पीएम मोदी की अपील पर किसान आज करेंगे बैठक

कृषि मंत्री की चिद्ठी पर भी लेंगे फैसला, निर्णायक मोड़ पर पहुंचा किसान आंदोलन
नई दिल्ली। कृषि कानून का विरोध कर रहे किसानों के आंदोलन के 30वें दिन शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 राज्यों के किसानों को संबोधित किया। आंदोलनकारी किसानों को मनाने के सरकार के अब तक के सारे प्रयास विफल होने के बाद प्रधानमंत्री ने जिस तरह स्वयं मोर्चा संभाला है उससे यह साफ हो गया है कि लड़ाई अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है। इसमें अब या तो सरकार की जीत होगी या फिर आंदोलनकारी किसानों की। उधर, कृषि कानून का विरोध और तेज हो गया है। हरियाणा के कई टोल प्लाजा पर किसानों ने कब्जा जमा लिया है। वहीं दिल्ली-जयपुर हाईवे पूरी तरह बंद है।
किसान संयुक्त मोर्चा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण और कृषि मंत्रालय के सचिव की ओर से भेजी गई चि_ी को लेकर प्रतिक्रिया देने के लिए शनिवार को बैठक करेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को एक कार्यक्रम में कहा कि कुछ राजनीतिक दलों द्वारा किसानों को बरगलाने की कोशिश की जा रही है और आंदोलन को मुद्दे से भटकाया जा रहा है।
हमारी सरकार ने खेती को आसान किया: पीएम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से शुक्रवार को किसान सम्मान निधि योजना की नई किस्त जारी की गई जिसमें 9 करोड़ किसानों के खाते में 18 हजार करोड़ रुपए ट्रांसफर किए गए। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि किसानों को बदनाम कर कुछ लोग अपनी राजनीति चमका रहे हैं। पहले की सरकारों की नीति के कारण वो किसान बर्बाद हुआ, जिसके पास कम जमीन थी। कृषि कानूनों का समर्थन करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारी सरकार ने आधुनिक खेती को लेकर बल दिया। हमारा फोकस किसानों के खर्च को कम करने पर किया गया। पीएम फसल बीमा योजना, किसान कार्ड, सम्मान निधि योजना की मदद से खेती को आसान किया गया है। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में विपक्ष पर जमकर हमला बोला और किसानों को नए कृषि कानून के मसले पर गुमराह करने का आरोप लगाया। पीएम मोदी ने आज अपने भाषण में कहा, मैं हैरान हूं और बेहद तकलीफ के साथ कहना चाहता हूं कि जो बंगाल पर सर्वोच्च शासन करते थे, वे ममता बनर्जी के 15 साल पुराने भाषण सुनें। आप जान जाएंगे कि किस तरह राजनीति ने सब कुछ बर्बाद कर दिया। उन्होंने किसानों को पैसा नहीं दिया। अगर आप किसानों को दिल में रखते हैं तो आपने उनके लिए आंदोलन क्यों नहीं किया? आवाज क्यों नहीं उठाई? और आप उनके लिए पंजाब पहुंच गए।
किसानों से हर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम किसान कानूनों को हर कसौटी पर कसने को तैयार हैं। हम किसानों के विश्वास पर बिल्कुल आंच नहीं आने देंगे। हम किसानों से हर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है। कृषि कानून हर हालत में किसानों के लिए लाभदायी होंगे। प्रधानमंत्री ने देश के विभिन्न हिस्सों के विभिन्न शासकीय योजनाओं के किसान हितग्राहियों से संवाद के दौरान कहा कि किसान क्रेडिट कार्ड से सरकार कम ब्याज दर पर ऋण दिलवाती है, अब वे किसी से ज्यादा ब्याज पर ऋण न लें। किसानों ने बताया कि उन्हें किसान सम्मान निधि, किसान क्रेडिट कार्ड, समर्थन मूल्य खरीदी, फसल बीमा योजना सिंचाई योजनाओं आदि का लाभ मिला है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि नए कृषि अनुबंध कानून के अंतर्गत अब व्यापारी, अनुबंधकर्ता किसान को फसल का तय मूल्य देने के लिए कानूनन बाध्य है। अब कोई किसान को ठग नहीं सकता। अनुबंध करने पर अनुबंधकर्ता किसान को गुणवत्तापूर्ण फसल पैदा करने में सहायता भी करेगा। किसान की फसल बर्बाद होने पर भी अनुबंधकर्ता को फसल का निर्धारित मूल्य देना ही होगा। किसान जब चाहे अनुबंध समाप्त कर सकता है, परन्तु व्यापारी नहीं।
हमारी मांगें नहीं पढ़ रही सरकार: किसान
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) ने शुक्रवार को कहा कि सरकार जानबूझकर किसानों की तीन कानून और बिजली बिल वापसी की मांग को नहीं पढ़ रही और वह अन्य मुद्दों की मांग कर रही है। किसानों के जवाब में स्पष्ट लिखा था कि सवाल कानून वापसी का है, सुधार का नहीं है। एआईकेएससीसी के वर्किंग ग्रुप ने सरकार द्वारा किसानों की तीन कृषि कानून और बिजली बिल 2020 को रद्द करने की मांग को पहचानने तक से इंकार करने की कड़ी निंदा की और कहा कि सरकार इसे हल नहीं करना चाहती। 24 दिसंबर को सरकार के पत्र में 3 दिसंबर की वार्ता में चिन्हित मुद्दों का बार-बार हवाला है, जिन्हें सरकार कहती है, उसने हल कर दिया है और वह उन अन्य मुद्दों की मांग कर रही है, जिन पर किसान चर्चा करना चाहते हैं। सरकार ने जानबूझकर उनकी मांग को नजरंदाज किया। पिछले 7 माह से चल रहे संघर्ष, जिसमें 2 लाख से अधिक किसान पिछले 29 दिन से अनिश्चित धरने पर बैठे हैं, लेकिन समस्या को हल करने को सरकार राजी नहीं है।
सम्मान योजना को ममता की ना
प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों के खाते में 18 हजार करोड़ रुपए पहुंचाए हैं। हालांकि, सरकार की इस योजना में पश्चिम बंगाल सरकार शामिल नहीं हुई है। यह जानकारी शुक्रवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने दी। उन्होंने बंगाल सरकार से योजना में शामिल होने की अपील की है। इसके अलावा उन्होंने किसान मुद्दे को लेकर भी विपक्ष पर निशाना साधा है। तोमर ने कहा, पश्चिम बंगाल सरकार के अलावा सभी राज्यों की सरकारें पीएम सम्मान निधि योजना का हिस्सा बन चुकी हैं। उन्होंने बताया, अब तक 96 हजार करोड़ रुपए किसानों को भेजे जा चुके हैं। यह योजना पश्चिम बंगाल में 70 लाख किसानों को फायदा पहुंचाएगी। सरकार ने बंगाल सरकार को इस संबंध में पत्र भी लिखा है। तोमर ने कहा, मैंने बंगाल सीएम को इस योजना में शामिल होने के लिए पत्र लिखा है।
हरियाणा के कई टोल प्लाजा पर किसानों का कब्जा
नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों का आंदोलन एक बार फिर गर्माता दिखाई दिया। इसके चलते शुक्रवार को हरियाणा में कई हाईवे ऐसे रहे जहां पर टोल टैक्स वसूली बंद कर दी गई। जानकारी के अनुसार राज्य के कई टोल प्लाजाओं पर वसूली गुरुवार आधी रात से ही बंद कर दी गई थी। वहीं ऐसे भी कई टोल रहे जहां पर किसानों ने कब्जा कर लिया है और कर्मचारियों को टोल टैक्स लेने से रोक दिया गया। माहौल को देखते हुए टोल कर्मचारियों ने खुद ही टैक्स वसूलना बंद कर दिया है और वाहनों को बिना टोल दिए जाने दिया जा रहा है।
जयपुर- दिल्ली का संपर्क कटा
वहीं राजस्थान से आंदोलन में शामिल होने दिल्ली जा रहे किसानों को शुक्रवार को फिर हरियाणा पुलिस ने राष्ट्रीय राजमार्ग-48 पर अलवर जिले में शाहजहांपुर बॉर्डर पर रोक दिया। इससे गुस्साये किसानों ने दिल्ली से जयपुर आने वाली लेन को जाम कर दिया। इससे दिल्ली का जयपुर से संपर्क कट गया है। जयपुर से दिल्ली जाने वाली लेन को किसानों ने पहले से ही रोक रखा है। जाम लगने के बाद पुलिस ने यातायात को बहरोड़ और पावटा से डायवर्ट किया है।

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