प्रेम, न्याय, धर्म और मित्रता के भी पर्याय हैं श्रीकृष्ण

धावड़ा कालोनी मे आयोजित श्रीमद्भागवत कथा का समापन आज
बांधवभूमि, उमरिया
जब भगवान को सूचना मिली कि बालसखा सुदामा आये हैं, तो उनसे मिलने के लिये वे इतने व्याकुल हुए कि नंगे पांव ही द्वार की ओर दौड़ पड़े। सारी राज्यसभा और रानियां श्रीकृष्ण का यह रूप देख कर अचंभित रह गई। दरअसल देवकीनंदन भक्त वत्सल हैं। वे प्रेम, न्याय और धर्म के सांथ मित्रता के भी पर्याय हैं। उक्त उद्गार पूर्व पार्षद एवं भाजपा नेता ज्ञानेन्द्र सिंह गहरवार के निवास पर आयोजित श्रीमदभागवत कथा सप्ताह मे व्यासपीठाधीश्वर पं. चैतन्य महाराज जी ने व्यक्त किये। भगवत लीलाओं का वर्णन करते हुए व्यास जी ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने कई बार संबंधों के निर्वहन के अनुपम उदाहरण प्रस्तुत कर समाज को संदेश दिया। महाराज जी ने ज्ञान यज्ञ के सातवें दिन भगवान के विवाहों पर भावपूर्ण प्रवचन देकर श्रद्धालुओं को आत्मविभोर किया।
इन राजकुमारियों से हुआ विवाह
भगवान के विवाहों की लीला प्रसंग पर चर्चा करते हुए व्यासजी ने बताया कि श्रीकृष्ण की सबसे बड़ी रानी रुक्मिणी थीं। जो विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री थी। जबकि सत्यभामा राजा सत्राजित की पुत्री और श्रीकृष्ण की तीन महारानियों मे एक थीं। अन्य पत्नियों मे जाम्बवंती ऋक्षराज जांबवान, भद्रा श्रुतकीर्ति, अवंतिका उज्जैन देश के राजा विंद, मित्रविंदा श्रीकृष्ण की फुआ, कालिन्दी सूर्य और नग्नजिती राजा नग्नजित की कन्या थी। इन आठ रानियों से श्रीकृष्ण को 10-10 अर्थात 80 पुत्र हुए। सबसे बड़े पुत्र का नाम प्रद्युम्न था। प्रद्युम्न कामदेव के अवतार माने जाते हैं।
पूर्णाहुति एवं भण्डारा
पूर्व पार्षद ज्ञानेंद्र सिंह गहरवार ने बताया कि 22 अप्रेल से प्रारंभ हुई श्रीमदभागवत कथा आज संपन्न होगी। शनिवार 29 अप्रेल को पूर्णाहुति उपरांत ब्राम्हण भोज होगा। पूर्वान्ह 11 बजे से भंडारे का आयोजन है। श्री सिंह ने समस्त धर्मानुरागी सज्जनो से कार्यक्रम मे उपस्थित होकर प्रसाद ग्रहण करने का आग्रह किया है।

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