पूजी जायेंगी धन और समृद्धि की देवी

पूजी जायेंगी धन और समृद्धि की देवी
दीपावली पर होगी मां लक्ष्मी की आराधना, रात्रि 9.43 तक पूजन का उत्तम मुहूर्त
उमरिया। सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य का प्रतीक आलोक पर्व दीपावली आज उल्लास के साथ मनाई जाएगी। शाम ढलते ही घर, आंगन दीपमालिकाओं की रोशनी से दमक उठेगें। पटाखे, फुलझडिय़ां जलेगी, आकर्षक सजावट, धूप और कपूर की महक के बीच माता महालक्ष्मी के आगमन की धूम होगी। मंदिरों और घरों मे लक्ष्मी-गणेश की विधि-विधान से पूजा, अर्चना कर समृद्धि और खुशहाली की कामना की जाएगी। रात्रि के समय ग्वाल घर-घर लोगों को जगाएंगें और इसी के साथ 11 दिनों तक चलने वाले ग्वाल नृत्य की शुरूआत हो जाएगी। कई दिनों से चल रही तैयारी के बाद आज दीपावली की शुभ घड़ी मे लक्ष्मी के आगमन को लेकर उत्सव मनाया जाएगा। धन की देवी मां लक्ष्मी के स्वागत के लिये दो सप्ताह पहले से ही तैयारियां शुरू कर दी गयी थीं। प्रष्ठिानों, घरों तथा देवालयों को साफ-सफाई के बाद रंग-रोगन किया गया है।
सजेगी रंगोलियां, दमकेंगे दीप
दीपावली के लिए अंतिम चरण की तैयारियां आज की जाएगी। लक्ष्मी के स्वागत के लिए बालिकाएं जहां घर आंगन मे खूबसूरत रंगोलियां तैयार करेंगी वही युवक रंग बिरंगे झालरों से घरों को आकर्षक बनाएंगे। शाम होते ही दीपमालिकाओं के सांथ जैसे ही इन झालरों को जलाया जाएगा रंगोलियां दमकेगी और वातावरण बहुरंगी प्रकाश से नहा उठेगा।
यह है श्रेष्ठ मुहूर्त
दीवाली का उत्सव पूरे देश में प्रारंभ हो गया है। हर वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या तिथि पर यह त्योहार मनाया जाता है। मान्यता है कि अनेक घटनाओं के कारण इस पर्व को मनाया जाता है, परंतु मुख्य रूप से दीपावली का संबंध भगवान श्रीराम से है। पौराणिक कथाओं के अनुसार लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद भगवान जब अयोध्या पहुंचे थे तब पूरे नगर को दीप मालाओं से सजाया गया था, तभी से हर वर्ष कार्तिक अमावस्या को दीपावली मनाई जाती है। छत्तीसगढ़ रायपुर के प्रख्यात ज्योतिषाचार्य पं. चंदन शर्मा के अनुसार दीपावली आज 4 नवंबर को है। इस अमावस्या पर महानिशीथ काल मिल रहा है। दीवाली पर दीप प्रज्वलित करने के लिए प्रदोष काल शाम 5.19 बजे से 7.53 बजे तक शुभ है। पूजा के लिए शुभ मुहूर्त स्थिर लग्न वृश्चिक मे शाम 7.26 से रात्रि 9.43 तक है। कुंभ स्थिर लग्न दिन 1.36 से 3.07 बजे तक है। वृष स्थिर लग्न मे शाम 6.12 बजे से रात 8.08 बजे तक है। स्थिर लग्न मे पूजा करना लाभदायक है। महानिशीथ काल की पूजा मध्य रात्रि 12.40 से दो बजे तक की जा सकती है।

 

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