड़ नही है। कोई कारपेंटर का काम कर रहा है तो कोई टेलरिंग कर रहा है। कुछ शिक्षक तो हाथ ठेलों पर सब्जी और फल बेचने का काम भी कर रहे हैं।
अतिथि शिक्षक भी परेशान
सरकारी स्कलों मे पढ़ाने वाले अतिथि शिक्षकों की हालत भी कुछ ऐसी ही है। उन्हे करीब तीन महीने का वेतन नही मिला है, वहीं अब उनके पास रोजगार भी नही है। उल्लेखनीय है कि जिले मे प्रतिवर्ष करीब 500 से ज्यादा अतिथि शिक्षकोंं को सरकारी स्कूलों मे बच्चों को पढ़ाने के काम पर लगाया जाता है। लेकिन इस सत्र मे स्कूलों के बंद होने से ये सभी बेरोजगार घूम रहें हैं। जिनके पास गावों मे खेती है वे तो कुछ काम कर भी रहे हैं, परंतु अन्य लोगों के लिये बाजार मे काम तलाशने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
फोकट मे देना पड़ रहा किराया
जिला मुख्यालय मे ही कई शिक्षक किराये के कमरे मे बच्चों को कोचिंग देने का काम करते है। कोरोना के कारण पिछले चार महीनों सभी सेंटरों पर ताला जड़ा हुआ है। जबकि मकान मालिक उनसे हर महीने किराया ले ही लेते हैं।
काम तो नहीं, भुगतान भी नहीं
सरकारी स्कूलों मे सैकड़ों की संख्या मे अतिथ शिक्षक अल्प मानदेय पर अपनी सेवाएं देतें आ रहे है। हर साल उन्हे सत्र शुरू होने पर जुलाई या अगस्त माह मे सेवा पर लिया जाता है, इसके बाद कभी भी हटा दिया जाता है। इस साल तो भर्ती ही नही की कई, वही पिछले सत्र का लंबित वेतन भी नहीं मिल रहा हैं।
प्राप्त नहीं हुआ आवंटन
आवंटन प्राप्त नहीं होने के कारण अतिथि शिक्षकों का लंबित भुगतान नहीं हो पा रहा है। शासन के निर्देश पर मांगपत्र प्रेषित किया जा चुका है, राशि प्राप्त होते ही मानदेय प्रदान कर दिया जायेगा।
उमेश धुर्वे
जिला शिक्षा अधिकारी, उमरिया

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