पैसेंजर ट्रेन मे भी लगता है अब एक्सप्रेस का किराया

जनरल टिकट लेकर अगर एक्सप्रेस ट्रेन मे चढ़ गए हैं तो घबराने की नहीं है जरूरत
बांधवभूमि, उमरिया
कोरोना काल के बाद अब लोग कह रहे हैं कि जनजीवन पटरी पर आ गया है लेकिन शायद अभी रेलवे पटरी पर नहीं आया है। इसकी वजह यह है कि रेलवे ने कोरोना काल मे बंद की गई ट्रेनों को तो चालू कर दिया है लेकिन उनका सभी स्टापेज देना शुरू नहीं किया है। साथ ही एक बड़ी बात यह कि रेलवे ने कोरोना काल के बाद जब ट्रेनें शुरू की तो पैसेंजर ट्रेन मे भी जनरल टिकट एक्सप्रेस के किराये की दर पर देना शुरू कर दिया। आप उमरिया से शहडोल का जनरल टिकट कटाते हैं तो आपको चालीस रूपये ही देने होंगे चाहे आप इंटरसिटी से जाएं या मेमू लोकल से या फिर शटल ट्रेन से।
लोगों को नही है जानकारी
आम लोग अभी इस बात को समझ नहीं पा रहे हैं कि उनसे पैसेंजर और एक्सप्रेस का एक ही किराया लिया जा रहा है। यही कारण है कि जो लोग पैसेंजर मे यात्रा करने की मानसिकता से टिकट लेते हैं वे कई बार गलती से एक्सप्रेस ट्रेन मे चढऩे के बाद घबरा जाते हैं। यह जानकारी नहीं होने के कारण कि उनसे पैसेंजर और एक्सप्रेस ट्रेन का एक सा किराया लिया जा रहा है लोग एक्सप्रेस ट्रेन को छोड़ देते हैं और घंटो बैठकर पैसेंजर ट्रेन का इंतजार करते हैं। इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं।
उमरिया स्टेशन मे हो चुका है हादसा
इस बात की जानकारी नहीं होने के कारण कि पैसेंजर ट्रेन और एक्सप्रेस ट्रेन की जनरल टिकट का किराया रेलवे एक जैसा ही वसूल रहा है उमरिया रेलवे स्टेशन मे एक हादसा भी हो चुका है। यह हादसा हाल ही मे 21 नवम्बर को हुआ है। राकेश पिता मंगल 35 वर्ष निवासी खलेसर को बिजुरी जाना था और वे गलती से शटल समझ कर जबलपुर-अंबिकापुर इंटरसिटी एक्सप्रेस मे सवार हो गए थे। ट्रेन चल पड़ी तो उन्हें इस बात का पता चला कि वे एक्सप्रेस मे चढ़ गए हैं। स्टेशन पर दौड़ रही अंबिकापुर इंटरसिटी एक्सप्रेस से उतरते हुए राकेश हादसे का शिकार हो गया। इस घटना मे राकेश के शरीर के कई हिस्सों मे गंभीर चोट लगी। घटना की जानकारी पर घायल युवक को 108 की मदद से जिला अस्पताल पहुंचाया गया। रेलवे पैसेंजर और एक्सप्रेस मे बराबर किराया ले रहा है लेकिन इसका प्रचार नहीं होने से इस तरह के हादसे हो रहे हैं। अगर युवक को पता होता कि बिजुरी का जितना किराया इंटरसिटी मे लगता है उतना ही शटल ट्रेन मे भी लगता है तो शायद वह चलती ट्रेन से नहीं उतरता और उसका जीवन संकट मे नहीं पड़ता।
जनता का हो रहा है दोहन
रेलवे सभी ट्रेनों को एक्सप्रेस मान कर याित्रयों से किराया वसूल रहा है। जबकि कोरोना काल से पहले जो ट्रेनें हर स्टेशन पर रूकती हैं उन्हें पैसेंजर ट्रेन माना जाता रहा है। कोराना से पहले उमरिया से करकेली, नौरोजाबद और पाली का किराया10 रूपये लगता था लेकिन एक्सप्रेस के किराये के रूप मे तीस रूपये वसूले जा रहे हैं। पहले शहडोल का पैसेंजर मे जनरल टिकट का किराया 20 रूपये लगता था लेकिन अब 40 रूपये लग रहा है। रेलवे के द्वारा इस तरह आम लोगों से पैसेंजर ट्रेन मे भी एक्सप्रेस का किराया वसूल किए जाने पर जनता मे नाराजगी है। लोगों का कहना है कि एक तरफ तो कोरोना काल के बाद रेलवे सभी सुविधाएं नहीं दे रहा है ऊपर से पैसेंजर ट्रेन मे भी एक्सप्रेस का किराया वसूला जा रहा है। ट्रेनें लेट चलाई जा रही हैं और सभी स्टेशनों मे स्टॉपेज भी नहीं दिया गया है जिससे लोग अलग परेशान हैं। आम लोगों का कहना है कि इस तरह रेलवे आम लोगों के साथ अन्याय कर रहा है।

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