फिफ्टी-फिफ्टी मे बांट दिया अनुदान
खादी ग्राम उद्योग मे लाखों का घोटाला, तत्कालीन प्रबंधक पर अपराध दर्ज
उमरिया। जिले के खादी ग्राम उद्योग विभाग मे अनुदान वितरण के नाम पर लाखों रूपये का फर्जीवाड़ा प्रकाश आया है। पुलिस ने इस मामले मे तत्कालीन प्रबंधक के विरूद्ध अपराध दर्ज कर लिया है। इस संबंध मे थाना कोतवाली के टीआई राकेश उईके ने बताया कि खादी ग्राम उद्योग द्वारा रोजगारोन्मुखी योजना के तहत हितग्राहियों को बैंक से लोन दिलाया जाना था। जिसमे से कुछ राशि शासन की ओर से अनुदान के रूप मे संबंधित बैंकों मे जमा करने के लिये आवंटित हुई थी। आरोप है कि तत्कालीन प्रबंधक केवी राव द्वारा उक्त सब्सिडी बैंक को जारी न कर सीधे हितग्राहियों के खातों मे डाल दी गई। कुछ हितग्राहियों ने बताया है कि उक्त राशि मे आधी प्रबंधक और आधी हितग्राहियों द्वारा आपस मे बांट ली गई।
नहीं खुला कोई कारोाबार
बताया जाता है कि इस योजना के तहत हितग्राहियों को रोजगार हेतु बैंकों के माध्यम से लोन दिलाया जाना था परंतु अनुदान हड़पने के चक्कर मे न तो बैंको से लोन लिया गया और नां ही कोई रोजगार ही स्थापित हो सका। इस मामले की जानकारी जब प्रभारी प्रबंधक कृष्णकांत पिता स्व. मुलदास कावरे 31 वर्ष को लगी तो उसने इस आशय की शिकायत पुलिस से की। जिस पर आरोपी तत्कालीन प्रबंधक केवी राव के विरुद्ध धारा 409, 420, 467, 468, 471 का अपराध दर्ज कर कार्यवाही शुरू की है।
42 हितग्राहियों को मिलना था लोन
जानकारी के अनुासार खादी ग्राम उद्योग द्वारा जिले के कुल 42 हितग्राहियों को रोजगार दिलाने हेतु प्रकरण तैयार किये गये थे। इसमे से करीब 29 लाख रूपये बतौर सब्सिडी बैंकों को दिया जाना था परंतु यह पूरी की पूरी राशि बंदरबांट कर ली गई। जानकारों का मानना है कि इस फर्जीवाड़े मे प्रबंधक के अलावा कई हितग्राही भी शामिल है। थाना प्रभारी श्री उईके के मुताबिक मामले की जांच जारी है। जिसके बाद ही पूरी कहानी सामने आ सकेगी।
रिटायर हो चुके प्रबंधक
यह भी बताया गया है कि इस पूरे घोटाले को अंजाम देने वाले खादी ग्राम उद्योग के तत्कालीन प्रबंधक अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्रबंधक और हितग्राहियों द्वारा राशि हड़पने के लिये कूटरचित और फ र्जी दस्तावेज भी तैयार किये गये। बहरहाल पुलिस इस मामले की तह तक जाने की कोशिशों मे जुटी हुई है।