पेट्रोल और डीजल के दामों फिर लगी आग

35-35 पैसे बढ़ी कीमत, मध्यप्रदेश मे रिकार्ड स्तर पर दाम
नई दिल्ली । पेट्रोल और डीजल की कीमतें हर रोज नया रिकॉर्ड बना रही हैं। घरेलू तेल कंपनियों ने शुक्रवार, २२ अक्टूबर के लिए पेट्रोल-डीजल की नई कीमत जारी की है। लगातार तीसरे दिन पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। राजधानी दिल्ली में एक बार फिर पेट्रोल की कीमतों में ३५ पैसे की बढ़ोतरी हुई है। वही डीजल भी ३५ पैसे महंगा हुआ है। इस सप्ताह बुधवार से ही दिल्ली समेत देश के सभी राज्यों में ऑटो फ्यूल के भाव में लगातार इजाफा हो रहा है। दिल्ली में पेट्रोल १०६.८९ रूपए प्रति लीटर हो गया है। वहीं डीजल ९५.६२ रूपए प्रति लीटर की दर से बिक रहा है। मुंबई में पेट्रोल के दाम में ३४ पैसे की बढ़ोतरी हुई है और अब यह ११२.७८ रूपए प्रति लीटर की दर से बिक रहा है। वहीं डीजल के दाम में भी ३७ पैसे की बढ़ोतरी हुई है और अब यह १०३.६३ रूपए प्रति लीटर बिक रहा है। भोपाल में पेट्रोल सबसे महंगा ११५.५४ रूपए प्रति लीटर पर और डीजल १०४.८९ रूपए प्रति लीटर पर, पटना में पेट्रोल ११०.४४ रूपए और डीजल १०२.२१ रूपए प्रति लीटर, बेंगलुरू में पेट्रोल ११०.६१ रूपए और डीजल १०१.४९ रूपए प्रति लीटर पर पहुंच गया है। इस महीने में अब तक २२ दिनों में से १७ दिनों में इन दोनों की कीमतों में बढोतरी हुई है। इस महीने में अब तक पेट्रोल ५.२५ रूपए प्रति लीटर और डीजल ५.८५ रूपए प्रति लीटर महंगा हो चुका है।

तेल कीमतों में बढ़ोतरी की वजह मुनाफाखोरी
तेल की कीमतों में बढ़ोतरी का सबसे बड़ा कारण तेल बाजार में मुनाफाखोरी है। निवेशक पैसा लगाकर ज्यादा कमाई को देखते हुए निवेश कर रहे हैं, जिससे भाव उछल रहे हैं। लेकिन आज के हालात में इसके 75 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर जाने की उम्मीद नहीं है। आने वाले कुछ समय में मांग बढ्ने पर यह 90 डॉलर तक भी पहुंच सकता है, लेकिन चूंकि यह केवल मुनाफाखोरी के कारण होगा और बाजार में मांग और आपूर्ति के बीच कोई संकट नहीं है, इसलिए इस ऊंचाई पर दाम टिक नहीं पाएगा। और इस ऊंचाई पर पहुंचकर तेल की कीमतें वापस नीचे आ जाएंगी। महत्वपूर्ण तेल उत्पादक देश सऊदी अरब और रूस ने भी तेल की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि की आलोचना की है। उनका भी मत है कि तेल की कीमतें इतनी अधिक नहीं होनी चाहिए और वे उत्पादन बढ़ाने और तेल कीमतें स्थिर रखने के पक्ष में हैं, इन देशों की इस नीति का जल्द असर दिखाई पड़ सकता है और विश्व बाजार में तेल की कीमतें स्थिर रह सकती हैं।
विकास दर पर पड़ सकता है असर
नरेंद्र तनेजा के अनुसार आने वाले समय में तेल की कीमतों में तेज उछाल दिखाई पड़ेगा। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि इस समय तेल के नए स्रोत को खोजने में निवेश बिलकुल नहीं किया जा रहा है। जिन नए स्रोतों का पता लगाया गया है, वहां भी तेल उत्पादन नहीं हो रहा है। ऐसी स्थिति में अनुमान है कि आने वाले समय में जब तेल की मांग बढ़ने लगेगी तब इसकी अपेक्षित आपूर्ति नहीं हो पाएगी। इससे तेल कीमतों में तेज उछाल आ सकता है और आने वाले दो-तीन वर्षों में यह बढ़कर 100 डॉलर प्रति बैरल तक भी जा सकता है। इस अनुमान के कारण भी बाजार में घबराहट पैदा हो रही है, जिसका असर तेल कीमतों में बढ़ोतरी के रूप में देखा जा रहा है। इसका विश्व के आर्थिक परिदृश्य और विशेषकर भारत पर नकारात्मक असर पड़ेगा। इससे देश की विकास दर भी असर पड़ सकता है। पूरी दुनिया में इस समय हरित ऊर्जा की बात की जा रही है और तेल को एक खलनायक की तरह पेश किया जा रहा है। भविष्य में इसके प्रति नकारात्मक सोच बढ़ने से होने वाले नुकसान की आशंका में कंपनियां इस पर निवेश भी नहीं कर रही हैं। मांग-आपूर्ति में संकट बढ़ने की आशंका से बाजार में घबराहट की स्थिति बन रही है। इस समय तेल की कीमतों में बढ़ोतरी का मुनाफाखोरी के साथ-साथ यह भी बड़ा कारण है।

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