पीएम आज करेंगे ‘महाकाल लोक’ का लोकार्पण

महाकालेश्वर के आंगन मे अभिभूत होगी जनता, बनेगा इतिहास

उज्जैन/इन्दौर। द्वादश ज्योतिर्लिंगों में शामिल भगवान महाकालेश्वर न केवल देश-प्रदेश, बल्कि विश्व में प्रसिद्ध हैं। लाखों श्रद्धालु प्रतिवर्ष भगवान महाकालेश्वर की एक झलक पाने के लिये एकत्रित होते हैं। मोक्षदायी सप्तपुरियों में से एक अवन्तिका में विराजित हैं भगवान महाकाल। भगवान शिव से जुड़ी कथाओं, ज्ञान, भक्तिभाव और तन-मन शिवमय हो सके, इसके लिये ही बनाया गया है ‘महाकाल लोक’।शासन द्वारा यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिये हर तरह की सुविधा का बंदोबस्त किया गया है। महाकाल लोक का लोकार्पण देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा मंगलवार की शाम को किया जायेगा। इसके साथ ही प्रधानमंत्री भगवान महाकालेश्वर को समर्पित ‘महाकाल लोक स्तुति गान’ को भी लाँच करेंगे। इस गान को लाँच करने के बाद तमाम सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर इसे देखा और सुना जा सकेगा। लोकार्पण के बाद शिप्रा नदी के किनारे कार्तिक मेला ग्राउण्ड पर प्रधानमंत्री जनसभा को सम्बोधित करेंगे। इसके पूर्व मशहूर गायक कैलाश खैर के द्वारा रंगारंग कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी जायेगी।

शिवराज का संकल्प पूर्ण
प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बनारस के कॉरिडोर की तर्ज पर उज्जैन में भी इसी तरह का विकास करने के बारे में संकल्प लिया और यह संकल्प अब पूर्ण हो चुका है। श्री महाकाल महाराज विकास योजना के प्रथम चरण के अन्तर्गत ‘महाकाल लोक’ निर्मित हुआ है। मंगलवार को प्रधानमंत्री द्वारा लोकार्पण के पश्चात कुछ दिन के बाद ‘महाकाल लोक’ आम श्रद्धालुओं के लिये खोल दिया जायेगा। महाकाल लोक को इस तरह से विकसित किया गया है कि पर्यटक और श्रद्धालु यहां खिंचे चले आयेंगे। महाकाल लोक का सौंदर्य मन मोहने वाला है। यहां पौराणिक कथाओं पर केन्द्रित भगवान शिव की लीलाओं पर ऐसी अधोसंरचना का निर्माण किया गया है, जिन्हें देखकर लोगों को धरती पर शिवलोक के दर्शन होंगे। महाकाल लोक के लोकार्पण कार्यक्रम का प्रसारण लाईव किया जायेगा। महाकाल लोक की अनुमानित लागत लगभग 856 करोड़ रुपये है। महाकाल लोक पहुंचने के लिये चार भुजाओं वाले महाकाल ओवर ब्रिज से होकर त्रिवेणी संग्रहालय जाना होगा। संग्रहालय के ठीक सामने लगभग 450 वाहनों की पार्किंग की व्यवस्था की गई है। पार्किंग शेड के ऊपर सोलर पैनल लगाये गये हैं। उज्जैन में बना 900 मीटर से अधिक लंबा महाकाल लोक भारत में अब तक निर्मित ऐसे सबसे बड़े गलियारों में से एक है। दो राजसी प्रवेश द्वार- नन्दी द्वार और पिनाक द्वार थोड़ी-थोड़ी दूरी पर महाकाल लोक के शुरूआती बिन्दु पर बनाये गये हैं, जो प्राचीन मन्दिर के प्रवेश द्वार तक जाते हैं। पार्किंग के ठीक सामने पिनाक द्वार है और उसके समीप स्थित है त्रिवेणी संग्रहालय। महाकाल लोक में प्रवेश करने के पहले नन्दी द्वार बनाया गया है। द्वार के बाहरी हिस्से में भगवान गणेश के दर्शन होते हैं। प्रवेश द्वार पर विशाल नन्दी की प्रतिमा बनाई गई है, जो कि अत्यन्त आकर्षक लगती है। इन्हें निहारते हुए महाकाल लोक में प्रवेश होता है।
बलुआ पत्थरों से निर्मित संरचना
उल्लेखनीय है कि महाकाल लोक में राजस्थान में पहाड़पुर क्षेत्र से प्राप्त बलुआ पत्थरों का उपयोग संरचनाओं के निर्माण के लिये किया गया है। राजस्थान, गुजरात और उड़ीसा के कलाकारों और शिल्पकारों ने मुख्य रूप से बलुआ पत्थरों को तराशकर और उन्हें अलंकृत कर सौंदर्य स्तंभों और पैनल में तब्दील किया है। महाकाल लोक के दाहिनी तरफ कमल ताल, शिव स्तंभ, सप्तऋषि परिसर, पब्लिक प्लाजा और नवग्रह परिसर बनाये गये हैं। यहां पर बैठक व्यवस्था भी की गई है। पास ही में कमल ताल है, जहां 25 फीट ऊंची शिव की प्रतिमा बनाई गई है। महाकाल लोक में बनी प्रतिमाएं, फव्वारे और आसपास की हरियाली आकर्षित करती है। कोबल्ड स्टोन की रोड क्रॉसिंग के जरिये पदयात्रियों की कनेक्टिविटी विकसित की गई है। पैदल चलते हुए शिव, देवी और श्रीकृष्ण से जुड़ी प्रतिमाएं नजर आती हैं। चित्रों के नीचे सम्बन्धित कथाएं भी अंकित की गई हैं। क्यूआर कोर्ड भी बनाये गये हैं, जिन्हें मोबाइल से स्केन कर कथा सुनी जा सकती है। इनमें शिव बारात का आकर्षक चित्रण किया गया है। एक शिल्प में कैलाश पर्वत को रावण ने उठा रखा है। कैलाश पर शिव परिवार भी विराजित है। एक शिल्प में देवी की नृत्य मुद्रा बनाई गई है। सप्तऋषि परिसर में ऋषियों की विशाल प्रतिमाओं के दर्शन के साथ उनके बारे में आवश्यक जानकारी दी गई है। त्रिपुरासुर वध का चित्रण विशाल शिल्प में किया गया है। यहां रथ पर सवार भगवान शिव त्रिपुरासुर का वध कर रहे हैं।पिनाक द्वार उनके लिये है जो सीधे मन्दिर में प्रवेश करना चाहते हैं। यह पौराणिक रूद्र सागर का घाट है। रूद्र सागर में लाईट एण्ड साउण्ड शो, लेजर शो और वाटर कर्टन शो दिखाये जायेंगे।
देश की सबसे लम्बी म्युरल दीवार 
महाकाल लोक में देश की सबसे लम्बी भित्ति चित्र वाली दीवार है। इस दीवार पर पत्थरों पर शिव कथाएं उकेरी गई हैं। महाकाल लोक दो हिस्सों में बना है। एक तरफ पैदल पथ और दूसरी तरफ ईकार्ट पथ। दोनों पथ के बीच 108 शिवस्तंभ शिव की विभिन्न मुद्राओं सहित निर्मित हैं, जो अलग ही छटा बिखेर रहे हैं। यह स्तंभ साधारण नहीं है, हर स्तंभ पर शिव की नृत्य मुद्रा अंकित है। इन्हीं पर सीसीटीवी कैमरे भी लगाये गये हैं। महाकाल लोक में शॉपिंग कॉम्पलेक्स भी बनाया गया है, जहां फूल, प्रसाद से लेकर धर्म और संस्कृति से जुड़ी विभिन्न वस्तुओं की दुकानें प्रारम्भ होंगी। कॉम्पलेक्स के समीप फेसिलिटी सेन्टर क्रमांक-2 स्थित है, जहां जूते, चप्पल और बैग जमा करने की व्यवस्था की गई है। समीप ही शौचालय और नाश्ते तथा शुद्ध पेयजल की व्यवस्था भी की गई है।
महाकाल लोक में देश का पहला नाईट गार्डन बनाया गया है, जहां दिन में भी रात्रि का एहसास होता है। गोलाकार नाईट गार्डन के बीच शिव की विशाल ध्यानमग्न प्रतिमा बनाई गई है। इसके ठीक सामने के हिस्से में नीलकंठ परिसर है। लगभग 20 एकड़ में फैले महाकाल लोक में आकर्षक विद्युत सज्जा की गई है। रात्रि के समय जब मूर्तियों और म्युरल्स पर रोशनी पड़ती है तो पूरा लोक स्वर्णिम आभा से चमकने लगता है। महाकवि कालिदास के अभिज्ञान शाकुन्तम में वर्णित बागवानी प्रजातियों के पौधों को महाकाल लोक में लगाया गया है। इनमें रूद्राक्ष, बकुल, कदंब, बेलपत्र, सप्तपर्णी आदि शामिल हैं।
आज का दिन उज्जैन और मध्य प्रदेश के इतिहास में बेहद खास होने जा रहा है। आज के दिन उज्जैन सहित प्रदेश के सभी मन्दिरों और धार्मिक स्थलों पर दीपोत्सव मनाया जायेगा। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा है कि लोकार्पण अवश्य उज्जैन में हो रहा है, परन्तु महाकाल लोक की छटा पूरे प्रदेश के साथ-साथ देश और दुनिया में बिखरेगी। प्रदेश के सभी देवस्थानों पर आकर्षक विद्युत साज-सज्जा की जायेंगी, दीप मालाएं जलाई जायेंगी, भजन होंगे। पूर्ण रूप से धार्मिक वातावरण का निर्माण होगा। बड़े शिव मन्दिरों में 11 अक्टूबर को भगवान शिव का अभिषेक और पूजन किया जायेगा।

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