पैट्रोल – डीजल के बाद अब जीएसटी की मार

जल्द ही जारी होंगे नए स्लैब, खत्म हो रही 5 वर्ष की सीमा
नई दिल्ली। बेतहाशा बढ़ती पेट्रोल – डीजल की कीमतों से बेहाल जनता पर जल्द ही जीएसटी की मार भी पड़ने वाली है. सूत्रों के अनुसार जून के बाद जीएसटी के नए स्लैब जारी किए जा सकते हैं जिनके चलते रोजमर्रा की चीजो पर 4 फीसदी से अधिक दामों में वृद्धि संभावित है. इसका कारण राज्यों को मिलने वाली जीएसटी क्षतिपूर्ति को बताया जा रहा है जो केंद्र सरकार जून से बंद करने वाली है। जून 2017 में मोदी सरकार ने नोट बंदी के कुछ माह बाद अचानक जीएसटी लाने का फैसला किया था। उस समय देश में हाहाकार मच गया था. आर्थिक बदहाली से त्रस्त जनता, व्यापारी और राज्य सरकारों में इस फैसले से खलबली मच गई थी। सरकार ने आनन-फानन में जीएसटी लाने का फैसला कर लिया. इस फैसले ने राज्यों की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी. टैक्स स्लैब गड़बड़ होने के कारण आम जनता पर भी महंगाई का भार पड़ा. जीएसटी रिटर्न को लेकर व्यापारी वर्ग बेतहाशा परेशानी में आ गया. उस समय के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जब इस परेशानी को देखा तो लगातार जीएसटी काउंसिल की बैठकें कीं. विशेषज्ञों के साथ मिलकर रास्ते निकाले गए. टैक्स स्लैब को व्यवहारिक बनाया गया।

मनमोहन सरकार मे किया था विरोध
मनमोहन सरकार ने जीएसटी लगाने का प्रयास किया था। उस समय कई राज्यों ने राजस्व की कमी का हवाला देते हुए जीएसटी का विरोध किया था. इन राज्यों ने टैक्स कलेक्शन में विसंगतियों की तरफ भी इशारा किया था. राज्यों की परेशानी को देखते हुए केंद्र सरकार ने कहा था कि वह प्रतिवर्ष 14% जीएसटी क्षतिपूर्ति राज्यों के लिए केन्द्र ने 5 वर्ष तक के लिए तय की गई थी। अब वह 5 वर्ष की समय सीमा जून 2022 में खत्म हो रही है। राज्य सरकारें क्षतिपूर्ति की समय सीमा बढ़ाने की मांग कर रही हैं. उनका कहना है कि क्षतिपूर्ति बंद होने से उनके राजस्व में जो कमी आएगी उसकी भरपाई संभव नहीं हो सकेगी. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्र पर दबाव बनाने के लिए 17 राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र भी लिखा है. जाहिर सी बात है सत्तासीन भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री इस विषय में खुलकर कुछ नहीं बोल पा रहे हैं. लेकिन गैर भाजपाई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने क्षतिपूर्ति बंद करने का विरोध शुरु कर दिया।

क्षतिपूर्ति से होने वाले घाटे की भरपाइ
सूत्रों के अनुसार जल्द ही जीएसटी काउंसिल की बैठक होने वाली है. उस बैठक में मुख्यमंत्री जीएसटी क्षतिपूर्ति जारी रखने की मांग पुरजोर तरीके से उठाएंगे। वित्त मंत्री सीतारमण ने क्षतिपूर्ति बंद करने की बात पर जोर दिया है। उसे देखते हुए लग रहा है कि केंद्र शायद ही इस विषय में कोई सकारात्मक निर्णय लेगा। ऐसे हालात में राज्य टैक्स स्ट्रक्चर में बदलाव की मांग कर रहे हैं जिससे क्षतिपूर्ति से होने वाले घाटे की भरपाई की जा सके. यह भरपाई कुछ वस्तुओं पर टैक्स बढ़ाकर की जा सकती है. सूत्र बताते हैं कि वित्त मंत्री सीतारमण ने ऐसी 25 वस्तुओं की पहचान भी की है जिन पर जीएसटी सही तरीके से कलेक्ट नहीं हो पा रहा है. इन वस्तुओं पर टैक्स बढ़ाया जा सकता है. दूसरी तरफ कुछ ऐसी वस्तुओं को भी टैक्स के दायरे में लाया जा सकता है जिनको टैक्स से मुक्त रखा गया है. न्यूनतम टैक्स स्लैब भी ऊपर जा सकता है. कुल मिलाकर जनता की जेब काटने की तैयारी हो चुकी है। पेट्रोल – डीजल की कीमतों से जूझ रही जनता पर अब जीएसटी की मार भी पड़ना तय है।

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