नई दिल्ली । कृषि कानूनों के खिलाफ 75 दिन से आंदोलन कर रहे किसान नेता एक बार फिर सरकार से बातचीत करने को तैयार हो गए हैं। उन्होंने यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील के बाद लिया। मोदी ने सोमवार को राज्यसभा में बोलते हुए किसान नेताओं से अपील की कि विरोध खत्म कर बातचीत के लिए आगे आएं। इसके करीब 5 घंटे बाद संयुक्त किसान मोर्चे के सदस्य शिव कुमार कक्का ने कहा कि वे अगले दौर की बातचीत के लिए तैयार हैं, सरकार उन्हें मीटिंग का दिन और समय बता दे।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर जवाब दिया। 77 मिनट के भाषण में प्रधानमंत्री प्रमुख रूप से किसान आंदोलन, बंगाल और कृषि कानून पर बात रखी। संसद से किसानों को आंदोलन खत्म करने की अपील की। कानूनों में बदलाव का रास्ता भी सुझाया। प्रधानमंत्री ने कहा कि हर कानून में अच्छे सुझावों के बाद कुछ समय के बाद बदलाव होते हैं। इसलिए अच्छा करने के लिए अच्छे सुझावों के साथ, अच्छे सुधारों की तैयारी के साथ हमें आगे बढऩा होगा। मैं आप सभी को निमंत्रण देता हूं कि हम देश को आगे बढ़ाने के लिए, कृषि क्षेत्र के विकास के लिए, आंदोलनकारियों को समझाते हुए, हमें देश को आगे ले जाना होगा। हमें एक बार देखना चाहिए कि कृषि परिवर्तन से बदलाव होता है कि नहीं। कोई कमी हो तो उसे ठीक करेंगे, कोई ढिलाई हो तो उसे कसेंगे। मैं विश्वास दिलाता हूं कि मंडियां और अधिक आधुनिक बनेंगी। एमएसपी है, एसएसपी था और एमएसपी रहेगा। इस सदन की पवित्रता समझे हम। जिन 80 करोड़ लोगों को सस्ते में राशन दिया जाता है वो भी लगातार रहेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले की सरकारों की सोच में छोटा किसान था क्या? जब हम चुनाव आते ही एक कार्यक्रम करते हैं कर्जमाफी, ये वोट का कार्यक्रम है या कर्जमाफी का ये हिन्दुस्तान का नागरिक भली भांति जानता है। लेकिन जब कर्जमाफी करते हैं तो छोटा किसान उससे वंचित रहता है, उसके नसीब में कुछ नहीं आता है। पहले की फसल बीमा योजना भी छोटे किसानों को नसीब ही नहीं होती थी। यूरिया के लिए भी छोटे किसानों को रात-रात भर लाइन में खड़े रहना पड़ता था, उस पर डंडे चलते थे। पीएम किसान सम्मान निधि योजना से सीधे किसान के खाते में मदद पहुंच रही है। 10 करोड़ ऐसे किसान परिवार हैं जिनको इसका लाभ मिल गया। अब तक 1 लाख 15 हजार करोड़ रुपये उनके खाते में भेजे गये हैं। इसमें अधिकतर छोटे किसान हैं। अगर बंगाल में राजनीति आड़े नहीं आती, तो ये आंकड़ा उससे भी ज्यादा होता।
दिल्ली में फल-सब्जी, दूध की सप्लाई नहीं करेंगे किसान
दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन के 75वें दिन किसानों ने सरकार को झुकाने के लिए असहयोग आंदोलन छेडऩे की घोषणा की। किसान संगठनों के अनुसार आंदोलन में शामिल अब तक 13 किसान आत्महत्या कर चुके हैं। इन्हें मिलाकर अब तक 210 किसानों की जान जा चुकी है। इनमें से कुछ किसानों की हादसों में तो कुछ की ठंड या बीमारी से जान गई है। किसान संगठनों का कहना है कि किसानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाने देंगे। किसान नेता दर्शनपाल सिंह ने कहा कि खाप पंचायतों में फैसला किया गया है कि हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश से दिल्ली जाने वाली फल-सब्जी, दूध समेत जरूरत के हर सामान पर रोक लगानी होगी। अडानी और अंबानी के कारोबार को प्रभावित करने के लिए इनके सामान का बहिष्कार करना होगा।
महाराष्ट्र सरकार जांच करेगी सेलिब्रिटीज के ट्वीट की
किसान आंदोलन को लेकर सेलिब्रिटीज के सोशल मीडिया कमेंट पर महाराष्ट्र सरकार सख्त नजर आ रही है। राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने सभी कमेंट्स की जांच का आदेश दिया है। यह दावा मुंबई कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत की ओर से किया गया। किसानों के आंदोलन को लेकर लता मंगेशकर, सचिन तेंदुलकर, विराट कोहली, कंगना रनोट, अक्षय कुमार, अजय देवगन समेत कई सेलेब्रिटीज ने टिप्पणी की थी। सरकार को शक है कि ये कमेंट मोदी सरकार के दबाव में किए गए हैं।
पीएम की अपील के बाद किसान बातचीत को तैयार
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