नईदिल्ली। बैंकों में एक बार फिर हड़ताल होने जा रही है। खबर यह है कि प्राइवेटाइजेशन के खिलाफ बैंक यूनियन ने १५ और १६ मार्च को राष्ट्रव्यापी हड़ताल का ऐलान किया है। बजट में इस संबंध में ऐलान किया गया था। सरकार ने दो बैंकों के निजीकरण का प्रस्ताव रखा है साथ ही बैड बैंक की भी घोषणा की है। इसके बाद मंगलवार को हुई बैंक यूनियनों की बैठक में इसका विरोध करने का प्रस्ताव रखा गया और दो दिनी बैंक हड़ताल की घोषणा की गई। बैठक के बाद अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संगठन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि बजट में IDBI बैंक और दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण सहित सुधार संबंधी विभिन्न घोषणाओं पर चर्चा हुई। बैठक ने कहा कि ये सभी उपाय कर्मचारियों के खिलाफ हैं और इसलिए इसका विरोध करने की आवश्यकता है। बैठक ने फैसला किया कि सरकार की इन नीतियों को वापस लेने के लिए आंदोलनकारी चलाया जाएगा। १ फरवरी को पेश वित्तीय वर्ष २०२१-२२ के आम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस संबंध में कुछ घोषणाएं की हैं। उन्होंने अफने बजट भाषण में कहा था, बैंकों के निजीकरण के लिए सरकार रिजर्व बैंक के साथ मिलाकर काम कर रही है। वित्त मंत्री ने बजट भाषण के बाद पत्रकारों से चर्चा में साफ किया था कि कि सरकार के पास बैंकों में अपनी हिस्सेदारी के प्रबंधन के लिए कोई बैंक निवेश कंपनी के गठन की योजना नहीं है। बैंकों को प्रोफेशनल बनाने की जरूरत है और सरकार यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है। बैंक धीरे-धीरे जोखिम से बाहर निकल रहे हैं। बैंकों के निजीकरण पर उन्होंने कहा था कि विस्तृत प्रक्रिया पर काम किया जा रहा है। हम आरबीआई के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
प्राइवेटाइजेशन के खिलाफ बैंक यूनियन की राष्ट्रव्यापी हड़ताल 15 और 16 मार्च को
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