अब मप्र पर टैक्स कम करने का बढ़ा दबाव
भोपाल। पेट्रोल-डीजल की कीमतें हर रोज महंगाई के नए शिखर पर पहुंच रही हैं। इसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा हैं। तेल विपणन कंपनियों द्वारा लगातार डीजल पेट्रोल के दाम में बढ़ोतरी से मप्र में पेट्रोल के दाम 100 रुपए के पार चले गए। उधर, चार राज्यों में ईंधन पर टैक्स में कटौती होने से मप्र सरकार पर भी इस बात का दबाव बढ़ता दिख रहा है कि पेट्रोल-डीजल पर टैक्स में कटौती लाई जाए। गौरतलब है कि पेट्रोल-डीजल की आसमान छूती कीमत से जनता को कुछ राहत देने के लिए अब तक चार राज्य ईंधन पर टैक्स में कटौती कर चुके हैं। राजस्थान सरकार पिछले महीने पेट्रोल-डीजल पर वैट में 2-2 फीसदी की कटौती का ऐलान कर चुकी है। चुनाव वाले माहौल के बीच पश्चिम बंगाल सरकार ने भी रविवार को पेट्रोल और डीजल पर वैट में प्रति लीटर 1 रुपए की कटौती की है। असम सरकार ने भी उस 5 रुपए के अतिरिक्त टैक्स को हटा दिया है जो पिछले साल कोविड संकट के बीच पेट्रोल और डीजल पर लगाया गया था। इसी तरह मेघालय सरकार ने भी जनता को बड़ी राहत देते हुए पेट्रोल पर टैक्स में 7.4 रुपए और डीजल पर 7.1 रुपए प्रति लीटर तक की भारी कटौती की है। इससे मप्र के साथ ही केंद्र सरकार पर भी टैक्स कम करने का दबाव बढ़ा है।
मप्र में अधिक टैक्स
मप्र पेट्रोल-डीजल डीलर्स एसोसिएशन के मुताबिक मध्य प्रदेश में एक लीटर पेट्रोल पर 39 फीसदी एवं डीजल पर 28 फीसदी टैक्स वसूला जाता है, जबकि केंद्र सरकार द्वारा भी अधिक टैक्स लिया जाता है। मप्र पेट्रोल-डीजल डीलर्स एसोसिएशन अध्यक्ष अजय सिंह कहते हैं किपिछले छह माह में पेट्रोल-डीजल की कीमतें काफी बढ़ गई है। पेट्रोल सबसे अधिक महंगा हुआ है। सरकार काफी टैक्स वसूल रही है। यदि पेट्रोल पर 30 पैसे बढ़ते हैं तो उसमें 39 फीसद टैक्स लग जाता है। इससे 12 पैसे और बढ़ जाते हैं। लगातार बढ़ते भाव आम उपभोक्ताओं की मुसीबत बढ़ा रहा है। दरअसल, मध्य प्रदेश में 33 प्रतिशत वेट के अलावा साढ़े 4 रुपए अतिरिक्त दर लगाया जाता हैं। डीजल पर 23 प्रतिशत वैट के अलावा 3 रुपए प्रति लीटर अतिरिक्त दर लगता हैं। मध्यप्रदेश में ऊंचे टैक्स की दर के कारण दिसंबर 2020 तक शिवराज सरकार ने 7500 करोड़ रुपए की कमाई की हैं।
टैक्स की करारी मार
पेट्रोल और डीजल की आज जो रिकॉर्ड कीमतें चल रही हैं, उसकी सबसे बड़ी वजह यही है कि इन पर टैक्स बहुत ज्यादा है। देश के भीतर पेट्रोल या डीजल की कीमतों के तय होने के लिए हम मप्र का उदाहरण लेते हैं। सबसे पहले पेट्रोल की कीमत में बेस कीमत जुड़ती है। जहां रिफाइनरी कच्चे तेल को 29.34 रुपए प्रति लीटर में खरीदती है। उसके बाद उसमें ढुलाई के 37 पैसे और जुड़ गए। फिर ऑयल मार्केटिंग कंपनियां यह तेल 29.71 रुपए के भाव से डीलर्स को बेचती हैं। इसके बाद केंद्रीय उत्पाद शुल्क के रुप में 32.98 रुपए और राज्य का वैट के रुप में 32.96 रुपए लगते हैं। वहीं 2.69 रुपए कमीशन डीलर्स का होता है, जिसके बाद आम आदमी को एक लीटर पेट्रोल 98.34 रुपए में मिलती है।
इसके बाद केंद्र सरकार हर लीटर पेट्रोल पर 32.90 रुपए का एक्साइज टैक्स (उत्पाद शुल्क) लगाती है। इस तरह एक झटके में पेट्रोल की कीमत 65 रुपए हो जाती है। इसके अलावा हर पेट्रोल पंप डीलर हर लीटर पेट्रोल पर 3.68 रुपए का कमीशन जोड़ता है। इसके बाद जहां पेट्रोल बेचा जाता है उसकी कीमत में उस राज्य सरकार की ओर से लगाए गए वैट या बिक्री कर को जोड़ा जाता है। उदाहरण के लिए दिल्ली में वैट का 20.61 रुपया जुड़ जाता है। इस तरह कुल मिलाकर अंत में एक लीटर पेट्रोल के लिए आम आदमी को दिल्ली में 89.29 रुपये चुकाने पड़े।
पेट्रोल-डीजल: चार राज्यों ने घटाए टैक्स
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