पैसे से ट्रांसफार्मर लगवाने को तैयार किसान

पैसे से ट्रांसफार्मर लगवाने को तैयार किसान
जिले मे भीषण होती जा रही समस्या, फसलों को हो रहा भारी नुकसान
बांधवभूमि, उमरिया
जिले मे ट्रांसफार्मरों की खस्ता हालत किसानो के लिये सिरदर्द बनती जा रही है। वहीं मण्डल के अधिकारी भी इससे कम परेशान नहीं हैं। हालत यह है कि जितने ट्रांसफार्मर जिले को मिलते नहीं, रोज उससे दोगुने जल कर खराब हो जाते हैं। विगत दो सालों से इस समस्या का कोई स्थाई हल नहीं निकल पा रहा है। इससे परेशान हो कर कई किसान अब खुद का ट्रांसफार्मर लगवाने की कोशिश कर रहे हैं। इसके लिये उन्हे उपकरण, तार, पोल आदि का पैसा अपने जेब से लगाना होगा। जानकारी के मुताबिक यदि कोई भी व्यक्ति स्वयं का ट्रंासफार्मर लगवाना चाहे तो इसके लिये मण्डल को आवेदन देना होगा। जिसके बाद स्टीमेट तैयार होगा और उसके अनुसार राशि जमा करने पर ठेकेदार के माध्यम से ट्रांसफार्मर स्थापित कराया जायेगा।
सरकार ने बंद किया अनुदान
कुछ वर्ष तक स्वयं के ट्रांसफार्मर स्थापित कराने के लिये शासन द्वारा मुख्यमंत्री कृषक अनुदान योजना लागू की गई थी। जिसके तहत किसान को कुल स्टीमेट की मात्र 10 प्रतिशत राशि ही जमा करनी होती थी। इस योजना से अजा, अजजा को एक ट्रांसफार्मर के लिये महज 20 हजार रूपये जबकि सामान्य कैटेगरी को लगभग 40 हजार रूपये जमा करने होते थे, परंतु यह योजना बंद कर दी गई है। जिसके बाद किसानो को अपना ट्रांसफार्मर लगवाने के लिये करीब दो लाख रूपये खर्च करने होंगे।
दो दिन मे ही जल जाते ट्रांसफार्मर
विभागीय सूत्रों के मुताबिक मरम्मत किये गये उपकरणो की गुणवत्ता इतनी खराब है कि कई स्थानो पर लगाने के दो दिन मे ही ट्रांसफार्मर जल कर राख हो जाते हैं। इसका मुख्य कारण गावों मे बढ़ता लोड है। बताया गया है कि जिन गावों मे 50 हार्सपावर के ट्रांसफार्मर लगे हैं, वहां के कनेक्शन बढ कर 150 हार्सपावर के हो गये हैं। यही कारण है कि एक सांथ पंप चालू होते ही उपकरण धुआं छोड़ देते हैं।
लंबी होती जा रही सूची
ट्रांसफार्मर न बदले जाने से किसान आये दिन कलेक्टर कार्यालय से लेकर मण्डल तक के चक्कर काट रहे हैं। इस समस्या को देखते हुए कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव द्वारा इनकी सूची मंगवाई गई थी। साथ ही अधिकारियों को समय सीमा के भीतर इस समस्या का निदान करने हेतु निर्देशित किया गया था परंतु कम आपूर्ति और गुणवत्ताहीन सामग्री के कारण हालात और भी ज्यादा बिगड़ गये हैं। अब यह सूची इतनी लंबी हो गई है कि इसे छोटी करने मे कई साल लग जायेंगे। कई-कई गावों मे तो 6 मांह से भी अधिक समय से ट्रांसफार्मर जले पड़े हैं।
किसानो के लिये सरकार के पास पैसा नहीं:कांग्रेस
कांग्रेस ने राज्य सरकार द्वारा मुख्यमंत्री कृषक अनुदान योजना को बंद करने की कड़ी आलोचना की है। मप्र कांग्रेस कमेटी के महासचिव एवं पूर्व विधायक अजय सिंह ने कहा कि भाजपा शासन मे जहां एक ओर उद्योगपतियों के करोड़ों के कर्ज माफ किये जा रहे हैं, वहीं किसानो और गरीबों के लिये संचालित कल्याणकारी योजनायें बंद की जा रही हैं। सरकार के पास किसान को देने के लिये पैसा नहीं है। उन्होने बताया कि जिले मे किसानो को ट्रांसफार्मर बदलवाने के लिये 20-20 हजार रूपये की रिश्वत देनी पड़ रही है। जबकि कृषक अनुदान योजना से 8 किसान मिल कर 5-5 हजार मे अपना खुद का ट्रांसफार्मर लगवा कर हमेशा के लिये समस्या से निजात पा सकते हैं। पूर्व विधायक श्री सिंह ने सीएम शिवराज सिंह चौहान से राज्य मे पुन: मुख्यमंत्री कृषक अनुदान योजना प्रारंभ करने की मांग की है।

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