आज लेंगे शपथ, चार महीने मे तीसरी बार बदले जा रहे मुख्यमंत्री
देहरादून । उत्तराखंड के मुख्यमंत्री खटीमा विधायक पुष्कर ङ्क्षसह धामी होंगे। भाजपा प्रदेश कार्यालय में विधानमंडल की बैठक के बाद धामी के नाम पर मुहर लग गई है। केंद्रीय मंत्री और पर्यवेक्षक नरेंद्र तोमर एवं प्रदेश प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम सहित पूर्व मुख्यमंत्रियों तीरथ सिंह रावत और त्रिवेंद्र सिंह रावत, भाजपा सांसदों और विधायकों की मौजूदगी में धामी के नाम पर मुहर लग गई है। धामी उत्तराखंड में खटीमा विधानसभा से विधायक हैं। उत्तराखंड प्रदेश के अति सीमान्त जनपद पिथौरागढ की ग्राम सभा टुण्डी, तहसील डीडी हाट में उनका जन्म १६ सितंबर १९७५ को हुआ। ४५ वर्षीय धामी उत्तराखंड के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने हैं। सैनिक पुत्र होने के नाते उनमें अनुशासन कूट-कूट कर भरा हुआ है। महाराष्ट्र के राज्यपाल और पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी के वह सलाहकार भी रह चुके हैं। धामी के पास संगठन का बहुत लंबा अनुभव भी है, लेकिन सत्ता का अनुभव मुख्यमंत्री बनने के बाद मिल पाएगा। धामी के मुख्यमंंत्री बनने के बाद उनके नेतृत्व में ही ही २०२२ का विधानसभा चुनाव लड़ा जाएगा। भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक ने भी उनको बधाई देने के बाद कहा कि धामी बहुत ही ज्यादा ऊर्जावान कार्यकर्ता हैं। वह उत्तराखंड के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने हैं इसलिए युवाओं का पूरा स्पोर्ट मिलेगा। पूर्व सीएम तीरथ सिंह रावत ने कहा कि धामी ऊर्जावान होने के साथ ही युवा हैं, जो पार्टी को मजबूती देने के साथ ही २०२२ के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करवाएंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा उत्तराखंड में एक मजबूत पार्टी है, जो पूर्ण बहुमत से जीत दर्ज कराएगी। कहा कि उनके अनुभव से प्रदेश को बहुत फायदा मिलेगा। सूत्रों की मानें, तो शपथ ग्रहण समारोह कल रविवार को होगा।
कुंभ में कोरोना फैलने से छवि खराब हुई
कुंभ के दौरान उन्होंने संतों को खुश करने के लिए जिस तरह से कोरोना के नियमों में छूट देने का अधिकारियों को इशारा किया, उससे हिंदुओं का यह मेला कोरोना का हॉटस्पॉट बन गया। यही नहीं, कोर्ट की आंखों में धूल झोंकने के लिए क्चछ्वक्क के करीबियों द्वारा सैंपङ्क्षलग और टेस्टग में जिस तरह से फर्जीवाड़ा किया गया, उससे तीरथ सरकार की छवि को बट्टा ही लगा।
चारधाम देवस्थानम बोर्ड खत्म नहीं कर सके
तीरथ ङ्क्षसह ने त्रिवेंद्र सरकार के गैरसैंण मंडल बनाने के विवादित फैसले को पलटकर कुमायूं मंडल में उपजे विरोध को जरूर शांत किया, लेकिन चारधाम देवस्थानम बोर्ड को खत्म करने के बारे में घोषणा करने के बावजूद अमल नहीं कर सके। इससे ब्राह्मण समुदाय खुद को ठगा सा महसूस करने लगा। तीरथ ङ्क्षसह ने त्रिवेंद्र सरकार की तरह सिर्फ खास समुदाय के लिए कुछ किया हो ऐसा तो नहीं हुआ, लेकिन चुनावी साल में वे कुछ भी ऐसा नहीं कर सके, जिससे क्चछ्वक्क की संभावनाओं को बल मिलता हुआ दिखे।
उपचुनाव के लिए भी तीरथ कमजोर लग रहे थे
प्रदेश में विकास कार्यों की गति तो तीरथ शासन में पहले से भी धीमी हो गई। सीधे-साधे व्यक्तित्व वाले तीरथ कहीं से भी इलेक्शन मैटेरियल साबित नहीं हो सके। अगर उन्हें उपचुनाव में भी जाना पड़ता तो कोई सीट ऐसी नहीं दिख रही थी, जिस पर तीरथ की जीत की गारंटी हो। यही बात तीरथ के सबसे अधिक खिलाफ गई।