प्रदेश में अभी नहीं होंगे नगरीय निकाय चुनाव

प्रदेश में अभी नहीं होंगे नगरीय निकाय चुनाव
राज्य निर्वाचन आयोग ने हाईकोर्ट को बताया, कहा-कोरोना की तीसरी लहर के आकलन के बाद लेंगे फैसला
जबलपुर। प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव की फिलहाल कोई तैयारी नहीं है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में मंगलवार को राज्य निर्वाचन आयोग ने जवाब पेश कर बताया कि अभी सीमांकन, आरक्षण और महापौर का चुनाव प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष कराने को लेकर कई याचिकाएं हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं। आयोग तीसरी लहर के आकलन और राज्य सरकार की सहमति के बाद ही चुनाव कराएगा। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने इस जवाब के साथ ही इस मामले में दायर की गई याचिका को निराकरण कर दिया। हाईकोर्ट में यह याचिका नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ. पीजी नाजपांडे और रजत भार्गव ने दायर की थी। याचिका कर्ताओं की ओर से मामले की पैरवी एडवोकेट दिनेश उपाध्याय ने की। याचिका में कहा गया था कि राज्य निर्वाचन आयोग ने 15 जुलाई को बैठक कर प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनाव की तैयारी कराने के निर्देश दिए हैं। इसके तहत राज्य में 15 सितंबर से 347 नगरीय निकायों और दिसंबर से प्रदेश में पंचायतों के चुनाव की तैयारी शुरू करने को कहा गया है।
पांच राज्यों मे चुनावों से हालात बिगड़े थे
कोर्ट में पश्चिम बंगाल समेत पांच राज्यों में हुए चुनाव और यूपी के पंचायत चुनाव का हवाला दिया गया था। आशंका जताई गई थी कि अगर ये चुनाव होते हैं, तो प्रदेश में पूरा सरकारी तंत्र इसमें व्यस्त हो जाएगा। ऐसे में अगर कोरोना की तीसरी लहर आती है तो हालात बेहद खतरनाक हो सकते हैं। याचिका में मांग की गई थी कि प्रदेश में नगरीय निकाय और पंचायतों के चुनाव तब तक रोके जाने चाहिए, जब तक कोरोना की तीसरी लहर को लेकर पूरी स्थिति साफ नहीं हो जाती।
डबल बेंच में हुई मामले की सुनवाई
हाईकोर्ट के जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव और जस्टिस वीरेंद्र ङ्क्षसह की डबल बेंच में मंगलवार को इस मामले की सुनवाई हुई। राज्य सरकार की ओर से यहां उप महाधिवक्ता पुष्पेंद्र यादव ने वहीं राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ सेठ ने पक्ष रखा। कोर्ट को बताया कि राज्य निर्वाचन आयोग की अभी निकाय चुनाव कराने को लेकर कोई तैयारी नहीं है। अभी कई याचिकाएं विभिन्न कोर्ट में लंबित हैं। उसके निराकरण और कोरोना के आकलन के बाद ही निकाय चुनाव कराए जाएंगे। इस आधार पर हाईकोर्ट ने जनहित याचिका का निराकरण कर दिया।

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