पीडीएस गेहूं धांधली मामले मे नपे अधिकारी

पीडीएस गेहूं धांधली मामले मे नपे अधिकारी
दो प्रबंधकों के खिलाफ एफआईआर, कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने लिखा था पत्र
बांधवभूमि, उमरिया
सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से गरीबों को वितरित किये जाने वाले गेहूं मे धांधली करने के आरोप मे पुलिस ने दो समिति प्रबंधकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली है। आरोप है कि गत वर्ष इन दोनो अधिकारियों द्वारा करीब 2200 बोरी गेहूं छिपा कर रख लिया गया था। कहा जाता है कि इन अनाज को हेराफेरी कर उपार्जन मे दिखाने की तैयारी थी। जिसकी सूचना मिलते ही कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने तत्काल मौके पर छापामारी की। इस दौरान सैकड़ों बोरी अनाज निर्धारित स्थान पर न हो कर भण्डारण कैब मे पाया गया। कलेक्टर द्वारा उसी समय आरोपी प्रबंधकों पर कानूनी कार्यवाही हेतु पत्र लिखा गया था। जिस पर अब जा कर एफआईआर दर्ज की गई है।
इस तरह की गई धांधली
दरअसल यह मामला रबी उपार्जन 2021 के दौरान सामने आया था। तत्समय जिले के मानपुर जनपद अंतर्गत संचालित सहकारी समिति अमरपुर और चिल्हारी मे किसानो से उपार्जित गेहूं ग्राम गड़रिया टोला स्थित स्टेट ओपन स्टोरेज कैप मे 31 मई तक रखवाया जाना था। जिसमे धांधली करते हुए प्रबंधक रामलखन चतुर्वेदी और जगदीश तिवारी ने गरीबों को बांटे जाने वाला सैकड़ों बोरी गेहूं भी भण्डारित करवा दिया।
सात महीने बाद दर्ज किया मामला
जब मामले की शिकायत पर कलेक्टर द्वारा जांच की गई तो अनाज राशन दुकान की बजाय कैब मे पाया गया। जिस पर प्रशासन ने मई मे ही दोनो आरोपियों के विरूद्ध कानूनी कार्यवाही की अनुशंसा कर दी थी। बताया गया है कि मामला उजागर होने के करीब 7 मांह बाद जाकर पुलिस ने प्रबंधक रामलखन चतुर्वेदी और जगदीश तिवारी के विरूद्ध इंदवार थाने मे धारा 420, 409 एवं 3/7 खाद्य अधिनियम के तहत अपराध पंजीबद्ध किया है।
फर्जी किसानो के नाम पर किया जाना था उपार्जन
बताया गया है कि गरीबों को मिलने वाला यह अनाज उन्हे न देकर वापस कैप मे जमा करने के पीछे एक बड़ी साजिश थी। दबाये गये गेहूं की कीमत करीब 13 लाख रूपये आंकी गई है। सूत्रों के मुताबिक प्रबंधकों द्वारा इस माल को फर्जी किसानो से उपार्जित दिखा कर इस राशि की बंदाबांट की जानी थी, परंतु इस बार उनकी प्लानिंग फैल हो गई।
कलेक्टर के प्रयासों से लगी हेराफेरी पर लगाम
जिले मे पिछले कई वर्षो से उपार्जन मे बड़े पैमाने पर धांधली की जाती रही है। इस पूरे खेल मे सैकड़ों दलाल, स्थानीय व्यापारी और समिति के प्रबंधक शामिल हैं। जिनके द्वारा प्रतिवर्ष सैकड़ों क्विंटल फसल फर्जी तरीके से उपार्जित की गई है। इसमे सार्वजनिक वितरण प्रणाली, परेशान किसानो से खरीदी गई फसल तथा बाहर प्रांतों का अनाज शामिल है। इतना ही नहीं समर्थन केन्द्रों मे ईमानदार किसानो का बेहतर क्वालिटी का अनाज लेने मे हीलाहवाली की गई जबकि सेटिंगबाजों का घटिया माल भी खरीद लिया गया। इस बार जिले के कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने जब उपार्जन मे हो रहे भ्रष्टाचार की नब्ज पर प्रहार किया तो सारा फर्जीवाड़ा सामने आ गया और करोड़ों की हेराफेरी पर लगाम लग गई।

 

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